चीन-पाकिस्तान की नींद उड़ा दी! अब फ्रांस-अमेरिका से इंजन की ‘भीख’ नहीं मांगनी पड़ेगी
अरे भाई, क्या बात है! भारत ने रक्षा तकनीक के मामले में ऐसा धमाका किया है कि पड़ोसियों के होश उड़ गए। तीन तरह के इंजन? स्वदेशी? सच में? हां, आपने सही सुना। और इसमें कावेरी मरीन गैस टरबाइन भी शामिल है – जो हमारे नौसेना के जहाजों को नई ताकत देगा। अब सवाल यह है कि चीन और पाकिस्तान इस खबर को पचा कैसे पाएंगे? क्योंकि अब हमें फ्रांस या अमेरिका के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा। बस, खुद पर भरोसा। जबरदस्त, है न?
कितने सालों का इंतज़ार रहा यार!
सच कहूं तो, ये दिन देखने के लिए हमें 30-40 साल इंतज़ार करना पड़ा। हमारे लड़ाकू विमान हो या नौसेना के जहाज – सब विदेशी इंजनों पर निर्भर थे। फ्रांस, अमेरिका, रूस… सबके सामने गिड़गिड़ाना पड़ता था। और जब आप दूसरों पर निर्भर होते हैं, तो वो आपकी नीतियों पर दबाव भी डालते हैं। लेकिन अब? DRDO और हमारे वैज्ञानिकों ने मिलकर ये नया इतिहास रच दिया है। थोड़ा सा गर्व महसूस हो रहा है न?
देखो तो सही, हम भी क्या-क्या बना सकते हैं!
असल में बात ये है कि ये तीनों इंजन पूरी तरह ‘मेड इन इंडिया’ हैं। और सिर्फ बने ही नहीं हैं, अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड्स पर भी खरे उतरते हैं। कावेरी मरीन गैस टरबाइन तो खास हमारे नौसेना के जहाजों के लिए डिज़ाइन किया गया है। समझो अब हमारी समुद्री सीमाएं और मजबूत होंगी। बाकी दो इंजनों की बात करें तो… सच कहूं? ये साबित करते हैं कि हम अब रक्षा तकनीक में बड़े खिलाड़ी बन रहे हैं। और तो और, अब हम दूसरे देशों को भी इंजन एक्सपोर्ट कर सकते हैं। कमाल की बात है!
दुनिया क्या कह रही है?
रक्षा मंत्रालय तो खुशी से झूम ही रहा है। उनका कहना है – “ये आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है।” एक अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि अब विदेशी इंजनों की ज़रूरत नहीं। मतलब साफ है – पूरी आज़ादी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न सिर्फ हमारी सैन्य ताकत बढ़ेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा। और हां, चीन-पाकिस्तान वालों की चिंता बढ़ गई है। क्योंकि अब हम किसी के मोहताज नहीं रहे।
आगे की राह – क्या होगा अब?
तो अब क्या? अब इन इंजनों को बड़े पैमाने पर बनाना शुरू करेंगे। हमारे लड़ाकू विमानों में, नौसेना के जहाजों में – हर जगह यही इंजन दिखेंगे। और सुनिए, हम इन्हें दूसरे देशों को बेचने की भी योजना बना रहे हैं। पैसा कमाने का नया ज़रिया मिल गया न? भविष्य में DRDO और भी एडवांस्ड इंजन बनाएगा। कौन जाने, एक दिन हम रक्षा तकनीक में दुनिया का नेतृत्व करें। सपना बड़ा है, लेकिन नामुमकिन नहीं!
आखिर में बस इतना कहूंगा – ये कदम सिर्फ हमारी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ के सपने को सच करने के लिए भी है। अब दुनिया को दिखा दो कि भारत भी कुछ कर सकता है। गेम-चेंजर बनने का वक्त आ गया है!
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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com