हिमाचल के सराज में सर्च ऑपरेशन: ITBP और NDRF वापस, पर 27 लोग अब भी ‘घर नहीं लौटे’
क्या आपने कभी सोचा है कि प्रकृति कितनी बेरहम हो सकती है? हिमाचल के मंडी जिले की सराज घाटी में हाल की घटनाएं इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। भारी बारिश और भूस्खलन ने जो तबाही मचाई, उसकी कहानी सुनकर रूह कांप जाती है। सेना, वायुसेना, NDRF और ITBP ने जमकर मेहनत की… लेकिन अब ITBP और NDRF की टीमें वापस बुला ली गई हैं। हैरानी की बात तो ये कि 27 लोग अभी भी लापता हैं – यानी 27 परिवारों की रातों की नींद और दिन का चैन छिना हुआ है। अब सर्च ऑपरेशन की जिम्मेदारी SDRF, होमगार्ड और स्थानीय पुलिस पर है। सच कहूं तो, ये स्थिति किसी भी दिल को बेचैन कर देने वाली है।
पूरा मामला क्या है?
पिछले हफ्ते की बात है – सराज घाटी में बारिश ने जैसे कहर ढा दिया। इतनी तेज बारिश कि सड़कें और पुल बह गए। मानो प्रकृति ने अपना गुस्सा निकाल दिया हो। सरकार ने तुरंत सेना, वायुसेना और NDRF को भेजा। हेलिकॉप्टर से लेकर जमीनी दलों तक… सैकड़ों लोगों को सुरक्षित निकाला गया। पर एक कड़वी सच्चाई ये भी है कि 27 लोगों का आज तक कोई सुराग नहीं। क्या ये सिस्टम की विफलता है? या फिर प्रकृति के आगे इंसान की सीमाएं? सोचने वाली बात है।
अभी का हाल: क्या चल रहा है?
अब स्थिति ये है कि ITBP और NDRF की टीमें वापस लौट चुकी हैं। सर्च ऑपरेशन अब SDRF, होमगार्ड और स्थानीय पुलिस के हाथों में है। पर मुश्किल ये कि मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में फिर बारिश की चेतावनी दे दी है। यानी और मुश्किलें आने वाली हैं। हेलिकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन ये दुर्गम इलाके… समझिए ना, यहां तो पैदल चलना भी मुश्किल है।
लोग क्या कह रहे हैं?
हिमाचल सरकार ने मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रभावित परिवारों से संपर्क किया है। लेकिन ग्राउंड रियलिटी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। स्थानीय लोगों का कहना है – “अगर समय पर मदद मिलती, तो शायद जाने कम जाती।” कुछ NGO वालों ने तो सीधे सरकार पर सवाल उठा दिए हैं। उनका कहना है कि ऐसी आपदाओं के लिए हम अभी भी पूरी तरह तैयार नहीं। सच्चाई ये है कि जब तक हमारी तैयारियां बेहतर नहीं होंगी, ऐसी त्रासदियां होती रहेंगी।
आगे की राह: क्या उम्मीद करें?
लापता लोगों की तलाश जारी रहेगी, पर मौसम की मार के आगे ये आसान नहीं। सरकार ने पुनर्वास कार्य शुरू करने की बात कही है। पर सवाल ये है कि क्या हम सच में सीख रहे हैं? विशेषज्ञ तो यही कहते हैं कि हिमालयी इलाकों में climate change की वजह से ऐसी घटनाएं बढ़ेंगी। फिर क्यों नहीं हमारी तैयारियां बेहतर हो रही? Infrastructure, early warning systems… ये सब तो बनने चाहिए ना? Long-term planning की बातें होती हैं, पर अमल कहां होता है?
सच तो ये है कि सराज घाटी की ये त्रासदी हमें एक बार फिर झकझोर गई है। 27 लापता लोग… यानी 27 कहानियां जो अधूरी हैं। सरकारी प्रयासों पर सवाल तो उठेंगे ही, लेकिन क्या हम सच में इससे सबक लेंगे? या फिर अगली बार फिर वही रोना-धोना? प्रकृति के आगे इंसान की सीमाएं हैं, लेकिन तैयारियां तो हम बेहतर कर ही सकते हैं… है ना?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com