india bond yields rise rbi monetary policy concerns 20250807050649014648

भारतीय बॉन्ड यील्ड में और वृद्धि: RBI की मौद्रिक नीति से बढ़ी चिंताएं

भारतीय बॉन्ड यील्ड फिर चढ़ने लगा: RBI की नीति से निवेशकों की नींद उड़ी!

अरे भाई, भारतीय बॉन्ड मार्केट इन दिनों ऐसे नाच रहा है जैसे कोई बिना सिर-पैर का डांस! 10-साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड लगातार ऊपर जा रही है, और इसकी वजह? वही पुरानी कहानी – RBI की मौद्रिक नीति को लेकर बाजार की चिंताएं। सच कहूं तो, निवेशकों को लग रहा है कि RBI मुद्रास्फीति को काबू करने के चक्कर में ब्याज दरें बढ़ा सकता है। और ये तो हम सब जानते हैं – जब यील्ड बढ़ता है, तो सरकार की उधारी लागत भी बढ़ जाती है। सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। मजे की बात ये कि ये सब हो रहा है ऐसे समय में जब वैश्विक बाजार पहले से ही काफी अस्थिर हैं!

पूरा माजरा क्या है?

देखिए, पिछले कुछ महीनों से बॉन्ड मार्केट को दो तरफ से मुक्के खाने पड़ रहे हैं। एक तरफ तो वैश्विक आर्थिक हालात हैं जो किसी रोलरकोस्टर से कम नहीं। दूसरी तरफ, घर के अंदर मुद्रास्फीति का भूत RBI को परेशान कर रहा है। नतीजा? 10-साल के बॉन्ड की यील्ड 7.5% के पार हो गई है – ये आंकड़ा पिछले कई सालों में सबसे ऊंचे स्तरों में से एक है। और हां, अमेरिकी Federal Reserve की चालों का असर तो हमारे बाजार पर पड़ना ही था। क्या करें, ग्लोबलाइजेशन का यही तो नुकसान है!

ताजा हालात: RBI ने क्या किया और बाजार ने कैसी प्रतिक्रिया दी?

अभी हाल ही में RBI ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा की थी। रेपो रेट तो उन्होंने वही रखा, लेकिन मुद्रास्फीति को लेकर जो चिंता जताई, उससे साफ संदेश मिल गया – “भाइयों, ब्याज दरें कम होने वाली नहीं हैं!” इसका असर? 10-साल के बॉन्ड यील्ड में 10-15 बेसिस पॉइंट्स की छलांग! और तो और, FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) तो जैसे भाग ही रहे हैं। उनके पैसे निकालने से बॉन्ड की कीमतों पर दबाव और बढ़ रहा है। सच में, ये स्थिति किसी के भी दिल की धड़कन बढ़ा दे!

विशेषज्ञ क्या कहते हैं? और निवेशक क्या कर रहे हैं?

मैंने कुछ बाजार विशेषज्ञों से बात की तो उनका कहना था – “RBI का रुख बिल्कुल साफ है। मुद्रास्फीति पर काबू पाना उनकी पहली प्राथमिकता है।” एक बड़ी ब्रोकरेज फर्म के अर्थशास्त्री ने तो यहां तक कहा कि “बॉन्ड यील्ड में ये अस्थिरता कुछ और समय तक बनी रह सकती है।” और निवेशक? वो तो अपनी रणनीति ही बदल रहे हैं! कई लोग सरकारी बॉन्ड छोड़कर कॉर्पोरेट बॉन्ड या शेयर बाजार की तरफ भाग रहे हैं। हालांकि, RBI ने ये जरूर कहा है कि वो बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाएगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये आश्वासन निवेशकों को संतुष्ट कर पाएगा?

आगे क्या होगा? कुछ अनुमान

अब सवाल यह उठता है कि आगे की राह क्या होगी? मेरी निजी राय में, ये कई चीजों पर निर्भर करेगा। अगर RBI अगली बैठक में ब्याज दरें बढ़ा देता है, तो बॉन्ड यील्ड और ऊपर जा सकता है। वैश्विक तेल की कीमतें, डॉलर के मुकाबले रुपये की हालत – ये सब भी बॉन्ड बाजार को प्रभावित करेंगे। और हां, सरकार का राजकोषीय घाटा और आर्थिक विकास दर भी बड़ी भूमिका निभाएंगे।

ईमानदारी से कहूं तो, लगता नहीं कि जल्द ही ये उतार-चढ़ाव खत्म होने वाला है। तो हे निवेशक भाइयो, आंखें खुली रखो और बाजार पर नजर बनाए रखो! क्योंकि जैसा कि हमारे बुजुर्ग कहते हैं – “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी!”

आखिर क्या वजह है कि RBI की मौद्रिक नीति की एक छोटी सी चाल ने बॉन्ड यील्ड को इतना ऊपर धकेल दिया? और ये तो बस शुरुआत है, दोस्तों! देखा जाए तो ये सिर्फ बॉन्ड मार्केट की बात नहीं है – इक्विटी से लेकर दूसरे निवेश विकल्पों तक सबकी हालत पतली होने वाली है।

अब सवाल यह है कि आम निवेशक क्या करे? मेरा मानना है कि इस वक्त सबसे ज़रूरी है समझदारी से काम लेना। जैसे मौसम बदलने पर हम अपने कपड़े बदलते हैं, वैसे ही मार्केट के इस उथल-पुथल भरे दौर में अपनी निवेश रणनीति को एडजस्ट करना होगा।

एक बात तो तय है – अभी के हालात में ‘जोखिम’ शब्द को हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए। सच कहूं तो, ये वो समय है जब सही जानकारी और एक्सपर्ट सलाह आपके पैसे को डूबने से बचा सकती है। वैसे भी, जब बाजार गरम होता है तो ठंडे दिमाग की ज़रूरत होती है – है न?

Source: Livemint – Markets | Secondary News Source: Pulsivic.com

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