भारत और मालदीव मिलकर पाकिस्तानी टेरर नेटवर्क को देंगे मात – क्या यह गेम चेंजर साबित होगा?
अगले कुछ दिनों में एक बड़ी खबर आने वाली है – प्रधानमंत्री मोदी मालदीव के दौरे पर जा रहे हैं। और यह कोई सामान्य यात्रा नहीं है, बल्कि सुरक्षा के मोर्चे पर एक बड़ा कदम साबित हो सकती है। सोचिए, जब दो देश मिलकर आतंकवाद और ड्रग्स तस्करी जैसी समस्याओं से लड़ने का फैसला करते हैं, तो असर कितना बड़ा हो सकता है? खासकर जब बात पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी नेटवर्क की हो!
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। पिछले कुछ सालों में भारतीय एजेंसियों ने पाकिस्तानी आतंकवादियों के नए-नए तरीके देखे हैं। सिर्फ बम धमाके ही नहीं, बल्कि ड्रग्स के काले धंधे से पैसा कमाने की साजिशें भी। और हैरानी की बात यह कि मालदीव भी ठीक ऐसी ही मुसीबत से जूझ रहा है। क्या यह महज संयोग है? शायद नहीं। दोनों देशों को लगता है कि अब वक्त आ गया है हाथ मिलाने का।
तो अब सवाल यह कि इस यात्रा में क्या-क्या हो सकता है? सूत्रों की मानें तो कुछ बड़े समझौते होने वाले हैं। जैसे:
– खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान (जिसे इंटेलिजेंस शेयरिंग कहते हैं)
– तटीय इलाकों की सुरक्षा को और मजबूत करना
– संदिग्ध फंडिंग पर नजर रखने के नए तरीके
और तो और, भारत मालदीव को ट्रेनिंग और टेक्नोलॉजी भी दे सकता है। मतलब साफ है – एक दूसरे की ताकत बनना। जैसे कि दो पड़ोसी जब मिलकर चोरों से सावधान रहें तो असर दोगुना हो जाता है।
दोनों देशों के अधिकारी इस सहयोग को लेकर काफी उत्साहित हैं। भारत का कहना है कि यह “क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अहम कदम” है। वहीं मालदीव के रक्षा मंत्री ने कहा – “हम भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं।” सच कहूं तो, अगर यह प्लान सही तरीके से काम करता है, तो पाकिस्तानी आतंकवादियों की नींद उड़ने वाली है। क्योंकि उनके पैसे और कनेक्शन दोनों पर सीधा वार होगा।
अब आगे क्या? अगर सब कुछ ठीक रहा, तो:
– पाकिस्तानी आतंकवादी और दबाव में आएंगे
– नौसेनाओं की संयुक्त गश्त बढ़ सकती है
– हिंद महासागर क्षेत्र को फायदा होगा
देखा जाए तो यह सिर्फ दो देशों की बात नहीं है। पूरा हिंद-प्रशांत क्षेत्र इससे प्रभावित हो सकता है। क्या यह मोदी सरकार की एक और बड़ी स्ट्रेटेजिक जीत साबित होगी? वक्त बताएगा। लेकिन एक बात तो तय है – अब खेल के नियम बदलने वाले हैं!
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भारत और मालदीव की जोड़ी ने पाकिस्तानी आतंकी नेटवर्क को लेकर क्या किया? कुछ सवाल और जवाब
1. भारत और मालदीव ने आखिर पाकिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ क्या कदम उठाए?
देखिए, बात सीधी है – भारत और मालदीव ने मिलकर एक बेहतरीन तालमेल बनाया है। अब वो सिर्फ intelligence sharing तक सीमित नहीं हैं, बल्कि joint operations भी कर रहे हैं। और सबसे बड़ी बात? इन्होंने उनके पैसे के स्रोतों और ठिकानों पर सीधा निशाना साधा है। एकदम सटीक।
2. ये साझा कोशिश regional security के लिए क्यों मायने रखती है?
असल में, ये वो चाबी है जो पूरे दक्षिण एशिया के लिए सुरक्षा का ताला खोल सकती है। क्यों? क्योंकि जब आतंकवादी गुटों की cross-border गतिविधियां रुकेंगी, तो पूरे region में शांति खुद-ब-खुद मजबूत होगी। सोचिए, क्या यही हम सब चाहते नहीं?
3. क्या पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर पड़ेगा असर?
ईमानदारी से कहूं तो, थोड़ा तनाव तो आएगा ही। लेकिन सच पूछो तो भारत और मालदीव के लिए अपने लोगों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है। Diplomatic niceties से ज्यादा जरूरी क्या हो सकता है अपने नागरिकों की सुरक्षा?
4. इसमें intelligence agencies का क्या रोल है?
अरे भाई, RAW और MNDF तो इस पूरे operation की रीढ़ हैं! ये लोग real-time में data share कर रहे हैं, actionable intelligence दे रहे हैं… मतलब साफ है – कोई भी आतंकवादी नेटवर्क अब इनकी नजर से बच नहीं पाएगा। क्या बात है न?
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com