how to play pokemon games in chronological order hindi 20250724225424548563

पोकेमॉन गेम्स को कालानुक्रमिक क्रम में कैसे खेलें? पूरी गाइड हिंदी में!

परिचय: पोकेमॉन की दुनिया में पहला कदम

अरे भाई, पोकेमॉन गेम्स की इस पागलपन भरी दुनिया में आपका स्वागत है! अब सवाल यह है कि कहां से शुरू करें? अगर आप नए player हैं या फिर सारे games को सही ऑर्डर में खेलना चाहते हैं, तो यह गाइड आपके लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। सच कहूं तो, 1996 में जब Pokémon Red और Green (जापान वाले, हमारे यहां तो Blue आया था न!) लॉन्च हुए थे, तब किसने सोचा था कि यह सीरीज इतनी बड़ी हो जाएगी? ग्राफिक्स से लेकर कहानी तक – हर चीज़ में जबरदस्त बदलाव आया है। इस आर्टिकल में हम न सिर्फ टाइमलाइन समझेंगे, बल्कि यह भी देखेंगे कि कैसे यह फ्रैंचाइज़ हर बार नई टेक्नोलॉजी के साथ अपने फैंस को चौंकाती रही है।

डिज़ाइन का सफर: पिकाचु की पिक्सल से HD तक की कहानी

देखिए न, पोकेमॉन गेम्स की डिज़ाइन ने तो जैसे कई जन्म ले लिए! शुरुआती दौर के Red और Blue को याद करें – वो 8-bit ग्राफिक्स, सिंपल इंटरफेस… Game Boy की लिमिटेशन्स के बावजूद क्या जादू था उनमें! लेकिन जैसे-जैसे टाइम बदला, DS आया तो ड्यूल स्क्रीन और टच कंट्रोल्स ने नया मोड़ दिया। और अब तो Switch पर Scarlet और Violet ने पूरी तरह ओपन-वर्ल्ड 3D एनवायरनमेंट ले आए हैं। एक तरफ तो यह सब इंप्रेसिव है, पर सच पूछो तो कभी-कभी पुराने पिक्सल वाले दिन भी याद आ जाते हैं!

डिस्प्ले टेक्नोलॉजी: काला-सफेद से 3D तक का सफर

असल में, पोकेमॉन गेम्स की डिस्प्ले टेक्नोलॉजी की कहानी तो खुद में एक पूरी पीएचडी थीसिस है! Game Boy के उस मोनोक्रोम डिस्प्ले से शुरू हुआ सफर आज HD ग्राफिक्स तक पहुंच गया। 3DS वाले दौर में तो स्टीरियोस्कोपिक 3D इफेक्ट ने दिमाग ही घुमा दिया था। Sword/Shield के बाद से तो डायनामिक लाइटिंग और डिटेल्ड टेक्स्चर्स ने गेम को और भी रिच बना दिया। पर एक बात – क्या आपने नोटिस किया कि पुराने स्प्राइट मूवमेंट्स की अपनी एक अलग ही खूबसूरती थी?

गेमप्ले इवोल्यूशन: नया तो है, पर पुराना भी याद है!

ईमानदारी से कहूं तो, पोकेमॉन का कोर बैटल सिस्टम तो वही पुराना वाला है… लेकिन! यहाँ बड़ा ‘लेकिन’ आता है। abilities, held items और physical/special split जैसी चीज़ों ने गेम की स्ट्रैटेजिक डेप्थ को कई गुना बढ़ा दिया। Mega Evolutions, Z-Moves, Dynamax – ये सब नए फीचर्स तो शानदार हैं, पर कभी-कभी लगता है कि क्या यह सब ज़रूरी था? और हां, technical issues तो रहे हैं – Diamond/Pearl की स्लो परफॉर्मेंस या Scarlet/Violet के frame rate drops ने तो खैर खूब सिरदर्द दिया। पर Game Freak ने updates के जरिए कुछ ठीक भी किया है।

कैमरा और स्टोरीटेलिंग: सिंपल टेक्स्ट से सिनेमैटिक्स तक

इसे ऐसे समझिए – पोकेमॉन के कैमरा एंगल्स की कहानी तो खुद एक ड्रामा सीरीज है! शुरुआत में तो बस साधारण सा टॉप-डाउन व्यू था। फिर X/Y में थर्ड-पर्सन एंगल्स आए, और अब Legends: Arceus ने तो पूरा कंट्रोलेबल कैमरा सिस्टम दे दिया। स्टोरीटेलिंग? अरे भाई, पुराने टेक्स्ट बॉक्स वाले दिनों से लेकर अब के सिनेमैटिक कटसीन्स तक का सफर तो देखने लायक है। हालांकि… वॉइस एक्टिंग की कमी अभी भी खलती है। पर एनवायरनमेंटल स्टोरीटेलिंग में जो सुधार आया है, वह सच में तारीफ के काबिल है।

