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“IGNOU की डिग्री पर हाई कोर्ट का बड़ा बयान: व्यवस्था पर उठाए सवाल, कहा- ‘शक नहीं, लेकिन…'”

IGNOU की डिग्री पर हाई कोर्ट का बड़ा बयान: ‘शक नहीं, लेकिन…’ सिस्टम पर सवाल!

अरे भाई, केरल हाई कोर्ट ने तो IGNOU और दूसरे केंद्रीय विश्वविद्यालयों की डिग्रियों को लेकर एक ऐसा बयान दे दिया है जिसने पूरे एजुकेशन सेक्टर को हिला कर रख दिया है। सोचिए, UGC से मान्यता प्राप्त डिग्रियों के लिए फिर से Equivalence Certificate मांगना? कोर्ट ने साफ कहा – यह न सिर्फ बेकार की परेशानी है, बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था के लिए एक ‘रेड अलर्ट’ जैसा है। और सच कहूं तो यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब लाखों students को IGNOU जैसे बड़े संस्थानों से मिली डिग्रियों को साबित करने के लिए कागजी खानापूर्ति में उलझाया जा रहा है। बड़ी विडंबना है न?

पूरा मसला क्या है? समझिए

देखिए, IGNOU और दूसरे केंद्रीय विश्वविद्यालयों की डिग्रियां तकनीकी रूप से तो UGC से मान्यता प्राप्त हैं, मगर सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में इन्हें स्वीकार करने से पहले Equivalence Certificate की मांग की जाती रही है। मतलब? सीधी सी बात – एक तरफ तो सरकार IGNOU को मान्यता देती है, दूसरी तरफ उसी सरकार के दफ्तर उसकी डिग्रियों पर सवाल उठाते हैं। क्या यह बेतुका नहीं लगता? इस bureaucratic रस्म ने न जाने कितने students के करियर को धीमा कर दिया है। और हां, टेंशन और पैसों का नुकसान तो अलग से!

कोर्ट ने क्या कहा? जानिए असली बात

केरल हाई कोर्ट ने तो इस पूरे चक्कर को लेकर जोरदार टिप्पणी की है। कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि UGC मान्यता प्राप्त डिग्रियों के लिए Equivalence Certificate मांगना पूरी तरह से “भ्रम फैलाने वाला” है। जज साहब ने तो यहां तक कहा, “हमें इन संस्थानों की डिग्रियों पर कोई शक नहीं, लेकिन यह अनावश्यक प्रक्रिया पूरी शिक्षा व्यवस्था में अविश्वास पैदा कर रही है।” सच कहूं तो यह बात तो हम सब जानते थे, मगर अब कोर्ट ने इसे आवाज़ दे दी है। अब केरल सरकार और UGC से जवाब मांगा गया है – आखिर यह अतिरिक्त शर्तें क्यों?

किसने क्या कहा? प्रतिक्रियाएं

इस फैसले पर सबकी अपनी-अपनी राय है। Students तो बेहद खुश हैं – उनके लिए यह एक बड़ी राहत की बात है। IGNOU वालों ने भी कहा है कि उनकी डिग्रियां पूरी तरह वैध हैं और Equivalence Certificate की मांग बेबुनियाद है। कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि इससे न सिर्फ सिस्टम में पारदर्शिता आएगी, बल्कि students का कीमती समय और पैसा भी बचेगा। पर सच पूछो तो, क्या यह सब बहुत पहले नहीं हो जाना चाहिए था?

आगे क्या? भविष्य के असर

अगर कोर्ट का यह विचार अंतिम फैसला बन जाता है, तो इसके बड़े परिणाम होंगे। सोचिए – पूरे देश में UGC मान्यता प्राप्त डिग्रियों के लिए यह अनावश्यक औपचारिकता खत्म हो सकती है। Higher education और सरकारी नौकरियों में students के लिए प्रक्रियाएं आसान हो सकती हैं। यह मामला भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। एक तरह से देखें तो, मान्यता प्राप्त संस्थानों से मिली डिग्रियों पर बार-बार सवाल उठाने की इस प्रथा का अंत हो सकता है।

अंत में यही कहूंगा – केरल हाई कोर्ट की यह टिप्पणी IGNOU और अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लाखों छात्रों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। अब सबकी नजरें अगली सुनवाई पर हैं। एक बात तो तय है – यह मामला नौकरियों और उच्च शिक्षा में मान्यता से जुड़ी जटिलताओं को दूर करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। क्या आपको नहीं लगता?

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IGNOU की डिग्री पर HC का बयान: क्या सच में है चिंता की बात?

अरे भाई, इन दिनों तो IGNOU वालों के सिर पर हाई कोर्ट का बयान सवार है। लेकिन सच क्या है? क्या वाकई डिग्री का भविष्य खतरे में है? चलो, बिना डराए सच्चाई जानते हैं।

1. हाई कोर्ट ने IGNOU को लेकर क्या बम फोड़ा?

देखो, कोर्ट ने सीधे-सीधे डिग्री को invalid तो नहीं कहा। लेकिन सिस्टम में दिक्कतें जरूर निकाली हैं। असल में, examination और evaluation प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए हैं। मानो कह रहे हों – “डिग्री ठीक है, पर सिस्टम में सुधार की जरूरत है।”

2. पैनिक न करें! क्या डिग्री अब कचरे के डिब्बे में जाएगी?

अरे नहीं यार! IGNOU की डिग्री आज भी उतनी ही valid है जितनी पहले थी। कोर्ट ने सिर्फ यूनिवर्सिटी को कुछ सुधार करने को कहा है। सच कहूं तो ये तो रोज का मामला है – सरकारी संस्थानों को हमेशा सुधार की नसीहत मिलती रहती है।

3. करंट स्टूडेंट्स के लिए क्या मायने हैं ये?

तो अभी तक तो कोई भूचाल नहीं आया है। लेकिन हां, आने वाले दिनों में exam पैटर्न या evaluation में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। पर याद रखो – बदलाव हमेशा बुरा नहीं होता। कभी-कभी तो ये सुधार ही बेहतर भविष्य की नींव रखते हैं।

4. सबसे बड़ा सवाल: अब भी IGNOU में एडमिशन लूं या नहीं?

सुनो, IGNOU आज भी UGC से मान्यता प्राप्त है। पूरे देश में इसकी वैल्यू है। लेकिन मेरी मानो तो – admission से पहले university की official website चेक कर लो। Court के आदेशों पर भी नजर रखो। वैसे personal opinion दूं? Distance education में IGNOU अभी भी सबसे भरोसेमंद नामों में से एक है।

फिलहाल तो बस इतना ही! कोई सवाल हो तो कमेंट में पूछ लेना। और हां, शेयर जरूर करना – क्या पता किसी के काम आ जाए। 😊

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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