भारत ने IMO से पूछा: “विदेशी कार्गो जहाज़ों का क्या चक्कर है?”
अब ये क्या हाल है भाई! भारत सरकार ने आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के दरवाज़े पर दस्तक दे ही दी। मामला क्या है? विदेशी कार्गो जहाज़ों की वो सारी शैतानियाँ जो हमारे पानी में हो रही हैं – तेल रिसाव, टक्करें, पर्यावरण को नुकसान – इन सबकी अब जाँच होगी। और सच कहूँ तो, ये कदम बहुत ज़रूरी था। हमारे समुद्री इलाके तो अब किसी जंगल सफारी से कम नहीं लगते, जहाँ हर रोज़ कोई न कोई नया ड्रामा होता है।
पूरा माजरा क्या है?
एक साल से हमारे तटीय इलाकों में जो चल रहा है, उसे देखकर तो लगता है कि कुछ विदेशी shipping companies ने यहाँ ‘फास्ट एंड फ्यूरियस’ का शूटिंग शुरू कर दिया है! तेल रिसाव? हो गया। जहाज़ों की टक्कर? हो गई। समुद्री जीवों का नुकसान? वो भी हो गया। और सबसे बुरी बात? हमारे तटरक्षक बल की चेतावनियों को ये लोग कान से उठाकर सिर के पीछे डाल देते हैं। कुछ एक्सपर्ट्स तो यहाँ तक कह रहे हैं कि कुछ कंपनियाँ सुरक्षा मानकों को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। अरे भई, ये समुद्र है, कोई video game थोड़े ही है!
अब ताज़ा क्या है?
तो अब भारत सरकार ने IMO को औपचारिक शिकायत भेज दी है। और अच्छी खबर ये कि IMO ने भी मामले को गंभीरता से लिया है – एक विशेषज्ञ टीम बनाने की बात चल रही है। खबरों के मुताबिक, भारत अब अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानूनों को और सख्त बनाने की पैरवी करेगा। सही भी है न? जब तक डंडा नहीं दिखेगा, ये लोग समझेंगे कैसे?
कौन क्या बोल रहा है?
पर्यावरणविदों ने तो सरकार के इस कदम को लेकर खुशी के फुलझड़ियाँ फोड़ दी हैं। उनका कहना है – “ये तो बहुत देर से आया एक सही कदम है।” लेकिन कुछ shipping companies अपनी रोटियाँ सेंकने में लगी हैं – कह रहे हैं कि ये कदम व्यापार में रुकावट डालेगा। अरे भाई, आपके business से ज़्यादा ज़रूरी हमारा समुद्री पर्यावरण है न? सरकार ने भी साफ कह दिया है कि हमारा मकसद सिर्फ सुरक्षा और संरक्षण है, किसी को परेशान करना नहीं।
आगे क्या होगा?
अब IMO की रिपोर्ट का इंतज़ार है। अगर कुछ जहाज़ मालिक गुनहगार पाए गए, तो उनकी खैर नहीं – भारी जुर्माना तो लगेगा ही। और हमारी सरकार भी अब सो रही नहीं है – तटीय निगरानी को मॉडर्न टेक्नोलॉजी से अपग्रेड करने की योजना है। पूरी दुनिया की नज़र इस मामले पर है, क्योंकि इसका असर ग्लोबल shipping industry पर पड़ सकता है। देखते हैं, अब ये गाड़ी किधर जाती है!
एक बात तो तय है – अब भारत समुद्री मामलों में कोई मज़ाक नहीं उड़ने देगा। और सही भी है। जैसा कि हमारी दादी कहा करती थीं – “जब तक डंडा नहीं दिखता, बच्चा मानता नहीं!”
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IMO जाँच की माँग क्यों की गई है? क्या वजह है?
देखिए, हाल में कुछ ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिन्होंने सरकार की नींद उड़ा दी है। विदेशी कार्गो जहाज़ों से जुड़े मामले… समुद्री सुरक्षा का सवाल… पर्यावरण को खतरा… इन्हीं वजहों से भारत ने International Maritime Organization (IMO) से हाथ जोड़कर जाँच की गुहार लगाई है। असल में, यह कोई नई बात नहीं – लेकिन अब जाकर सख्त कदम उठाया जा रहा है।
इस जाँच का असल मतलब क्या है? हमारे लिए क्यों मायने रखता है?
अरे भाई, समझिए एक बात – हमारा समुद्री इलाका तो वैसे ही ट्रैफिक वाली सड़क जैसा है। इधर-उधर से जहाज़ आते-जाते रहते हैं। अब अगर ये लोग गंदगी फैलाएँ या दुर्घटनाएँ करें, तो? यह जाँच ठीक वैसा ही है जैसे ट्रैफिक पुलिस का चेकपोइंट लगाना। सीधा फायदा? हमारे तटीय इलाकों की सुरक्षा बढ़ेगी, और हमारे व्यापार के रास्ते भी सुरक्षित होंगे। बस!
IMO आखिर है क्या चीज़? काम कैसे करता है ये?
वैसे तो नाम से ही समझ आता है – International Maritime Organization। लेकिन असल में ये United Nations का एक बहुत ही ताकतवर हिस्सा है। सोचिए कोई स्कूल का प्रिंसिपल हो जो सबको नियम बताए और उनका पालन करवाए – IMO कुछ वैसा ही है, बस समुद्र के लिए। जहाज़ों की सुरक्षा से लेकर पर्यावरण तक, हर चीज़ पर इसकी नज़र रहती है। एकदम स्ट्रिक्ट!
सवाल यह कि क्या हमारे भारतीय जहाज़ भी इसकी जद में आएँगे?
नहीं यार, घबराइए मत! यह जाँच तो मुख्य तौर पर उन विदेशी कार्गो जहाज़ों पर है जो हमारे पानी में आते-जाते हैं। हालाँकि… एक अच्छी बात यह है कि इससे मिलने वाले नतीजे हमारी अपनी नीतियों को भी बेहतर बना सकते हैं। मतलब अप्रत्यक्ष रूप से हमारे देसी जहाज़ों को भी फायदा मिलेगा। Win-win situation, है न?
Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com