विधायक चैतर वसावा की गिरफ़्तारी: केजरीवाल का भाजपा पर ‘राजनीतिक बदला’ वाला दावा
अरे भाई, गुजरात की राजनीति में तो फिर से हंगामा शुरू हो गया है! AAP के विधायक चैतर वसावा को पुलिस ने पकड़ लिया – और ये कोई आम गिरफ़्तारी नहीं है। असल में, ये तो पूरा एक राजनीतिक ड्रामा बनता जा रहा है। केजरीवाल साहब तो सीधे भाजपा पर आरोप लगा बैठे – कह रहे हैं ये “आदिवासियों के साथ अन्याय” है और “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” भी। वहीं दूसरी तरफ़ भाजपा वाले अपनी ही रट लगा रहे हैं – “कानून सबके लिए समान है” वाली बात। पर सच क्या है? यही तो देखना बाकी है।
चैतर वसावा कौन हैं? और क्यों है इतना विवाद?
देखिए, वसावा जी गुजरात के नर्मदा से AAP के विधायक हैं – और साथ ही आदिवासी नेता भी। अब यहाँ दिक्कत ये है कि ये साहब सरकार के ख़िलाफ़ बोलने से कभी नहीं चूकते। कहने को तो ये आदिवासी अधिकारों की लड़ाई है, पर राजनीति तो इसमें भरपूर है। पिछले कुछ समय से इन पर कुछ केस चल रहे थे – और अब ये गिरफ़्तारी। AAP का कहना है ये पूरा षड्यंत्र है, क्योंकि वसावा ने सरकार को बार-बार घेरा था। सच क्या है? कहना मुश्किल है, पर इतना तय है – मामला गरमा गया है!
गिरफ़्तारी का असली कारण क्या है?
पुलिस का कहना है कि वसावा ने हिंसा भड़काई और कानून-व्यवस्था बिगाड़ी। पर केजरीवाल जी तो ट्विटर पर ही भड़क गए – “तानाशाही” और “लोकतंत्र खत्म” जैसे हैशटैग लगा दिए। उनका कहना है ये आदिवासियों को डराने की साजिश है। वहीं भाजपा वाले कह रहे हैं – “ये सब नाटक बंद करो, कानून तो अपना काम कर रहा है।” सच्चाई चाहे जो हो, पर एक बात तो साफ है – ये मामला अब सिर्फ़ कानूनी नहीं रहा, बल्कि पूरी तरह राजनीतिक हो चुका है।
कौन क्या बोला? राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
AAP तो पूरी तरह एकजुट दिख रही है – सिसोदिया जी से लेकर छोटे नेता तक सब एक सुर में भाजपा को कोस रहे हैं। उधर भाजपा वाले बस एक ही राग अलाप रहे हैं – “कानून की प्रक्रिया”। मज़े की बात ये कि कुछ आदिवासी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की धमकी भी दे डाली है। अब अगर ये लोग सड़कों पर उतर आए, तो समझिए मामला और भी गरमा जाएगा!
आगे क्या? राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
देखिए, AAP तो अब कोर्ट-कचहरी में उलझने वाली है। पर असली मसला ये है कि गुजरात के आदिवासी इलाकों में ये कैसी प्रतिक्रिया देगा? अगर जनता नाराज़ हुई, तो भाजपा के लिए मुश्किल हो सकती है। वैसे तो विश्लेषक कह रहे हैं ये AAP के लिए मौका है आदिवासी वोट बैंक में पैठ बनाने का। पर क्या वाकई ऐसा होगा? ये तो वक्त ही बताएगा।
तो कुल मिलाकर: ये केस अब सिर्फ़ एक विधायक की गिरफ़्तारी नहीं रहा। ये तो गुजरात में आदिवासी राजनीति का एक नया अध्याय बन सकता है। और हाँ – अगले कुछ दिनों में तो टीवी चैनल्स पर बहसों का दौर चलेगा ही!
यह भी पढ़ें:
- Kejriwal Miscalculation Bjp Patel Votes Dalit Leader Angry
- Waqf Bill Bihar Political Storm Bjp Message Pasmanda Muslims
गुजरात AAP विधायक चैतर वसावा की गिरफ्तारी – क्या है पूरा मामला? (FAQs)
1. चैतर वसावा को गिरफ्तार क्यों किया गया? असल में क्या चल रहा है?
देखिए, बात यह है कि AAP के गुजरात विधायक चैतर वसावा को एक financial scam के आरोप में पकड़ा गया है। लेकिन यहां मजेदार बात यह है कि केजरीवाल साहब तुरंत बयान दे रहे हैं कि यह BJP की ‘राजनीतिक साजिश’ है। और सच कहूं तो, आदिवासी समुदाय के साथ यह पूरा मामला कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हो गया है।
2. केजरीवाल ने BJP पर क्या-क्या उछाला? सच्चाई क्या है?
अब यहां मामला गरमा गया है! केजरीवाल जी ने तो सीधे-सीधे BJP को निशाना बनाया है – कह रहे हैं कि वो AAP नेताओं को टारगेट कर रही है। और तो और, आदिवासियों के साथ ‘इनजस्टिस’ का आरोप भी लगा दिया। पर सवाल यह है कि क्या यह सच में सिर्फ एक political conspiracy है? या फिर कोई सच्चाई भी है इन आरोपों में?
3. यह केस आदिवासियों से कैसे जुड़ा? क्यों है इतना बड़ा मुद्दा?
असल में बात यह है कि चैतर वसावा खुद आदिवासी समुदाय से हैं। और AAP वालों का कहना है कि यह गिरफ्तारी सिर्फ आदिवासियों के अधिकारों पर चोट करने का तरीका है। केजरीवाल तो इसे ‘systemic oppression’ तक कह रहे हैं। लेकिन सच पूछो तो, क्या यह सच में आदिवासी अधिकारों का मामला है? या फिर राजनीति का एक और खेल?
4. गुजरात की राजनीति पर क्या पड़ेगा असर? कौन होगा फायदे में?
देखिए, यह केस तो गुजरात में AAP और BJP के बीच तनाव को और बढ़ा देगा – यह तो तय है। AAP इसे अपने आदिवासी वोट बैंक को जोड़ने के लिए इस्तेमाल करेगी, वहीं BJP corruption के नैरेटिव को आगे बढ़ाएगी। पर असली सवाल यह है – आम जनता इन आरोप-प्रत्यारोपों में से किस पर यकीन करेगी? और क्या यह सच में आदिवासियों के हक की लड़ाई है, या सिर्फ दिल्ली और गुजरात की सियासत का एक नया चैप्टर?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com