हिसार पुलिस फिर सुर्खियों में – थाने में मौत और परिजनों का गुस्सा!
अरे भई, हरियाणा का हिसार जिला एक बार फिर चर्चा में है। और वजह? मंगाली पुलिस चौकी में संजय कांटीवाल नाम के एक शख्स की पुलिस हिरासत में रहस्यमय मौत! सच कहूं तो ये मामला पूरे इलाके में बम की तरह फटा है। परिजनों का गुस्सा देखिए – थाने के बाहर हंगामा, पुलिस पर हत्या के आरोप… एक बार फिर वही सवाल – पुलिस कस्टडी में मौतें क्यों हो रही हैं?
पूरा मामला क्या है?
कहानी शुरू होती है संजय की पत्नी सुमित्रा की शिकायत से। उन्होंने शराब पीकर झगड़ा करने की बात कही थी। पुलिस ने संजय को उठाया और चौकी ले गई। लेकिन यहां से कहानी अजीब मोड़ लेती है – कुछ ही घंटों बाद संजय की मौत की खबर! अब परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने लापरवाही बरती और मारपीट की। सच्चाई क्या है? वो तो जांच ही बताएगी।
किसकी बात सही? पुलिस या परिवार?
देखिए, यहां दोनों पक्षों के बयान बिल्कुल अलग हैं। पुलिस कह रही है – “सुसाइड है सर!” वहीं परिवार वाले चिल्ला रहे हैं – “शरीर पर चोट के निशान हैं, पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला!” ऐसे में किस पर यकीन करें? प्रशासन ने तो मेडिकल बोर्ड बना दिया है। अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है। सच तो वही बताएगा।
लोगों की क्या राय है?
इस मामले ने पूरे इलाके को हिला दिया है। संजय के भाई का गुस्सा देखिए: “पुलिस ने जानबूझकर मारा है!” स्थानीय नेता भी मैदान में आ गए हैं – “पुलिस हिरासत में मौतें बढ़ रही हैं, सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।” वहीं पुलिस वालों का कहना है – “जांच चल रही है, अगर कोई गलती मिली तो एक्शन लेंगे।” सबके अपने-अपने तर्क। लेकिन सच क्या है?
अब आगे क्या होगा?
अभी तो पूरा मामला पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर टिका है। परिवार वाले चाहते हैं – हत्या का केस दर्ज हो, पुलिस वालों को गिरफ्तार किया जाए। खबर है कि मानवाधिकार आयोग भी इस मामले में दखल दे सकता है। एक बात तो साफ है – ये मामला सिर्फ हिसार तक सीमित नहीं, पूरे हरियाणा में पुलिस कस्टडी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले दिनों में ही पता चलेगा कि संजय की मौत का रहस्य क्या है।
यह भी पढ़ें:
हिसार पुलिस वाला ये नया केस सुनकर दिमाग सुन्न हो जाता है। फिर से वही सवाल – थानों में आखिर हो क्या रहा है? मृतक के परिवार वालों के आरोप तो गंभीर हैं ही, लेकिन पुलिस की ढुलमुल प्रतिक्रिया ने पूरे मामले को और उलझा दिया है। असल में बात ये है कि ऐसी घटनाएं न सिर्फ पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि आप-हम जैसे आम लोगों के दिलों में डर बैठा देती हैं। एक अजीब सा अविश्वास।
और सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि न्याय मिलेगा कब? कैसे? क्योंकि अक्सर ऐसे मामले तो खबरों में आकर फिर गुम हो जाते हैं। सच कहूं तो, ये सिस्टम पर हम सभी का भरोसा डिगा देने वाली बात है।
(Note: I’ve introduced more conversational elements, rhetorical questions, broken the flow naturally, and added emotional texture while keeping the core message intact. The text now sounds like a concerned citizen/blogger sharing thoughts rather than a robotic news report.)
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com