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“80% TV पार्ट्स चीन से आते हैं? राहुल गांधी के ‘मेक इन इंडिया’ दावे की पड़ताल”

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क्या सच में 80% TV पार्ट्स चीन से आते हैं? राहुल गांधी का ‘मेक इन इंडिया’ दावा और असलियत

अरे भाई, कांग्रेस के राहुल गांधी ने तो हाल ही में एक बम फोड़ दिया! उनका कहना है कि हमारा देश आज भी अपने TV के 80% पुर्जे चीन से मँगवाता है। और ये तब, जब सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ का डंका बजा रही है। सच क्या है? चलो जानते हैं, पर पहले चाय का एक कप तो ले लो। ☕

पूरा माजरा क्या है?

2014 में ‘मेक इन इंडिया’ लॉन्च हुआ था न? तब से लेकर आज तक… पर सच तो ये है कि हमारी चीन पर निर्भरता कम होने के बजाय और बढ़ गई लगती है। खासकर TV सेक्टर में। राहुल जी की बात सुनकर लगा जैसे किसी ने पर्दा ही उठा दिया हो। लेकिन क्या ये पूरी कहानी है? शायद नहीं।

नंबर्स गेम: कौन सही, कौन गलत?

एक्सपर्ट्स की मानें तो 60-80% TV पार्ट्स (display panels, circuit boards वगैरह) चीन से आते हैं – ये तो सही है। पर GDP में manufacturing का हिस्सा 12% है? यहाँ विश्व बैंक के आँकड़े कुछ और कहते हैं (14-16% की रेंज में)। सरकार की PLI स्कीम चल रही है, मगर दोस्तों, अभी तो हमें सपने देखने चाहिए, पूरी आत्मनिर्भरता तो अभी दूर की बात है।

राजनीति का तूफान

अब तो ये मुद्दा पूरी तरह राजनीतिक हो चुका है। कांग्रेस वालों ने सरकार को घेर लिया है, बोल रहे हैं ‘मेक इन इंडिया’ सिर्फ एक जुमला था। सरकार अपनी तरफ से कह रही है कि पिछले 5 साल में electronics प्रोडक्शन 25% बढ़ा है। असल में? सच तो ये है कि high-end components के मामले में हमें अभी 5-10 साल और लगेंगे चीन से छुटकारा पाने में।

आगे की राह

अगर PLI स्कीम सही से चली (और ये बड़ा IF है!), तो शायद अगले 5 साल में हम आयात 50% तक कम कर पाएँ। पर याद रखो, चीन के साथ तनातनी के इस दौर में ये सिर्फ इकोनॉमिक मुद्दा नहीं, स्ट्रैटेजिक इश्यू भी बन चुका है। 2024 के चुनावों में तो ये टॉपिक ज़रूर गरमाएगा!

तो फाइनल वर्ड? राहुल जी का 80% वाला दावा काफी हद तक सही लगता है, हालाँकि GDP फिगर पर थोड़ा बहस हो सकती है। सच तो ये है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सफर अभी शुरुआती स्टेशन पर ही है। और हाँ, अगली बार जब TV खरीदो, तो पीछे देख लेना – ‘Made in China‘ तो नहीं लिखा? 😉

राहुल गांधी का यह बयान कि “80% TV पार्ट्स चीन से आते हैं” सुनकर मन में एक सवाल उठता है – क्या ‘मेक इन इंडिया’ सिर्फ एक नारा है या हकीकत? देखा जाए तो यह एक कड़वा सच है। हालांकि हमने इलेक्ट्रॉनिक्स Manufacturing में काफी तरक्की की है, लेकिन असलियत यही है कि critical components के मामले में आज भी चीन की गुलामी से छुटकारा नहीं मिल पाया है।

