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“2024 में भारत की BRICS अध्यक्षता: पीएम मोदी ने खोला एजेंडा, जानें क्या बदलेगा वैश्विक समीकरण”

2024 में भारत की BRICS अध्यक्षता: मोदी का ‘Humanity First’ एजेंडा क्या बदलेगा?

अब तो आपने भी नोटिस कर लिया होगा – भारत अब वैश्विक मंच पर सिर्फ खिलाड़ी नहीं, बल्कि गेम चेंजर बनता जा रहा है। और इसकी ताज़ा मिसाल है ब्राजील के रियो डी जनेरियो में हुआ वो BRICS शिखर सम्मेलन। पीएम मोदी ने 2024 में भारत की अध्यक्षता के एजेंडे का ऐलान किया, और सच कहूँ तो ये कोई रूटीन घोषणा नहीं थी। “Humanity First” के नारे के साथ जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर फोकस करके भारत ने साफ कर दिया है कि अब वैश्विक नीतियाँ बनाने में उसकी आवाज़ का वजन बढ़ गया है। और ये सब ऐसे वक्त में हो रहा है जब दुनिया भर के देश भू-राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहे हैं।

BRICS: सिर्फ आर्थिक ग्रुप नहीं, अब पावर सेंटर

देखिए, BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के बारे में एक कॉमन गलतफहमी है कि ये सिर्फ उभरती अर्थव्यवस्थाओं का क्लब है। असलियत? अब ये वैश्विक राजनीति का गेम चेंजर बन चुका है। 2021 की अध्यक्षता और 2024 की अध्यक्षता में जमीन-आसमान का फर्क है। कारण साफ है – चीन-अमेरिका टेंशन, यूक्रेन युद्ध के झटके, और वैश्विक मंदी के बादल। ऐसे में BRICS सिर्फ आर्थिक सहयोग से आगे बढ़कर एक वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है। और भारत? वो इसका फुल एडवांटेज लेने वाला है।

‘Humanity First’ – सिर्फ नारा नहीं, गेम प्लान

मोदी सरकार ने जो तीन-सूत्रीय एजेंडा पेश किया है, उसे समझना ज़रूरी है। पहला – जलवायु परिवर्तन। यहाँ भारत Green Energy और Sustainable Development पर जोर देगा। दूसरा – स्वास्थ्य सुरक्षा। कोविड के बाद तो ये समझ आ ही गया कि वैक्सीन और दवाओं की पहुँच क्यों मायने रखती है। लेकिन तीसरा पॉइंट सबसे दिलचस्प है – “Humanity First”। ये सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि वैश्विक नीतियों को रीसेट करने का फॉर्मूला है। साथ ही, BRICS के विस्तार पर भी बात चल रही है – सऊदी अरब, अर्जेंटीना जैसे देश शामिल हो सकते हैं। अब ये होगा तो क्या होगा? वो अलग डिबेट का मुद्दा है।

दुनिया क्या कह रही है? मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ

रूस-चीन तो मानो इस एजेंडे पर झूम ही रहे हैं। लेकिन पश्चिमी देश? उनकी भौहें तन गई हैं। क्यों? क्योंकि BRICS का बढ़ता दबदबा G7 के लिए चुनौती बन सकता है। कुछ एक्सपर्ट्स तो यहाँ तक कह रहे हैं कि भारत की अध्यक्षता में एक नया वैश्विक संतुलन बनेगा। पर सवाल ये है कि क्या ये सच में संभव है? या फिर ये सिर्फ एक सुंदर सपना है?

2024 के बाद क्या? BRICS का नया अवतार

मेरी निजी राय? भारत की ये अध्यक्षता BRICS को नया स्वरूप देगी। जलवायु और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ये समूह अमेरिका-यूरोप के विकल्प के तौर पर उभरेगा। नए सदस्यों के आने से इसका दायरा भी बढ़ेगा। और भारत? वो इस पूरे खेल में न केवल खिलाड़ी बल्कि रेफरी की भूमिका में नज़र आएगा। एक ऐसी वैश्विक व्यवस्था जो संतुलित हो, समावेशी हो – यही तो हमारा लक्ष्य है न?

आखिरी बात: 2024 की BRICS अध्यक्षता भारत के लिए सिर्फ एक इवेंट नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व की परीक्षा होगी। “Humanity First” का ये सिद्धांत अगर सच में लागू होता है, तो ये न केवल BRICS बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नई मिसाल कायम करेगा। पर सवाल ये है कि क्या दुनिया इसके लिए तैयार है? वक्त बताएगा।

यह भी पढ़ें:

2024 में भारत की BRICS अध्यक्षता – जानिए क्या है खास और क्यों मायने रखता है यह मौका

BRICS अध्यक्षता का असली मतलब? भारत के लिए ये गेम-चेंजर क्यों?

देखिए, सीधी बात ये है कि 2024 में भारत BRICS (ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चाइना और साउथ अफ्रीका) का कप्तान बन रहा है। मतलब? हमारी मर्जी से एजेंडा सेट होगा। और भई, ये बड़ी बात है! क्योंकि अंतरराष्ट्रीय पटल पर हमारी आवाज़ का वजन बढ़ेगा। सच कहूं तो, ये उस तरह है जैसे घर में मेहमान आएं और आप हॉस्ट बन जाएं – मेन्यू आप तय करते हैं!

मोदी जी ने BRICS टेबल पर क्या-क्या परोसा है?

अब यहां मजेदार बात ये है कि हमारे PM ने एजेंडे में कुछ बिल्कुल जरूरी चीजें डाली हैं। टेक्नोलॉजी शेयरिंग? हां। ग्रीन एनर्जी? बिल्कुल। डिजिटल करेंसी को पुश करना? जरूर। लेकिन सबसे अच्छी बात ये कि ट्रेड को आसान बनाने पर जोर दिया गया है – जैसे किसी ने बिज़नेस करने के रास्ते में से रेड टेप हटा दिया हो। और हां, विकासशील देशों के हितों की बात भी तो है न!

क्या भारत की अध्यक्षता दुनिया का नक्शा बदल देगी?

सुनिए, एक तरफ तो ये पश्चिमी देशों के एकछत्र राज को चुनौती देगा – जैसे क्रिकेट में नए खिलाड़ी आकर गेम का रुख बदल देते हैं। दूसरी तरफ, ये विकासशील देशों को एक प्लेटफॉर्म देगा। सोचिए, जब छोटे देश एक साथ आवाज़ उठाएंगे तो ग्लोबल इकोनॉमी में उनकी हिस्सेदारी बढ़ेगी ही न? एकदम ज़बरदस्त।

क्या BRICS में डॉलर की जगह लोकल करेंसी की बात होगी?

अरे भई, ये तो होना ही है! डी-डॉलराइजेशन पर चर्चा तो पक्की है। भारत इस मुद्दे को… [वाक्य अधूरा छोड़ते हुए] असल में, ये वो बात है जिस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। जैसे कोई बड़ा प्लॉट ट्विस्ट आने वाला हो फिल्म में। और हमारा देश तो इसमें अगुआई करेगा – क्योंकि जब भारत कुछ करता है, तो पूरी ताकत से करता है!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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