Site icon surkhiya.com

कैथल में दर्दनाक हादसा: तालाब में डूबे एक ही परिवार के 3 मासूम, गांव में मचा शोक

haryana accident 3 kids drown kaithal pond 20250710043009694061

कैथल का वो दर्दनाक दिन: एक ही परिवार के तीन मासूम तालाब में डूबे, पूरा गाँव रो पड़ा

हरियाणा के कैथल में सारण गाँव आज मातम में डूबा है। सोचिए, एक ही दिन में तीन बच्चे – नमन (8), वंश (6) और अक्ष (5) – खेलते-खेलते तालाब में समा गए। ये वही तालाब है जो बारिश में तो पानी से भर जाता है, लेकिन सुरक्षा? उसका कोई नामोनिशान नहीं। क्या ये पहली बार हुआ है? नहीं। लेकिन क्या कभी कोई सुध ली गई? आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं।

कहानी कुछ ऐसी है – तीनों भाई-बहन गाँव के उसी खतरनाक तालाब के किनारे खेल रहे थे जहाँ पहले भी कई दुर्घटनाएँ हो चुकी हैं। अचानक एक गलत कदम, और सब कुछ खत्म। गाँव वालों ने चीखें सुनीं, दौड़े… पर कुछ नहीं कर पाए। ईमानदारी से कहूँ तो, ये सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, एक सिस्टम की विफलता है। क्योंकि जब तक हमारे यहाँ सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, ऐसे हादसे होते रहेंगे।

पुलिस और प्रशासन तो हमेशा की तरह ‘कार्रवाई का वादा’ करने पहुँच गए। बच्चों के शव कैथल सिविल hospital ले जाए गए। मुआवजे की घोषणा भी हो गई – 5 लाख, 10 लाख… पर सच पूछो तो क्या ये पैसे किसी बाप के दर्द का इलाज कर सकते हैं? गाँव वालों का गुस्सा देखने लायक था। सब एक सुर में कह रहे थे – “अब बस! तालाब के चारों ओर boundary wall चाहिए, warning boards चाहिए!”

बच्चों के पिता की हालत… अरे भाई, शब्दों में बयां नहीं कर सकता। उनके आँसुओं में एक सवाल था: “सरकार कहाँ थी जब हमारे बच्चों की जान जा रही थी?” गाँव के प्रधान ने बताया कि उन्होंने कितनी बार अधिकारियों को इस तालाब के बारे में चेताया था। लेकिन सुनता कौन है? आज तो हमेशा की तरह ‘जाँच समिति’ बैठा दी जाएगी, कुछ फाइलें खुलेंगी, और फिर सब कुछ भुला दिया जाएगा।

इस घटना के बाद प्रशासन ने (हमेशा की तरह) सभी water bodies की जाँच का आदेश दे दिया है। पर सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ दिखावा है या कुछ ठोस होगा? मृतक परिवार को psychological counseling देने की बात भी हो रही है – जो कि बिल्कुल जरूरी है। लेकिन क्या हम सिर्फ घटना के बाद ही सोचेंगे? क्यों नहीं पहले से ही safety measures पर ध्यान देते?

सच कहूँ तो, ये घटना हमारे सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्या गाँवों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमारी सोच ही गड़बड़ है? कितने और नन्हें-मुन्हें इस तरह मरेंगे? सरकार, प्रशासन और हम सभी को मिलकर इस पर गंभीरता से काम करना होगा। वरना… अफसोस, ऐसी खबरें आती रहेंगी।

यह भी पढ़ें:

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version