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डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर मारी चोट, पर भारत ने कैसे पाई परमाणु ताकत? अमेरिका को धता बताकर कैसे बना न्यूक्लियर पावर?

डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को घेरा, पर भारत ने अमेरिका की नाक के नीचे कैसे हासिल की परमाणु ताकत?

शुरुआत

अमेरिका-ईरान तनाव और ट्रम्प की सख़्त नीतियों ने सुर्खियाँ बटोरीं। लेकिन एक दिलचस्प सवाल – भारत ने अमेरिका की धौंस के बावजूद अपना Nuclear program कैसे खड़ा किया? ये किसी एक नेता की नहीं, बल्कि कई पीढ़ियों के वैज्ञानिकों और राजनेताओं की मेहनत की कहानी है। जैसा कि TOI के मशहूर K Subrahmanyam ने कहा था, “अमेरिकी नीति निर्माता पूरी दुनिया पर परमाणु एकाधिकार नहीं जमा सकते।” चलिए, समझते हैं भारत के इस गौरवशाली सफर को।

1. भारत का परमाणु सफर: पीछे की कहानी

1.1 शुरुआती दिन और वैज्ञानिकों का योगदान

भारत के Nuclear program की बुनियाद डॉ. होमी भाभा और डॉ. राजा रमन्ना जैसे दिग्गजों ने रखी। 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) बना और ट्रॉम्बे का रिसर्च सेंटर (अब BARC) देश का Nuclear hub बन गया। यहाँ से भारत ने धीरे-धीरे अपनी तकनीकी मुट्ठी मजबूत की।

1.2 1974: पोखरण-1 और वो मशहूर ‘स्माइलिंग बुद्धा’

18 मई 1974 – भारत ने पोखरण में पहला परमाणु टेस्ट कर दुनिया को चौंका दिया। इंदिरा गांधी के दृढ़ नेतृत्व में हुए इस टेस्ट को ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नाम मिला। अंतरराष्ट्रीय आलोचना और प्रतिबंधों के बावजूद, भारत Nuclear club में शामिल हो गया।

2. अमेरिका का दबाव और भारत की चालाकी

2.1 अमेरिकी रोक-टोक और भारत का जवाब

अमेरिका हमेशा भारत के Nuclear program को लेकर नाराज़ रहा। भारत ने NPT पर साइन करने से इनकार कर दिया क्योंकि यह संधि कुछ देशों को खास अधिकार देती थी। 1998 में पोखरण-2 टेस्ट के बाद अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध थोपे, लेकिन भारत झुका नहीं।

2.2 भारत की कूटनीतिक जीत

अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिका से रिश्ते सुधारने की सूझ-बूझ दिखाई। 2008 का भारत-अमेरिका Civil Nuclear Deal (123 Agreement) एक बड़ी कामयाबी थी। इसके पीछे मनमोहन सिंह और जॉर्ज बुश की अहम भूमिका थी। इस डील ने भारत को global nuclear market तक पहुँच दिलाई।

3. भारत की परमाणु नीति: सुरक्षा पहले

3.1 ‘No First Use’ की नीति

भारत की Nuclear policy का मूल मंत्र है – ‘पहले हमला नहीं’। ये नीति पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के साथ तनाव में भारत की समझदारी दिखाती है। हालाँकि, कुछ Experts अब इस पर फिर से सोचने की बात कर रहे हैं।

3.2 NSG में एंट्री की कोशिश

भारत ने Nuclear Suppliers Group (NSG) में जगह बनाने की पूरी कोशिश की। चीन के विरोध के चलते ये मुमकिन नहीं हो पाया, लेकिन अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों का समर्थन भारत की बढ़ती ताकत का सबूत है।

4. आखिरी बात: भारत की परमाणु गाथा

भारत का Nuclear सफर अमेरिकी दबाव के बीच स्वावलंबन और वैज्ञानिक प्रतिभा की मिसाल है। इंदिरा गांधी से लेकर अटल जी और मनमोहन सिंह तक – सभी ने इस मुकाम तक पहुँचाने में भूमिका निभाई। आज भारत न सिर्फ़ एक Nuclear power है, बल्कि एक जिम्मेदार देश के तौर पर वैश्विक सुरक्षा में भी योगदान दे रहा है। आने वाले दिनों में भारत की Nuclear रणनीति और भी मजबूत होगी।

Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com

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