गैंगस्टर रोमिल वोहरा का अंतिम संस्कार: पिता के आँसू और एक सवाल जो हर किसी को पूछना चाहिए
माहौल कितना भारी रहा होगा, अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं। यमुनानगर में रोमिल वोहरा का अंतिम संस्कार हुआ – वो भी ऐसे समय में जब पूरा इलाका पुलिस के भारी बंदोबस्त में था। पाँच दिन बाद शव मिला, और फिर… बस। ख़त्म। लेकिन असल कहानी तो उसके पिता कपिल बोहरा के उन दो वाक्यों में छिपी है जो शायद हर युवा को सुनना चाहिए: “कोई भी बेटा गैंगस्टर ना बने।” सच कहूँ तो, ये सिर्फ एक गैंगस्टर की मौत की कहानी नहीं, बल्कि हमारे सिस्टम पर एक बड़ा सवाल है।
रोमिल वोहरा कौन था? और कैसे बना ‘वोहरा गैंग’ का सरगना?
देखिए, हरियाणा-पंजाब का ये नाम सुनकर ही लोगों की रूह काँप जाती थी। हत्याएँ, अपहरण, विस्फोटक – आरोपों की लिस्ट इतनी लंबी कि पढ़ते-पढ़ते थक जाओगे। सालों तक पुलिस की नाक के नीचे से फरार रहने वाला ये शख्स आखिरकार यमुनानगर के एक गाँव में पुलिस एनकाउंटर का शिकार हुआ। पुलिस वालों का कहना है कि उसने पहले फायर किया… पर सच क्या है? ये तो जाँच ही बताएगी। एक तरफ़ तो खतरनाक अपराधी का अंत हुआ, दूसरी तरफ़ ये पुलिस एनकाउंटर की बहस को फिर से जिंदा कर गया।
अंतिम संस्कार: जब डर के साये में हुई अंतिम विदाई
क्या आप कल्पना कर सकते हैं? अपने ही बेटे के अंतिम संस्कार पर इतनी सुरक्षा व्यवस्था कि लगे जैसे कोई युद्ध चल रहा हो। पोस्टमॉर्टम के बाद मिला शव, मुट्ठी भर लोग, और वो चुप्पी… जो बहुत कुछ कह जाती है। हैरानी की बात ये कि पुलिस को अब भी डर था कि कहीं कोई हंगामा न हो जाए। सोचिए, मरने के बाद भी इतना डर? ये बताता है कि रोमिल का नाम किस कदर खौफ़ का पर्याय बन चुका था।
पिता का दर्द: “मेरा बेटा गलत रास्ते पर चला गया था…”
कपिल बोहरा के चेहरे पर जो दर्द था, वो किसी भी पिता को समझ आएगा। उनके शब्दों में एक टूटन थी: “कोई भी युवा इस रास्ते पर न जाए।” वहीं पुलिस वाले अपनी पीठ थपथपा रहे थे – “कानून का राज है, साहब!” स्थानीय लोगों ने राहत की सांस तो ली, पर साथ ही सवाल भी उठाया: आखिर क्यों युवा इस रास्ते पर आते हैं? सरकार कहाँ सोई रहती है? और हम समाज के लोग क्या कर रहे हैं?
अब क्या? सवाल तो बाकी हैं…
अभी तो पार्टी शुरू हुई है! पुलिस रोमिल के गैंग के बाकी सदस्यों को ढूँढने में जुटी है। जाँच एजेंसियाँ अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगी। NGO वाले सेमिनार करेंगे। पर असल सवाल ये है कि क्या हम सच में कुछ बदलना चाहते हैं? या फिर रोमिल जैसे केस सिर्फ अखबारों की सुर्खियाँ बनकर रह जाएँगे? सच तो ये है कि जब तक गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार रहेगा, रोमिल पैदा होते रहेंगे।
रोमिल की कहानी हमें एक आईना दिखाती है। सवाल ये नहीं कि उसका अंत कैसे हुआ। सवाल ये है कि हम इस समाज को कैसा बना रहे हैं जहाँ एक युवा गैंगस्टर बनने को मजबूर हो जाता है? सोचिएगा जरूर… क्योंकि अगला रोमिल कहीं आपके आस-पास ही पल रहा हो तो?
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रोमिल वोहरा का एनकाउंटर: कहानी वही, सवाल नए
देखिए, ये कहानी तो आपने पहले भी सुनी होगी – 5 दिन पहले [तारीख] को [स्थान] पर एक ‘एनकाउंटर’ हुआ। पुलिस वालों की जुबानी, “क्रॉसफायर में मारा गया गैंगस्टर।” लेकिन सवाल ये है कि क्या सच में क्रॉसफायर था या फिर…? खैर, अभी तक तो सिर्फ एक ही साइड की कहानी सामने आई है।
पिता का दर्द: “मेरा बेटा innocent था!”
एनकाउंटर के 5 दिन बाद जब रोमिल के पिता मीडिया के सामने आए, तो उनकी आँखों में सवाल थे। उनका कहना, “मेरा बेटा innocent था, हमें justice चाहिए।” और हाँ, उन्होंने CBI जांच की मांग भी कर डाली। अब देखना ये है कि सिस्टम इस पर क्या रिएक्शन देता है। क्योंकि ऐसे मामलों में… आप समझ ही रहे होंगे।
आखिरी विदाई: कहाँ और कैसे हुई?
[शहर का नाम] के [कब्रिस्तान/श्मशान घाट का नाम] में हुई इस अंतिम यात्रा में सिर्फ family members और कुछ close friends ही मौजूद थे। बाकी लोग? शायद डर से दूर ही रहे। या फिर… पुलिस ने ही किसी को जाने नहीं दिया? कहना मुश्किल है।
पुलिस का पक्ष: सच या स्क्रिप्ट?
पुलिस वाले तो अपनी ही रट लगाए हुए हैं – “रोमिल wanted गैंगस्टर था, क्रॉसफायर में मारा गया।” लेकिन सुनिए, कुछ NGOs और परिवार वाले इसे सिरे से ही खारिज कर रहे हैं। और ईमानदारी से कहूँ तो… ये तस्वीर का सिर्फ एक हिस्सा है। असल सच? वो तो शायद फाइलों में ही दफन हो जाएगा।
एक बात और – क्या आपने गौर किया कि ऐसे मामलों में हमेशा दोनों तरफ के ‘सच’ अलग-अलग होते हैं? सोचने वाली बात है… है न?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com