गाजियाबाद के 5 गांवों की किस्मत चमकी! टाउनशिप के नाम पर मिल रहा है 4 गुना मुआवजा
अरे भई, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने तो इस बार किसानों को लखपति बनाने का प्लान बना लिया है! एक बड़ी टाउनशिप प्रोजेक्ट के लिए पांच गांवों की ज़मीन का अधिग्रहण शुरू हो चुका है, और अब तक 25 किसानों ने अपनी ज़मीन बेचने के लिए हामी भर दी है। सरकार का ऑफर? सर्किल रेट से चार गुना ज़्यादा मुआवजा! सुनकर ही मुंह में पानी आ गया न? यही वजह है कि ये मामला इन दिनों हर चाय की दुकान पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
आखिर क्यों ज़रूरी हो गई ये टाउनशिप?
देखिए, बात सीधी है – गाजियाबाद की आबादी बढ़ रही है जैसे दिवाली के बाद किसी के घर का बिजली का बिल। दिल्ली-एनसीआर के इस हब में अच्छी housing की डिमांड को देखते हुए सरकार को ये प्रोजेक्ट लाना पड़ा। ईमानदारी से कहूं तो, अभी तक तो सिर्फ पांच गांवों (नाम गोपनीय!) की ज़मीन चिन्हित की गई है, जिसमें खेती की ज़मीन के साथ-साथ कुछ आवासीय प्लॉट्स भी शामिल हैं।
पहले तो किसान मुआवजे को लेकर नाराज़ थे, मगर अब सरकार ने जो 4 गुना का ऑफर रखा है, उसके आगे किसकी चलेगी? ये तो वैसा ही है जैसे आपको 100 रुपये की चीज़ 400 में बेचने का मौका मिल जाए। सामान्य अधिग्रहण के मुकाबले ये किसानों के लिए वरदान से कम नहीं!
अभी तक क्या हुआ है?
GDA ने 25 किसानों को तो मना लिया है, लेकिन कुछ अभी भी ‘हो सके तो और ज्यादा’ वाले मूड में हैं। सरकार का ये मुआवजा पैकेज वाकई क्रांतिकारी है – सर्किल रेट से चार गुना! अगर ये ट्रेंड चल निकला तो फिर तो हर किसान अपनी ज़मीन बेचने को तैयार हो जाएगा।
इस टाउनशिप में क्या-क्या आएगा? सुनिए – आवासीय कॉम्प्लेक्स, commercial establishments और हरियाली के लिए green belt। मतलब साफ है – रहने को घर, कमाने को दुकानें, और सांस लेने को हरा-भरा माहौल। एक तीर से तीन निशाने!
ग्राउंड रिपोर्ट: क्या कह रहे हैं लोग?
जिन किसानों ने डील कर ली है, उनके चेहरे पर मुस्कान देखने लायक है। रमेश सिंह जैसे किसान तो बच्चों की education का सपना देखने लगे हैं। उनका कहना है – “इतने पैसे से तो अब बच्चों को IIT भेज सकते हैं!”
लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं न? कुछ किसान और स्थानीय संगठन अभी भी विरोध कर रहे हैं। उनका डर? गांव की पहचान खत्म हो जाएगी, पर्यावरण को नुकसान होगा। GDA के राजीव मल्होत्रा जी का कहना है – “विकास ज़रूरी है, लेकिन हमने किसानों के हितों का पूरा ख्याल रखा है।” सच कहूं तो, दोनों तरफ के तर्क समझ आते हैं।
अब आगे क्या?
अभी कुछ किसानों से बातचीत बाकी है, और GDA जल्द ही फाइनल डिसीजन लेगी। पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) की रिपोर्ट आना बाकी है – ये तो ज़रूरी प्रोसेस है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले छह महीनों में शोरगुल शुरू हो जाएगा।
असली चुनौती? विकास और स्थानीय लोगों के हितों के बीच संतुलन बनाना। सरकार के लिए ये टाइटरोप वॉक जैसा है – एक तरफ प्रोग्रेस, दूसरी तरफ प्रोटेस्ट। देखते हैं आखिरकार ये कहानी किस मोड़ पर जाकर रुकती है!
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अरे भाई, ये खबर तो बड़ी मस्त है ना? गाजियाबाद के कुछ गांवों के लोगों को उनकी ज़मीन के बदले 4 गुना मुआवजा मिल रहा है! पर सवाल यह है कि ये सब कैसे होगा? चलिए, एक-एक करके समझते हैं…
1. यह 4 गुना मुआवजा किसे मिल रहा है?
देखिए, ये स्कीम सिर्फ गाजियाबाद के 5 खास गांवों – मुरादनगर, दासना जैसी जगहों के लिए है। जिनकी ज़मीन पर सरकार ने टाउनशिप प्रोजेक्ट के लिए कब्ज़ा किया है। सच कहूं तो पहले के रेट्स तो बहुत ही कम थे, अब 4 गुना! मानो सालों पुराना FD एक साथ मैच्योर हो गया हो।
2. मुआवजे का payment कैसे और कब तक मिलेगा?
अब यहां थोड़ा धैर्य रखना पड़ेगा। पैसा सीधे बैंक अकाउंट में आएगा – कोई चेक नहीं, कोई झंझट नहीं। अधिकारी कह रहे हैं कि पहली किश्त 3 महीने में और बाकी… हां, लगभग 1 साल के अंदर पूरा हो जाएगा। पर याद रखिए, सरकारी कामों में थोड़ा टाइम तो लगता ही है ना?
3. क्या यह स्कीम सभी farmers के लिए है?
अरे नहीं यार! ऐसा तो हो नहीं सकता। सिर्फ वही लोग इसके हकदार हैं जिनकी ज़मीन इस प्रोजेक्ट में शामिल है। अगर आपको लगता है कि आप भी eligible हैं, तो जल्दी से अपने कागज़ात चेक करें। ऑनलाइन पोर्टल पर details मिल जाएंगी। सच बताऊं? मैं भी अपनी नानी के गांव की ज़मीन के बारे में चेक करने वाला हूं!
4. क्या इस मुआवजे पर कोई टैक्स लगेगा?
यहां तो खुशखबरी है दोस्तों! सरकार ने साफ कहा है – ज़मीन के बदले मिलने वाला पैसा 100% टैक्स-फ्री। कोई TDS नहीं, कोई छुपा हुआ चार्ज नहीं। पूरी रकम आपके हाथ में। पर… हमेशा की तरह, बेहतर होगा कि आप एक बार अपने CA से भी पूछ लें। सेफ्टी फर्स्ट!
तो कैसी लगी जानकारी? अगर कोई और सवाल हो तो कमेंट में ज़रूर पूछिएगा। और हां… जिन लोगों को ये मुआवजा मिल रहा है, उनसे मिलकर थोड़ी पार्टी तो बनती है ना? *wink*
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com