बैटरी लाइफ: पोर्टेबिलिटी का राज़

पोकेमॉन गेम्स की सबसे बड़ी खूबी? जहां चाहो वहां खेलो! original Game Boy पर तो 15-20 घंटे की बैटरी लाइफ के साथ ये परफेक्ट ट्रैवल कंपेनियन थे। DS और 3DS पर भी यह सिलसिला जारी रहा, हालांकि 3D इफेक्ट्स ने बैटरी को जल्दी खत्म कर दिया। अब Switch पर तो स्थिति थोड़ी अलग है – Let’s Go Pikachu/Eevee जैसे गेम्स तो ठीक हैं, लेकिन Scarlet/Violet तो बैटरी को पानी की तरह पी जाते हैं! एक छोटी सी टिप – हैंडहेल्ड मोड में ग्राफिक्स क्वालिटी को थोड़ा कम करके बैटरी लाइफ बढ़ा सकते हैं।

फायदे और नुकसान: एक निष्पक्ष नज़र

क्या है खास:

  • 25 साल से चल रही यह rich lore और विशाल यूनिवर्स – सच में अद्भुत!
  • गेमप्ले – सीखना आसान, मास्टर करना मुश्किल (जैसे चेस!)
  • हर नए जनरेशन के साथ fresh features – नई रंगत
  • नॉस्टैल्जिया के साथ-साथ नए players के लिए भी दिलचस्प

कुछ कमियां भी तो हैं:

  • Technical issues – खासकर नए गेम्स में परफॉर्मेंस प्रॉब्लम्स
  • कीमत – $60 तक? थोड़ा ज्यादा नहीं लगता?
  • पुराने गेम्स नए हार्डवेयर पर नहीं चलते – दुखद सच्चाई
  • कभी-कभी लगता है फॉर्मूला थोड़ा रिपीटेटिव हो गया है

अंतिम विचार: इस जर्नी को कैसे शुरू करें?

तो दोस्तों, पोकेमॉन गेम्स को सही क्रम में खेलना एक अनोखा अनुभव हो सकता है। हालांकि हर गेम टेक्निकली स्टैंडअलोन है, पर रिलीज ऑर्डर में खेलने से आप इसके इवोल्यूशन को बेहतर समझ पाएंगे। पुराने गेम्स आज के स्टैंडर्ड पर खरे नहीं उतरते, मगर उनका अपना एक अलग ही चार्म है। और हां, नए गेम्स के टेक्निकल इश्यूज़ के बावजूद, पोकेमॉन का जादू अभी भी कायम है। अगर शुरुआत करनी है तो मेरी सलाह – FireRed/LeafGreen (Gen 1 remake) या X/Y (Gen 6) से स्टार्ट करें। एकदम मस्त एक्सपीरियंस होगा! सच कहूं तो…

यह भी पढ़ें:

पोकेमॉन गेम्स को क्रम से खेलना क्यों है मजेदार? आपके सारे सवालों के जवाब!

1. भाई, क्या सच में पोकेमॉन गेम्स को ऑर्डर में खेलना ज़रूरी है?

देखो, ज़रूरी तो नहीं… लेकिन अगर तुम्हें पूरी कहानी का मज़ा लेना है तो हाँ! यह ऐसा ही है जैसे किसी web series को पहले सीज़न से देखना। फिर तुम्हें पता चलता है कि पिकाचू से लेकर नए पोकेमॉन तक सब कैसे evolve हुए। और सच कहूँ तो, गेम के features भी समझ में आते हैं – जैसे कि जब पहली बार day-night cycle आया था Gold/Silver में। याद है?

2. सारे गेम्स खेलने का टाइम नहीं है… कोई शॉर्टकट बताओ!

अरे भई, मैं भी नहीं खेल पाया सारे! असल में बस main generations के games खेल लो – Red/Blue, Gold/Silver वगैरह। Spin-offs तो बाद में भी चल जाएँगे। मेरी personal suggestion? Ruby/Sapphire तक खेल लो, बाकी तो ऑप्शनल है। हालांकि Black/White का storyline तो एकदम ज़बरदस्त है… सोचना पड़ेगा!

3. भ्रम में हूँ… सही ऑर्डर क्या है भाई?

चलो समझाता हूँ आसान भाषा में:
• पहले तो वो पुराने pixel वाले games (Red/Blue)
• फिर थोड़े improved Gold/Silver
• फिर color बढ़िया हो गया Ruby/Sapphire में
• ऐसे ही चलता रहा Diamond/Pearl, Black/White तक
• नए ज़माने के X/Y, Sun/Moon
• और अब तो open world आ गया Scarlet/Violet में!

एकदम सीधा सा फ्लो है, है ना? लेकिन हाँ, remakes को लेकर थोड़ा confusion होता है।

4. यार, मेरे पास तो पुराना Game Boy भी नहीं… कैसे खेलूँ?

अबे tension मत लो! Nintendo ने तो हमारी सारी problems solve कर दी हैं। Virtual Console से लेकर Switch Online तक सब कुछ available है। और सुनो – Let’s Go Pikachu तो Red/Blue का ही modern version है… graphics देखकर मुँह खुला का खुला रह जाता है! मेरा तो suggestion यही है कि remakes ही खेलो, original की nostalgia के साथ-साथ नए features का भी मज़ा ले पाओगे।

Source: IGN – All Games | Secondary News Source: Pulsivic.com

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