Site icon surkhiya.com

“UN में अफगानिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव पर भारत क्यों नहीं डाल रहा वोट? पाकिस्तान के लिए इशारा ही काफी!”

india abstains un vote afghanistan pakistan message 20250708155436660280

UN में अफगानिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव पर भारत ने वोट क्यों नहीं डाला? पाकिस्तान को मिला साफ़ संदेश!

अरे भई, UN में हाल ही में हुए एक वोटिंग सेशन ने सबको हैरान कर दिया। भारत ने अफगानिस्तान से जुड़े एक अहम प्रस्ताव पर वोट ही नहीं डाला! अब आप सोच रहे होंगे – ये क्या माजरा है? असल में, ये कोई लापरवाही नहीं बल्कि एक सोचा-समझा कदम है। भारत ने साफ़ कहा कि “सामान्य तरीकों” से अफगानिस्तान की समस्याएं हल नहीं होने वाली। और फिर पाकिस्तान को लेकर तो बिल्कुल सीधे शब्दों में कह दिया – “आप आतंकवादियों को पनाह दे रहे हो।” बस, इतना कहना ही काफी था न?

पूरा मामला क्या है?

देखिए, तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान की हालत… अरे भगवान! महिलाओं और बच्चों के हालात तो बिल्कुल खराब हैं। UN ने इसी को लेकर एक प्रस्ताव रखा था। अब भारत की बात करें तो – हमने वहां मदद तो खूब भेजी, पर तालिबान सरकार को मान्यता? बिल्कुल नहीं! वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान… अरे यार, उसके बारे में तो सब जानते हैं न? आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप तो उस पर लगते ही रहते हैं।

भारत ने क्यों लिया ये फैसला?

अब समझिए बात – UN में वोट न देकर भारत ने एक बड़ा संदेश दे दिया है। हमारी सरकार का मानना है कि अफगानिस्तान की समस्याएं सिर्फ वोटिंग या प्रस्तावों से हल नहीं होने वाली। हमारे प्रतिनिधि ने तो साफ़-साफ़ कह दिया – “इस वक्त सामान्य तरीके काम नहीं आएंगे।” और पाकिस्तान को लेकर तो बिल्कुल सीधी बात – “आतंकवादियों को सुरक्षा देने वालों से हम कैसे बात करें?” एक तरह से ये पाकिस्तान के लिए चेतावनी ही तो है!

दुनिया क्या कह रही है?

अब इस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं? मिश्रित हैं भाई। भारत ने अपनी बात रखी – “हम अफगान जनता के लिए काम कर रहे हैं, पर राजनीतिक दबाव से कुछ नहीं होगा।” वहीं पाकिस्तान… हां वो तो हमेशा की तरह बचाव में आ गया – “ये सब झूठे आरोप हैं!” विशेषज्ञों की राय भी बंटी हुई है। कोई कहता है भारत ने सही कदम उठाया, तो कोई इसे नीतिगत अस्पष्टता बता रहा है। पर सच तो ये है कि भारत ने बहुत सोच-समझकर ये रुख अपनाया है।

आगे क्या होगा?

अब ये तो तय है कि भारत अफगानिस्तान में जल्दबाजी वाले फैसले नहीं लेगा। हम दीर्घकालिक समाधान चाहते हैं। पर पाकिस्तान के साथ तनाव? हां, वो बढ़ सकता है। UN शायद नई पहल करे, पर भारत तालिबान से सीधे बातचीत से अभी दूर ही रहेगा। मदद भेजना जारी रखेगा, पर राजनीतिक मान्यता? नहीं भई, अभी नहीं।

अंत में बस इतना – भारत का ये कदम उसकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान को मिला संदेश साफ है – “हम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से खड़े रहेंगे।” अफगानिस्तान मामले में भारत की ये नीति आने वाले दिनों में और स्पष्ट होती जाएगी। देखते हैं आगे क्या होता है!

यह भी पढ़ें:

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version