क्या भारत चीन का ‘कचरा’ उठा रहा है? एक्सपर्ट की बात सुनकर आप भी चौंक जाएंगे!
देखिए, पिछले कुछ सालों में भारत ने ‘China Plus One’ के नाम पर manufacturing कंपनियों को लुभाने की खूब कोशिश की है। नौकरियां बढ़ेंगी, अर्थव्यवस्था चलेगी – यह तो अच्छी बात है न? लेकिन यहां एक मुश्किल भी है। आर्थिक जानकार सौरभ मुखर्जी ने एक ऐसी बात कही है जो सोचने पर मजबूर कर देती है – कहीं हम चीन के छोड़े हुए प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों को तो नहीं बुला रहे?
पूरी कहानी: China Plus One का खेल
असल में बात यह है कि पिछले 10 साल में दुनिया की कंपनियों को चीन से पीछा छुड़ाना पड़ा। तो उन्होंने ‘China Plus One’ का फंडा अपनाया – भारत, वियतनाम जैसे देशों में फैक्ट्रियां लगाना। हमारी सरकार ने भी PLI जैसी स्कीमें लाकर इसे भुनाने की कोशिश की। स्मार्ट मूव था।
पर एक दिक्कत यह है कि चीन ने जिस तरह तरक्की की, उसकी कीमत उनकी नदियों और हवा ने चुकाई। अब सवाल यह है कि क्या हम भी वही गलती दोहराने जा रहे हैं? थोड़ा डर लगता है, है न?
एक्सपर्ट की चिंता: ये उद्योग खतरनाक हो सकते हैं
सौरभ मुखर्जी जी ने तो सीधे कह दिया – chemicals, heavy metal वाले ये high-pollution industries हमारे पर्यावरण के लिए जहर साबित होंगे। उनकी सलाह है कि भारत को electronics और renewable energy जैसे क्षेत्रों पर ही ध्यान देना चाहिए। समझदारी की बात लगती है।
लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई क्लियर जवाब नहीं आया है। हां, ‘green manufacturing’ की बातें जरूर हो रही हैं। पर असल में क्या हो रहा है? यह तो समय ही बताएगा।
किसका क्या कहना?
उद्योग वालों की राय अलग-अलग है। कुछ कहते हैं निवेश तो चाहिए ही, लेकिन पर्यावरण के नियमों को ढीला नहीं करना चाहिए। वहीं पर्यावरण एक्टिविस्ट्स तो बिल्कुल सख्त हैं – “चीन जैसा हाल करना चाहते हो क्या? हवा, पानी, मिट्टी सब खराब कर दोगे!”
राजनीति वाले तो अपना राग अलाप ही रहे हैं। विपक्ष कह रहा है कि EIA रिपोर्ट्स पब्लिक करो, पारदर्शिता दिखाओ। आरोप लगा रहे हैं कि विकास के नाम पर पर्यावरण को बलि चढ़ाया जा रहा है।
आगे का रास्ता: बैलेंस बनाना होगा
अब सरकार के सामने एक पेचीदा सवाल है – पैसा भी कमाना है, पर्यावरण भी बचाना है। अगर नियम बहुत सख्त कर दिए तो investors भाग जाएंगे। और अगर ढील दे दी तो… अरे भई, सांस लेना मुश्किल हो जाएगा!
कुछ एक्सपर्ट्स की राय बड़ी दिलचस्प है – भारत global green manufacturing hub बन सकता है अगर electric vehicles, sustainable technologies पर फोकस करे। यही तो फ्यूचर है न?
आखिर में बात यही निकलती है कि ‘China Plus One’ से फायदा तो है, पर सोच-समझकर कदम उठाने होंगे। एक्सपर्ट्स की सलाह मानकर sustainable development model अपनाना ही समझदारी होगी। वरना… अच्छा नहीं होगा। सच कहूं तो।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com