अस्पताल वालों की मनमानी पर सरकार ने दिखाया दांत! क्या है पूरा खेल?
आखिरकार! सरकार ने उन चालाक अस्पतालों पर लगाम कसने का फैसला किया है जो मरीजों की जेब काटने में माहिर हैं। सच कहूं तो, ये खबर उन लाखों लोगों के लिए राहत भरी है जिन्हें अस्पताल के बिल देखकर दिल का दौरा पड़ जाता है। अब बीमा क्लेम पोर्टल को वित्त मंत्रालय के अंडर लाया जाएगा – यानी अब इंश्योरेंस कंपनियों को अस्पतालों से भिड़ने का पूरा अधिकार मिलेगा। मजे की बात ये कि अब ट्रीटमेंट के रेट्स पर भी ब्रेक लगेगा। असल में, यह पूरा खेल हेल्थकेयर सेक्टर में पारदर्शिता लाने और आम आदमी को सस्ती दवाइयाँ दिलाने का है।
पूरा माजरा क्या है?
पिछले कुछ सालों से तो अस्पतालों ने जैसे मरीजों को ATM समझ लिया है। कभी बेवजह के टेस्ट्स, तो कभी फालतू की दवाइयाँ – बिल का पहाड़ बनाने में ये माहिर हो गए हैं। इंश्योरेंस कंपनियाँ तो बहुत दिन से सरकार के कान खींच रही थीं। उनका सीधा सा कहना था – “यार, ये अस्पताल वाले तो जैसे चाहें वैसे बिल फाड़ देते हैं!” और सच भी तो है – अब तक क्लेम पोर्टल पर कोई ठोस सिस्टम ही नहीं था। नतीजा? मरीज की जेब ढीली। लेकिन अब सरकार ने इस धंधे पर करारी चोट की है।
क्या-क्या बदलेगा अब?
तो अब क्या होगा? सरकार का नया प्लान सीधा-सादा है – वित्त मंत्रालय अब क्लेम पोर्टल की कमान संभालेगा। मतलब साफ है – अब इंश्योरेंस कंपनियों को अस्पतालों से मोलभाव करने का पूरा हक मिलेगा। पहले तो ये अस्पताल वाले अपने मनमाफिक रेट्स लगा देते थे, अब उन्हें फिक्स्ड दरों के दायरे में रहना पड़ेगा। सरकार का मकसद? इलाज के दाम पारदर्शी हों और आम आदमी को सही कीमत पर quality treatment मिले। और हाँ, फर्जी बिलिंग पर भी अब सख्त नजर रहेगी – कोई चालाकी नहीं चलेगी!
किसने क्या कहा?
इस फैसले पर सबकी अपनी-अपनी राय है। इंश्योरेंस कंपनियाँ तो मानो झूम उठीं – “यार, आखिरकार हमारी बात सुनी गई!” वहीं दूसरी तरफ, अस्पताल वालों के चेहरे उतर गए। उनका कहना है कि ये सरकार की “दखलअंदाजी” है। पर जनता क्या कह रही है? ज्यादातर लोगों को ये कदम सही लग रहा है। एक मरीज ने तो मजाक में कहा – “अगर इससे हमारे बीमे का प्रीमियम कम होगा और बिल में झूठ कम होगा, तो भई सरकार को सलाम!”
अब आगे क्या?
तो अब सवाल ये है कि आगे का गेम प्लान क्या है? जानकारों की मानें तो जल्द ही नए नियमों का पूरा ब्लूप्रिंट आएगा। अगले कुछ महीनों में क्लेम पोर्टल को पूरी तरह से ठीक किया जाएगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर यह योजना सही से चली, तो हेल्थ इंश्योरेंस सस्ता हो सकता है। पर एक चिंता भी है – सरकार को अस्पतालों और इंश्योरेंस कंपनियों के बीच सही बैलेंस बनाना होगा। वरना हेल्थकेयर पर बुरा असर भी पड़ सकता है। देखते हैं, ये नया एक्सपेरिमेंट कैसे काम करता है!
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com