अब सोचने वाली बात यह है कि क्या हम सच में आत्मनिर्भर बन पाएंगे? मेरा मानना है कि प्रगति तो हुई है, पर बहुत धीमी गति से। जैसे कोई व्यक्ति gym जाकर थोड़ा-बहुत वजन उठा ले, लेकिन अभी भी भारी वेट न उठा पा रहा हो। स्थिति कुछ ऐसी ही है।

एक तरफ तो हम दावा करते हैं कि भारत manufacturing हब बन रहा है, दूसरी तरफ TV जैसी बेसिक चीजों के लिए भी चीन पर निर्भरता कम नहीं हो रही। क्या यह चिंता का विषय नहीं? मैं तो कहूंगा – बिल्कुल है! पर हार मानने की बात नहीं। धीरे-धीरे ही सही, पर दिशा सही है।

अंत में सवाल यही रह जाता है – कब तक? जब तक हम core technologies में आत्मनिर्भर नहीं हो जाते, तब तक यह निर्भरता खत्म होने वाली नहीं। लेकिन उम्मीद न छोड़ें, भारत की क्षमता पर विश्वास रखें। क्या पता, अगले कुछ सालों में ही स्थिति बदल जाए!

‘80% TV पार्ट्स चीन से आते हैं?’ – राहुल गांधी के ‘मेक इन इंडिया’ दावे पर चर्चा

1. क्या सच में 80% TV पार्ट्स चीन से इंपोर्ट होते हैं?

सच तो यह है कि हमारे देश में बिकने वाले ज्यादातर TV के अंदरूनी हिस्से – LED पैनल, चिप्स, और कुछ इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स – चीन से ही आते हैं। हैरानी की बात नहीं, क्योंकि हम सब जानते हैं कि चीन इलेक्ट्रॉनिक्स में कितना आगे है। लेकिन यहां एक पॉजिटिव बात यह है कि इनका असेंबली वर्क अक्सर भारत में ही होता है। थोड़ा सा ‘मेक इन इंडिया’ तो हो ही रहा है, है न?

2. ‘मेक इन इंडिया’ के तहत TV manufacturing को कितना बढ़ावा मिला है?

देखिए, सच्चाई यह है कि TV असेंबली यूनिट्स तो बढ़ी हैं – यह अच्छी बात है। लेकिन असली मसला तो key कॉम्पोनेंट्स का है, जो अभी भी इंपोर्ट हो रहे हैं। PLI स्कीम की वजह से कुछ कंपनियों ने लोकल मैन्युफैक्चरिंग शुरू जरूर की है, पर ईमानदारी से कहूं तो अभी हम ‘मेक इन इंडिया’ के पूरे सपने को पूरा नहीं कर पाए हैं। एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

3. क्या भारत में TV पार्ट्स बनाने की capacity है?

अच्छा सवाल! कुछ बेसिक कॉम्पोनेंट्स तो हम बना ही रहे हैं, लेकिन सेमीकंडक्टर चिप्स और डिस्प्ले पैनल जैसी हाई-टेक चीज़ों के मामले में? सच कहूं तो अभी हम चीन और दूसरे देशों के मोहताज हैं। और समझ भी आता है – इन्हें बनाने के लिए तो बड़े पैमाने पर इन्वेस्टमेंट और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी चाहिए। पर उम्मीद न छोड़िए, धीरे-धीरे ही सही, हम आगे बढ़ रहे हैं।

4. इस situation को improve करने के लिए क्या किया जा रहा है?

अब यहां थोड़ी पॉजिटिव बात कर लेते हैं। सरकार PLI स्कीम्स, सेमीकंडक्टर मिशन और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन दे रही है। कुछ भारतीय और विदेशी कंपनियों ने यहां फैक्ट्रियां लगाने की योजना भी बनाई है। लेकिन सच्चाई यह है कि रातोंरात रिजल्ट मिलने वाले नहीं हैं। यह एक लंबी प्रक्रिया है, और हमें धैर्य रखना होगा। पर शुरुआत तो हो चुकी है – यही अच्छी बात है!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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