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भारत का नया परमाणु प्लान: निजी क्षेत्र को मिलेगी बड़ी भूमिका, जानें पूरी रणनीति

भारत का नया परमाणु प्लान: क्या निजी कंपनियों के लिए खुलेगा गेम?

अब तक जो चीज़ सिर्फ सरकार के हाथों में थी, वो अब निजी कंपनियों के लिए भी खुलने वाली है। सरकार ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा फैसला लिया है – और मुझे लगता है ये हमारे energy sector में game-changer साबित हो सकता है। देखिए न, अभी तक परमाणु खनिजों की खुदाई से लेकर रिएक्टर चलाने तक सब कुछ सरकारी एजेंसियों के पास था। लेकिन अब? अब निजी कंपनियां भी इस पार्टी में शामिल हो सकती हैं। हालांकि, रिएक्टर चलाने का काम अभी भी सरकार के पास ही रहेगा – safety concerns का तो ख्याल रखना ही पड़ेगा न!

आज तक क्या चल रहा था?

सच कहूं तो हमारा परमाणु सेक्टर BARC और NPCIL जैसी सरकारी संस्थाओं के भरोसे ही चल रहा था। और नतीजा? 6,780 मेगावाट… यानी हमारे total power production का महज 3%! अब 2030 तक इसे 22,480 मेगावाट तक पहुंचाने का टारगेट है। ये तभी हो पाएगा जब private investment आएगा। सरकार अकेले ये बोझ नहीं उठा सकती, ये तो समझ में आता है।

तो अब क्या बदलेगा असल में?

इसे ऐसे समझिए:
• पहली बार private companies को uranium और thorium जैसे खनिजों की खोज-खुदाई की इजाजत मिलेगी
• 1962 के पुराने कानून में बदलाव होगा – जो अब तक सरकार का monopoly तोड़ेगा
• foreign investors के लिए नए दरवाज़े खुलेंगे

पर एक चीज़ नहीं बदलेगी – रिएक्टर चलाने का काम अभी भी सरकारी हाथों में ही रहेगा। समझदारी की बात है, है न?

कौन क्या बोल रहा है?

FICCI और CII जैसे industry bodies तो मानो खुशी से झूम उठे हैं। उनका कहना है – “ये तो investment के नए रास्ते खोल देगा!” वहीं कुछ experts चेतावनी दे रहे हैं – “सुरक्षा का क्या? पर्यावरण का क्या?” विपक्ष भी cautious approach की सलाह दे रहा है। सरकार का दावा है कि ये कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में है। सच तो ये है कि दोनों तरफ के arguments में दम है।

आगे का रास्ता: मौके और चुनौतियां

अभी तो बस शुरुआत है। संसद में बिल पास होना बाकी है, regulations तय करने हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो:
✓ private investment का बड़ा फ्लो आ सकता है
✓ coal पर हमारी निर्भरता कम होगी
✓ clean energy targets पूरे करने में मदद मिलेगी

पर साथ ही, सरकार को ये सुनिश्चित करना होगा कि safety standards compromise न हों। एक तरफ opportunity है, दूसरी तरफ responsibility भी।

अंत में बस इतना – ये फैसला हमारे energy sector के लिए turning point साबित हो सकता है। बस इसे सही तरीके से handle करना होगा। वरना… वरना जानते ही हैं न क्या होता है!

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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