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ब्रेक पेडल छोड़ो! भारत की EV क्रांति के लिए समय नहीं

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ब्रेक पेडल छोड़ो भई! भारत की EV क्रांति अब और इंतज़ार नहीं कर सकती

परिचय

देखिए, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बात हो रही है तो हो रही है, पर असल में कितनी तेज़ी से? सरकारी सब्सिडी और FAME-II जैसी योजनाओं ने शुरुआत तो अच्छी की, लेकिन अब ये दाल नहीं गल रही। हमें ज़्यादा तेज़, ज़्यादा प्रभावी तरीके चाहिए जो इस क्रांति को रफ्तार दे सकें।

भारत में EV अपनाने की चुनौतियाँ – असली मसले

1. चार्जिंग वाले भैया कहाँ हैं?

सच बताऊँ? शहरों में भी EV चार्जिंग स्टेशन ढूँढ़ना वैसा ही है जैसे गर्मी में बिना AC के ऑटो ढूँढ़ना। और गाँव-कस्बों की तो बात ही छोड़िए! पेट्रोल पंप तो हर मोड़ पर मिल जाते हैं, पर fast charging? भूल जाइए। लंबी यात्रा की प्लानिंग कर रहे हैं? EV लेकर निकलें तो दिल बैठने लगता है।

2. पहला प्यार महंगा पड़ता है

EV की शुरुआती कीमत देखकर तो लगता है कि पेट्रोल वाली गाड़ी ही ठीक है। हाँ, long term में maintenance cost कम है, पर भारतीय ग्राहक को तो ‘अभी का खर्चा’ ही दिखता है। बैटरी की कीमत अभी भी किडनी बेचने जितनी लगती है!

3. अंधविश्वास और गलतफहमियाँ

लोगों को लगता है EV लेते ही रास्ते में फँस जाएँगे (वो जो range anxiety कहते हैं न)। Charging time को लेकर भी भ्रम है – कोई सोचता है पूरी रात लगेगी, कोई मानता है 5 मिनट में हो जाएगा। सच बीच में कहीं है, पर लोगों को पता कैसे चलेगा?

समाधान – अब बात बनेगी!

1. सरकारी नीतियाँ – दमदार चाहिए

सरकार को चाहिए कि manufacturers पर EV production का target लगाए। जैसे हर कंपनी को 30% EVs बनाना ही होगा। सब्सिडी भी सिर्फ खरीदारों को नहीं, बल्कि charging stations लगाने वालों को भी मिलनी चाहिए।

2. जुगाड़ भारतीय स्टाइल

हमें lithium-ion बैटरी पर निर्भरता कम करनी होगी। Battery swapping model पर काम करो – खासकर ऑटो और बाइक्स के लिए। ये तरीका charging time की समस्या को चुटकियों में हल कर देगा।

3. जागरूकता – समझाओ यार!

लोगों को बताना होगा कि EV का running cost पेट्रोल से आधा है। Social media पर viral campaigns चलाओ, workshops करो, success stories दिखाओ। जब लोगों को पता चलेगा कि महीने के 5000 रुपये बच सकते हैं, तो खुद-ब-खुद दिलचस्पी बढ़ेगी।

4. प्राइवेट सेक्टर – पार्टनर बनाओ

स्टार्टअप्स को EV innovations के लिए प्रोत्साहित करो। PPP मॉडल पर काम करो – petrol pumps, malls, सिनेमा हॉल्स में charging points लगवाओ। जगह-जगह चार्जिंग मिलेगी तो लोगों का डर भी दूर होगा।

निष्कर्ष

भारत, अब और मत सोच! EV क्रांति सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, हमारी जेब के लिए भी फायदेमंद है। प्रदूषण कम होगा, तेल के आयात पर निर्भरता घटेगी, नौकरियाँ बढ़ेंगी। सरकार, कंपनियाँ और हम सब मिलकर काम करें तो ये मुमकिन है। वैसे भी, अगर चीन और यूरोप कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?

क्या आप EV खरीदने के बारे में सोच रहे हैं? नीचे comments में बताइए – आपकी सबसे बड़ी चिंता क्या है? कीमत? चार्जिंग? या कुछ और?

Source: Livemint – Opinion | Secondary News Source: Pulsivic.com

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