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हरिद्वार मनसा देवी भगदड़: अफवाहों की भेंट चढ़े 6 लोग, कैसे हुए पुराने जख्म ताजा?

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हरिद्वार मनसा देवी भगदड़: अफवाहों की आग में झुलसे 6 जानें, क्यों दोहराते हैं हम गलतियाँ?

आज हरिद्वार में एक ऐसी घटना हुई जिससे पूरे देश का दिल दहल गया। मनसा देवी मंदिर के पास भगदड़… और सिर्फ 5 मिनट में 6 लोगों की जान चली गई। असल में बात ये हुई कि कोई अफवाह उड़ी – “बिजली गिरी है!” – और फिर क्या था, भक्तों का समूह एकदम बेतरतीब भागने लगा। पुलिस ने तो जल्दी कंट्रोल कर लिया, पर सवाल तो ये है न कि आखिर ऐसा क्यों होता रहता है? हर बार भीड़, हर बार अफवाह, हर बार जानें चली जाती हैं।

अब मनसा देवी मंदिर कोई छोटा-मोटा तीर्थ स्थल तो है नहीं। यहाँ तो हर साल लाखों की भीड़ आती है। पर सच कहूँ तो उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों का ये कोई पहला काला अध्याय नहीं है। 2010 में हर की पौड़ी पर हुई भगदड़ याद है? 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 2022 में केदारनाथ का हादसा भी तो हम भूल नहीं पाए हैं। और आज फिर वही दृश्य… वही गलतियाँ।

पूरी कहानी सुनिए – मंदिर में अचानक किसी ने चिल्लाया “बिजली गिरी!”। बस फिर क्या था, लोगों ने दौड़ना शुरू कर दिया। असल में तो बिजली गिरी ही नहीं थी! लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। भगदड़ में कुछ लोग रौंदे गए, कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए। हरिद्वार के अस्पताल में अभी भी कुछ मरीज critical condition में हैं। सरकार ने मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है… पर क्या पैसा किसी जान की कीमत चुका सकता है?

राजनीति शुरू हो गई है नैचुरली। CM धामी ने कहा है कि “कड़ी कार्रवाई होगी” और नई guidelines आएंगी। पर स्थानीय लोग क्या कह रहे हैं? उनका सीधा सा सवाल है – “हर साल भीड़ बढ़ती है, पर प्रशासन की तैयारी क्यों नहीं बढ़ती?” एक security expert ने तो सही बात कही – “यहाँ seasonal staff के बजाय permanent crowd management team होनी चाहिए।” सच कहूँ तो ये तो बिल्कुल basic सी बात है।

अब आगे क्या? सरकार ने 3 लोगों की committee बना दी है जो 15 दिन में report देगी। मंदिर प्रबंधन ने CCTV और barricades लगाने का ऐलान किया है। केंद्र भी कुछ नई policies लाने की बात कर रहा है। पर सवाल तो ये है कि क्या ये सब कागजों तक ही सीमित रहेगा? क्या हम सच में 2010 और 2022 की त्रासदियों से कुछ सीख पाए हैं? या फिर अगले साल फिर किसी और तीर्थ स्थल पर ऐसी ही कोई खबर सुनने को मिलेगी? सोचिएगा जरूर…

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1. भगदड़ की शुरुआत कैसे हुई? सच्चाई क्या है?

देखिए, असल में तो ये पूरा मामला अफवाहों की वजह से भड़का। कल्पना कीजिए – आप शांति से दर्शन कर रहे हैं और अचानक कोई चिल्लाने लगे कि मंदिर के पास कुछ बड़ा हादसा हो गया है। सच में, ऐसे में किसका दिल नहीं घबराएगा? लोगों में दहशत फैल गई और फिर जो हुआ सो हुआ… भगदड़ तो होनी ही थी।

2. इस घटना में कितने लोगों को जान गंवानी पड़ी?

ईमानदारी से कहूं तो ये आँकड़े पढ़कर दिल दहल जाता है। कुल 6 बेकसूर लोगों की जान चली गई – जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल थे। और हाँ, घायलों की संख्या तो और भी ज्यादा थी। बेहद दुखद।

3. क्या हरिद्वार में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं?

अरे भाई, दुर्भाग्य से ये कोई पहली बार नहीं है। 1986 की बात है न, तब भी मनसा देवी मंदिर के आसपास ऐसी ही भगदड़ हुई थी जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। सच कहूं तो हमारे तीर्थ स्थलों पर crowd management को लेकर हमेशा से लापरवाही रही है।

4. प्रशासन ने अब क्या कदम उठाए हैं?

तो अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में कुछ सुधार हुआ है? देखिए, कागजी तौर पर तो बहुत कुछ किया गया है – जैसे CCTV cameras लगाए गए हैं, security staff बढ़ाया गया है। लेकिन असल सवाल तो ये है कि क्या ये सब सिर्फ दिखावा है या फिर वाकई में काम आएगा? वैसे fake news फैलाने वालों के खिलाफ strict action की बात जरूर अच्छी लगी।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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