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हीराकुंड बांध: दुनिया का सबसे लंबा बांध जिसने महानदी को वश में किया!

हीराकुंड बांध: जब बारिश ने खतरे की घंटी बजा दी

ओडिशा का हीराकुंड बांध फिर चर्चा में है। 6 जुलाई को हुई भारी बारिश के बाद बांध का पानी खतरे के निशान को छूने लगा – और प्रशासन को इस साल पहली बार गेट खोलकर पानी छोड़ना पड़ा। सोचिए, जब 27 किलोमीटर लंबा यह दैत्याकार बांध भी पानी से लबालब भर जाए, तो स्थिति कितनी गंभीर होगी? संबलपुर के आसपास के गाँवों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। असल में, यह सिर्फ एक बांध की कहानी नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में हमारी नाकामियों की दास्तान है।

जब 1957 का बना बांध आज की चुनौतियों से जूझे

दुनिया के सबसे लंबे बांध का ताज पहनने वाला हीराकुंड… सच कहूँ तो यह ओडिशा की जीवनरेखा है। सिंचाई हो या बिजली उत्पादन – यह बांध दशकों से राज्य की जरूरतें पूरी करता आया है। लेकिन इस बार? हालात बदतर हैं। मानसून ने जैसे अपना रुख ही बदल लिया हो। पहले जहाँ बारिश धीरे-धीरे आती थी, अब एक साथ इतना पानी गिर जाता है कि बांध भी हांफने लगता है। और यह कोई पहली बार नहीं है – बस हर बार स्थिति पहले से ज्यादा खराब होती जा रही है।

अभी क्या हो रहा है?

तो नंबर्स की बात करें तो जलस्तर 630 फीट को पार कर चुका है। प्रशासन ने 10 गेट खोल दिए हैं, लेकिन यह कोई आसान फैसला नहीं था। एक तरफ बांध की सुरक्षा, दूसरी तरफ नदी किनारे बसे हजारों लोगों की जान… स्थिति गंभीर है, पर अच्छी खबर यह है कि अभी तक कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। हालाँकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार पानी का बढ़ना बिल्कुल अलग लेवल पर है।

क्या कह रहे हैं लोग?

सरकार कह रही है कि सब कंट्रोल में है। पर गाँव वालों की आवाज सुनिए – “हर साल यही डर… पर इस बार तो पानी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया!” पर्यावरणविदों की चिंता और भी गहरी है। उनका मानना है कि यह सिर्फ एक बांध की समस्या नहीं, बल्कि पूरे देश में जल प्रबंधन की विफलता है। और सच कहूँ तो, उनकी बात में दम भी है।

आगे क्या?

अगर बारिश यूँ ही जारी रही तो? राहत शिविर तैयार हैं, लेकिन क्या यही समाधान है? विशेषज्ञों की राय साफ है – पुराने तरीके अब काम नहीं आएंगे। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में हमें अपने बांधों के प्रबंधन पर नए सिरे से सोचना होगा। वरना… अगली बार शायद हम इतने भाग्यशाली न हों।

तो कुल मिलाकर? हीराकुंड बांध की यह घटना हमारे लिए एक वेक-अप कॉल है। समय आ गया है कि हम ‘जैसा चल रहा है चलने दो’ वाली सोच को बदलें। क्योंकि अगला खतरनाक मानसून कब आ जाए, कोई नहीं जानता। और तब शायद हमारे पास रिएक्ट करने का भी टाइम न हो।

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अरे भाई, Hirakud Dam के बारे में बात करें तो यह सिर्फ़ एक बांध नहीं, बल्कि ओडिशा का गर्व है! क्या आप जानते हैं कि यह भारत की इंजीनियरिंग मास्टरपीस में से एक है? मतलब, सोचिए – महानदी जैसी ताकतवर नदी को कंट्रोल करना… ये कोई मामूली बात थोड़े ही है।

असल में, इसका निर्माण कहानी ही कुछ ऐसी है जैसे कोई बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर – संघर्ष, जुनून और फिर कामयाबी! और सच कहूं तो, जब भी मैं इसके बारे में पढ़ता हूं, गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। ये बांध न सिर्फ़ बिजली और सिंचाई देता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को सिखाता है कि मुश्किलों से कैसे जीता जाता है। एकदम ज़बरदस्त उदाहरण है यार!

तो अब सवाल यह उठता है – क्या हम इस तरह के प्रोजेक्ट्स को सिर्फ़ इंजीनियरिंग वंडर समझकर छोड़ दें? नहीं भई! ये तो हमारे संकल्प की मिसाल है… और हां, tourism के लिहाज से भी ये जगह कमाल की है। जाना चाहिए कभी!

हीराकुंड बांध – वो सारे सवाल जो आप पूछना चाहते थे!

हीराकुंड बांध कहाँ है और ये कितना बड़ा है?

देखिए, अगर आप ओडिशा जाएँ और महानदी के किनारे खड़े हो जाएँ, तो आपको एक ऐसी चीज़ दिखेगी जो दूर तक फैली है – ये है हीराकुंड बांध। सच कहूँ तो पहली बार देखने पर यकीन नहीं होता कि कोई बांध इतना लंबा हो सकता है! 26 किलोमीटर (या 16 मील) का ये बांध दुनिया में सबसे लंबा है। एक तरफ से दूसरी तरफ देखो तो सिर्फ पानी और पानी नज़र आता है।

आखिर क्यों बनाया गया था ये विशालकाय बांध?

असल में बात ये है कि महानदी कभी-कभी बहुत उफान पर आ जाती थी। तो सोचा गया कि क्यों न इसके पानी को कंट्रोल किया जाए? बाढ़ रोकने के अलावा, यहाँ से खेतों की सिंचाई भी होती है और सबसे मजेदार बात – यहाँ से बिजली भी पैदा होती है! Hydroelectric power के नाम पर। तीन फायदे एक साथ – क्या कहने!

कब बना था ये ऐतिहासिक बांध?

ये काम 1948 में शुरू हुआ था… उस वक्त भारत अभी नया-नया आज़ाद हुआ था। पूरा होने में 9 साल लगे और 1957 में तत्कालीन PM पंडित नेहरू ने इसे देश को समर्पित किया। सोचिए, उस ज़माने में इतना बड़ा प्रोजेक्ट! आज भी ये इंजीनियरिंग का करिश्मा है।

क्या आम लोग यहाँ जा सकते हैं? और देखने लायक क्या है?

बिल्कुल! मेरा तो मानना है कि हर भारतीय को कम से कम एक बार यहाँ जरूर आना चाहिए। बांध का view तो ऐसा है कि कैमरा निकालने को मन करेगा। गांधी मीनार और नेहरू मीनार पर चढ़कर पूरा नज़ारा देख सकते हैं। अगर आपको जानवर पसंद हैं तो पास का wildlife sanctuary भी घूम आइए। और हाँ, boat ride का मजा लेना न भूलें – पानी पर तैरते हुए बांध देखने का अलग ही अनुभव है!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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