गूगल का AI सर्च वाला फीचर अब न्यूज वेबसाइट्स के लिए बना सिरदर्द! 40% तक ट्रैफिक गिरा
अरे भाई, डिजिटल मीडिया वालों की तो इन दिनों नींद हराम हो गई है। Similarweb का ताजा डेटा देखकर लगता है मानो गूगल ने AI सर्च के जरिए पूरे इंडस्ट्री में भूचाल ला दिया है। सुनकर हैरान रह जाएंगे – टॉप न्यूज साइट्स का ट्रैफिक पिछले साल के मुकाबले 40% तक गिर चुका है! और सबसे हैरानी की बात ये कि टॉप 50 में से 37 वेबसाइट्स इसकी चपेट में आई हैं। अब सवाल यह है कि आखिर ये हंगामा क्यों हो रहा है?
पूरा माजरा क्या है?
देखिए, गूगल तो हमेशा से नए-नए एक्सपेरिमेंट करता रहता है। लेकिन इस बार उन्होंने AI Overviews और SGE (Search Generative Experience) जैसे फीचर्स इंट्रोड्यूस किए हैं। अब यहां मजा ये है कि आपको सर्च करते ही जवाब मिल जाता है – बिना किसी वेबसाइट पर जाए। मतलब साफ है न? अखबार वालों के पास अब पाठक ही नहीं आ रहे!
पर ये कोई नई बात नहीं है। पहले भी Featured Snippets और AMP ने मीडिया वालों की नाक में दम कर रखा था। मगर इस बार तो गेम ही बदल गया है। AI ने जैसे पूरी तस्वीर ही पलट दी है।
किस-किस का बुरा हाल?
अब जरा नंबरों पर नजर डालते हैं। The New York Times, The Guardian, CNN जैसे बड़े नाम 20-40% तक ट्रैफिक गंवा चुके हैं। लेकिन असली मार तो छोटे प्लेयर्स पर पड़ी है। वो तो पहले ही गूगल के एल्गोरिदम से जूझ रहे थे, अब तो जैसे दुर्गति हो गई।
गूगल वाले कहते हैं कि उनका मकसद तो सिर्फ यूजर्स को बेहतर जानकारी देना है। पर मीडिया वालों की बिल्डिंग का किराया तो advertising revenue से ही चलता है न भाई! ट्रैफिक गिरा तो पैसा कहां से आएगा?
मीडिया वालों का गुस्सा और गूगल का जवाब
The New York Times तो बिल्कुल गरमा गया है। उनका कहना है, “ये तो हमारे लिए एक्जिस्टेंशियल क्राइसिस है!” कुछ तो गूगल पर ‘अनफ़ेयर प्रैक्टिस’ का आरोप लगा रहे हैं। वहीं गूगल वाले अपनी पुरानी रट लगाए हुए हैं – “हम तो पब्लिशर्स के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं।” राजीव मेहता जैसे एक्सपर्ट्स की राय है कि अगर मीडिया वाले AI के साथ एडजस्ट नहीं करेंगे, तो आगे और मुश्किल होगी। सच कहूं तो दोनों ही पक्षों की बात में दम है।
आगे क्या होगा? यही बड़ा सवाल है!
अब देखना ये है कि ये ड्रामा कहां जाकर थमता है। क्या बड़े न्यूज पोर्टल्स गूगल के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे? या फिर गूगल कुछ नए नियम लाकर इस आग को शांत करेगा? एक बात तो तय है – जैसे-जैसे AI आगे बढ़ेगा, ये टकराव और तेज होगा।
आखिर में सवाल यही रह जाता है – क्या टेक्नोलॉजी और मीडिया के बीच कोई मध्यमार्ग निकल सकता है? क्योंकि दोनों ही तो हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं। सोचने वाली बात है, है न?
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लेकिन सवाल ये है कि News Publishers अब क्या करेंगे? कोई नई Strategies लाएंगे या बस टाइम पास करते रहेंगे? मेरी राय में तो ये एक बड़ा टर्निंग पॉइंट है। Future में Digital Journalism कहाँ जाएगा – ये तो वक्त ही बताएगा। पर एक बात तय है: जो Adapt करेगा, वही बचेगा। बाकी? खैर… उनके लिए मुश्किल होने वाली है।
Source: NY Post – Business | Secondary News Source: Pulsivic.com