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हैवानियत की हद: लड़की की लाश को काटकर फ्रीज में रखा, 18 दिन तक जंगल में फेंके टुकड़े!

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हैवानियत की हदें पार: जिस लड़की की लाश को काटकर फ्रीज में रखा गया, उसके टुकड़े 18 दिन तक जंगल में फेंके गए!

दिल्ली/मुंबई से एक ऐसा केस सामने आया है जिसे सुनकर रूह काँप जाती है। सच कहूँ तो, ये वो किस्सा है जिसे सुनकर आपको लगेगा कि ये किसी हॉरर movie का प्लॉट है। पर नहीं, ये हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है। एक युवती की सिर्फ हत्या ही नहीं हुई, बल्कि उसके शव के साथ जो हुआ वो तो… ईमानदारी से कहूँ तो शब्द ही कम पड़ जाते हैं। प्रेमी ने न सिर्फ उसे मारा, बल्कि शव को काटकर फ्रीज में रखा! और फिर? अगले 18 दिनों तक जंगल में टुकड़े-टुकड़े करके फेंकता रहा। पुलिस ने आरोपी को पकड़ तो लिया, पर सवाल यह है कि हमारा समाज इससे क्या सीखेगा?

जब सपनों की उड़ान एक क्रूर हकीकत में बदल गई

कहानी शुरू होती है एक आत्मनिर्भर लड़की से, जो अपने career को लेकर कितनी उत्साहित थी। अब यहाँ सवाल उठता है – क्या हमारी बेटियाँ सच में सुरक्षित हैं? इसने एक डेटिंग app के जरिए उस शख्स से मुलाकात की थी जो आगे चलकर उसका कातिल बना। परिवार ने मना किया था, दोस्तों ने चेताया था… पर प्यार अक्सर अंधा होता है न? समय-समय पर आरोपी के हिंसक स्वभाव के संकेत मिले, पर लड़की ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया। और यही गलती उसकी जान ले बैठी। कितनी आसानी से एक जिंदगी खत्म हो गई, है न?

नृशंसता की नई परिभाषा

अब आते हैं उस हिस्से पर जिसे सुनकर मन विचलित हो उठता है। झगड़े में हत्या करने के बाद भी आरोपी का दिमाग नहीं रुका। उसने शव को… हाँ, सही सुना आपने… काटकर फ्रीज में रख दिया! और फिर? अगले 18 दिनों तक धीरे-धीरे टुकड़ों को जंगल में फेंकता रहा। पुलिस को शक तब हुआ जब लड़की के गायब होने की रिपोर्ट मिली। और जब flat की तलाशी ली गई तो… खून, कटिंग tools… एकदम साफ-साफ सबूत। क्या ये इंसान था या कोई राक्षस? सच में सोचने वाली बात है।

समाज की प्रतिक्रिया: सदमा या सबक?

पीड़िता के परिवार का दर्द शब्दों से परे है। “हमने मना किया था…” ये वाक्य कितने घरों की कहानी बयाँ करता है? वहीं पुलिस भी हैरान है इस क्रूरता से। social organizations की तरफ से डेटिंग apps पर सख्त निगरानी की माँग उठ रही है। पर सवाल ये है कि क्या सिर्फ कानून बदलने से काम चलेगा? हमें अपनी सोच बदलने की ज़रूरत नहीं है क्या?

आगे का रास्ता: सजा से ज्यादा जरूरी क्या?

आरोपी पर केस चलेगा, forensic रिपोर्ट आएगी… पर असल सवाल तो ये है कि हम ऐसे मामलों को रोकने के लिए क्या कर रहे हैं? क्या हम अपने बच्चों को healthy relationships के बारे में शिक्षित कर रहे हैं? मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि warning signs को पहचानना सीखना ज़रूरी है। शायद अब वक्त आ गया है जब हमें सिर्फ “लड़कियों को सावधान रहना चाहिए” की बजाय “लड़कों को सही शिक्षा देनी चाहिए” पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि अंत में, एक जिंदगी तो चली ही गई… कितनी और जाएँगी?

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सच कहूं तो ये केस पढ़कर रूह कांप जाती है। लेकिन सवाल तो उठते हैं न… तो चलिए एक-एक करके समझते हैं।

1. ये सब कहां हुआ और किसने किया?

मामला [शहर का नाम] का है – जहां एक लड़की की हत्या के बाद… (सुनकर ही डर लगता है) उसके शव के टुकड़े कर दिए गए। Police ने [Accused का नाम] को पकड़ा है, जो शायद victim का [रिश्ता] था। है ना हैरान कर देने वाला? आमतौर पर ऐसे मामलों में करीबी ही शामिल होते हैं।

2. पुलिस को पता कैसे चला? कोई सबूत मिले?

कहानी कुछ ऐसी है – कुछ local लोगों ने जंगल में… वो टुकड़े देखे। सोचिए उनका क्या हाल हुआ होगा! फिर तो पुलिस ने CCTV और mobile data की मदद से accused का पीछा किया। और तो और… उसके फ्रीजर में blood stains और cutting tools मिले। सीधे सबूत। केस तो पक्का हो गया न?

3. पीड़िता के परिवार का क्या हाल है?

बेचारे तो टूट चुके हैं। एक तरफ दुख, दूसरी तरफ गुस्सा। Justice की मांग कर रहे हैं – और सही भी तो है! Social media पर भी लोग आग बबूला हैं। पर सवाल ये है कि क्या सिर्फ outrage से काम चलेगा?

4. क्या accused का कोई criminal past है?

अभी तक की जांच कहती है नहीं। लेकिन यही तो डरावना है ना? कोई पहली बार… इतना भयानक काम कर दे। पुलिस motive ढूंढ रही है। शायद personal revenge… या relationship की कोई bitter सच्चाई। कौन जाने दिल में क्या चल रहा था उसके।

ईमानदारी से कहूं तो ऐसे मामले सुनकर इंसानियत पर से यकीन उठ जाता है। क्या आपको नहीं लगता?

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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