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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की बड़ी चाल! 52 सैटेलाइट्स से बनेगी मजबूत वॉर प्लानिंग

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भारत की बड़ी चाल: 52 सैटेलाइट्स से क्या बदलेगा हमारी वॉर प्लानिंग?

देखिए, भारत ने आखिरकार वो कदम उठा ही लिया जिसका इंतज़ार सुरक्षा विशेषज्ञ सालों से कर रहे थे। ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी के बाद अब सरकार ने 52 नए मिलिट्री सर्विलॉन्स सैटेलाइट्स भेजने का फैसला किया है। सच कहूँ तो, ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। अब हमारी सेना दुश्मनों की हर हरकत पर नज़र रख पाएगी – रियल-टाइम में! आज के ज़माने में जहाँ स्पेस टेक्नोलॉजी हीरो बन चुकी है, ये मूव भारत को कितना आगे ले जाएगा, अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं।

सिंदूर से स्पेस तक: कैसे बदला हमारा डिफेंस गेम?

याद है न ऑपरेशन सिंदूर? वो तो बस शुरुआत थी। पिछले कुछ सालों में हमने अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कई बड़े फैसले लिए हैं। लेकिन अब बात सिर्फ़ ज़मीन की नहीं, अंतरिक्ष की भी हो रही है। और सच तो ये है कि चीन-पाकिस्तान जैसे पड़ोसी जब अपनी मिलिट्री टेक्नोलॉजी को अपग्रेड कर रहे हों, तो हमें भी तो कुछ करना ही था न? GSAT और RISAT सैटेलाइट्स तो हम लॉन्च कर चुके हैं, पर ये नया प्रोजेक्ट तो कुछ अलग ही लेवल का है। एक तरह से देखें तो ये हमारे लिए स्पेस में जीरो से हीरो बनने का मौका है!

52 सैटेलाइट्स की पावर: असली गेम-चेंजर क्या होगा?

अब सवाल ये उठता है कि आखिर इन 52 सैटेलाइट्स में ऐसा क्या खास होगा? दरअसल, इनमें से ज़्यादातर हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरों और एडवांस्ड रडार से लैस होंगे। मतलब साफ है – 24/7 निगरानी, कोई छूटेगा नहीं! ISRO और DRDO मिलकर अगले दो साल में इन्हें चरणों में लॉन्च करेंगे। विशेषज्ञों की मानें तो ये सिस्टम हमें ऐसी इंटेलिजेंस देगा जिससे सीमा पर होने वाली किसी भी घुसपैठ को पहले ही पकड़ लेना संभव होगा। सोचिए, ये कितना बड़ा बदलाव लाएगा हमारी सुरक्षा व्यवस्था में!

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स और सरकार?

इस प्रोजेक्ट पर एक्सपर्ट्स की राय? एक शब्द में कहूँ तो – “जबरदस्त!” कई लोग इसे चीन को सीधी चुनौती बता रहे हैं। रक्षा मंत्रालय तो इसे “गेम-चेंजर” कहने से भी पीछे नहीं हट रहा। हाँ, विपक्ष ने खर्चे को लेकर सवाल ज़रूर उठाए हैं, पर उन्हें भी मानना पड़ा कि रणनीतिक तौर पर ये कदम बेहद अहम है। सच पूछो तो, जब सुरक्षा की बात आती है, तो खर्चे पर बहस करना थोड़ा बेमानी लगता है।

आगे क्या? भविष्य की योजनाएं

अभी तो ये सिर्फ शुरुआत है। ISRO और DRDO पहले से ही नए और ज़्यादा एडवांस्ड सैटेलाइट सिस्टम्स पर काम कर रहे हैं। लक्ष्य साफ है – स्पेस-बेस्ड सर्विलॉन्स में वैश्विक महाशक्ति बनना। और स्पेस डोमेन अवेयरनेस? उसे तो हम और मजबूत करने जा रहे हैं। सच कहूँ तो, आने वाले सालों में यही हमारी सुरक्षा रणनीति की रीढ़ बनेगी। तो क्या अब हम कह सकते हैं कि भारत अंतरिक्ष में भी अपना डंका बजाने वाला है? शायद हाँ!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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