दिल्ली-NCR में रात भर जो बारिश हुई, वो कहर बनकर टूटी! IMD का अलर्ट और भी डरावना
अरे भई! कल रात दिल्ली-NCR और आसपास के इलाकों में जो पानी बरसा, वो तो किसी बाढ़ जैसा था। सच कहूं तो मैं खुद अपने घर की बालकनी से देख रहा था – बारिश की बूंदें इतनी तेज कि लग रहा था कोई आसमान से पानी की बाल्टियां उड़ेल रहा हो! और ये तो बस शुरुआत है। IMD ने तो पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार समेत कई राज्यों के लिए ‘भारी से बहुत भारी’ बारिश का रेड अलर्ट जारी कर दिया है। सोचो अगर दिल्ली में इतनी मुसीबत हो रही है, तो उन इलाकों का क्या हाल होगा?
मानसून ने जोश दिखाया – परेशानी बढ़ा दी!
असल में देखा जाए तो ये सब बंगाल की खाड़ी और मन्नार की खाड़ी में चल रही मौसमी हलचल का नतीजा है। मानसून इतना सक्रिय क्यों हो गया? शायद ग्लोबल वार्मिंग का असर या फिर प्रकृति का अपना मिजाज। जून में ही दिल्ली-NCR ने सामान्य से ज्यादा बारिश झेली थी, और अब जुलाई में तो मानो बादलों ने कहर ढाने का ठेका ले लिया है। IMD वाले तो पहले ही चेता चुके थे – पर हम लोगों की आदत है न, चेतावनियों को हल्के में लेने की!
दिल्ली की सड़कें तो डूब ही गईं, पर और कहाँ-कहाँ मची तबाही?
दिल्ली-NCR में सुबह का ट्रैफिक तो पूरी तरह चौपट हो गया। मेरे दफ्तर जाने वाले साथी ने तो WhatsApp पर मैसेज किया – “भाई, आज तो घर से निकलना ही मत। सड़कें नहीं, नहरें बन गई हैं!” और दिल्ली तो बस एक उदाहरण है। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में नदियां उफान पर हैं, बिहार के किसान परेशान हैं, और पूर्वोत्तर में तो भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। IMD का कहना है कि अगले 48 घंटे और मुश्किल ला सकते हैं। सच में डरावना है!
अधिकारी क्या कह रहे हैं? आम लोग क्या झेल रहे हैं?
दिल्ली आपदा प्रबंधन वालों ने तो अपनी टीमें तैनात कर दी हैं, पर असली कहानी तो आम लोगों की है। रोहिणी के रहने वाले राजेश भाई ने बताया, “साहब, मैं तो दो घंटे से अपनी कार में फंसा हूँ। Office का मीटिंग मिस हो गया, बॉस गुस्से में हैं!” और IMD के वैज्ञानिकों का कहना है कि ये मानसूनी रौद्र रूप अभी और दिखाएगा। मतलब? और बारिश, और परेशानियाँ!
आने वाले दिन: क्या होगा अब?
IMD की भविष्यवाणी डरा देने वाली है – अगले दो दिन और ऐसी ही भीषण बारिश। शहरों में जाम, गांवों में बाढ़, पहाड़ों पर भूस्खलन। NDRF वाले तैयार हैं, पर हमें भी तो सतर्क रहना होगा न? मेरा सुझाव? घर से बेवजह न निकलें, हेल्पलाइन नंबर हाथ में रखें, और पड़ोसियों की मदद के लिए तैयार रहें। क्योंकि जब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है, तो साथ मिलकर ही इससे निपटा जा सकता है।
एक बात और – मौसम विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से लीजिए। कल तक जो मजाक लग रहा था, आज वही हकीकत बनकर सामने आ गया है। सावधानी हटी, दुर्घटना घटी वाली कहावत याद रखिएगा!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com