पाकिस्तान के साथ बराबरी पर पहुंचते भारतीय फाइटर जेट्स: असली चिंता क्या है?
भारतीय वायुसेना (IAF) ने अपने आखिरी MiG-21 को विदाई दे दी है। एक युग का अंत। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक पुराने विमान की रिटायरमेंट है, या कुछ ज्यादा गंभीर मसला? देखा जाए तो अब IAF के पास पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) के बराबर ही स्क्वाड्रन बचे हैं। और हां, चीन का तो जिक्र ही क्या करें – उनके पास तो 1,700 से ज्यादा फाइटर जेट्स हैं। सोचिए, अगर दोनों तरफ से दबाव बने तो?
पूरा माजरा क्या है?
MiG-21 की कहानी तो 1960s से चली आ रही है। ये विमान IAF की ‘बैकबोन’ थे – 1971 के युद्ध में भी इन्होंने जबरदस्त परफॉर्म किया था। लेकिन अब? टेक्नोलॉजी पुरानी पड़ गई, एक्सीडेंट बढ़ने लगे… समझ आता है कि रिटायर क्यों करना पड़ा। पर नतीजा? अभी IAF के पास सिर्फ 30-32 स्क्वाड्रन हैं, जबकि जरूरत 42 की है। और हैरानी की बात – PAF के पास भी लगभग इतने ही हैं। क्या यह कोई संयोग है? शायद नहीं।
असली मुद्दे कौन से हैं?
पहली बात तो यह कि MiG-21 की विदाई ने संख्या कम कर दी। दूसरा – राफेल और TEJAS MK-1A जैसे नए विमानों की डिलिवरी में देरी हो रही है। मतलब साफ है – जो जा रहा है उसकी जगह नया नहीं आ पा रहा। और तीसरा सबसे बड़ा मसला? चीन का बढ़ता दबाव। उनके पास तो हमारे और पाकिस्तान के कुल जेट्स से ज्यादा फाइटर हैं। स्थिति गंभीर है, है न?
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
रक्षा विशेषज्ञों की चिंता साफ झलकती है। उनका कहना है – “यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं, IAF को तुरंत नए विमान चाहिए।” सरकार की तरफ से आश्वासन मिल रहा है कि TEJAS और राफेल प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। लेकिन फील्ड में मौजूद अधिकारियों की बात अलग है: “PAF के साथ बराबरी खतरनाक है, खासकर जब LAC पर चीन की गतिविधियां बढ़ रही हैं।” सच कहूं तो, दोनों ही पक्षों की बात में दम दिखता है।
आगे का रास्ता क्या है?
अब IAF शायद जल्द ही 114 नए मल्टीरोल फाइटर जेट्स के लिए टेंडर निकाले। साथ ही TEJAS MK-2 और AMCA जैसे स्वदेशी प्रोजेक्ट्स को तेज करना होगा। असली टेस्ट तो होगा दो-मोर्चे युद्ध (पाकिस्तान + चीन) के लिए तैयार रहने का। यहां सिर्फ संख्या ही नहीं, तकनीकी बढ़त भी जरूरी है।
तो क्या स्थिति वाकई चिंताजनक है? हां, लेकिन पूरी तरह निराश होने की जरूरत नहीं। सरकार और IAF नए विमानों पर काम कर रहे हैं। बस, अब फैसले लेने और उन्हें जल्दी लागू करने की जरूरत है। वरना… खैर, उसकी कल्पना भी नहीं करना चाहते।
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भारतीय फाइटर जेट्स और पाकिस्तान: क्या सच में कोई समानता है?
अरे भाई, ये सवाल तो हर किसी के दिमाग में कौंधता है – क्या हमारे और पाकिस्तान के फाइटर जेट्स में कोई कनेक्शन है? चलो, आज इसी पर बात करते हैं। थोड़ा डिटेल में, थोड़ा चाय-पकोड़े स्टाइल में!
1. क्या सच में हमारे और पाकिस्तानी जेट्स में कोई समानता है?
देखिए, तकनीकी रूप से कुछ चीजें तो मिलती-जुलती हैं। क्यों? क्योंकि दोनों देशों ने शुरुआत में कुछ एक जैसे स्रोतों से जेट्स खरीदे थे। लेकिन यहां मजा शुरू होता है – हमने अपने जेट्स को समय के साथ इतना अपग्रेड कर दिया कि अब वो original से कहीं आगे निकल चुके हैं। Tejas जैसे स्वदेशी प्रोजेक्ट्स तो बिल्कुल game changer साबित हुए हैं। सच कहूं तो अब समानताएं सिर्फ कागजों में ही बची हैं!
2. क्या हमारे जेट्स उनके मुकाबले कमजोर हैं? सच-सच बताइए!
अरे भई सच बताऊं? ये सवाल पूछने वालों को मैं सीधा एक उदाहरण देना चाहूंगा – क्या आप Nokia 3310 और iPhone 15 को compare करेंगे? बिल्कुल नहीं न! हमारे पास Rafale और Sukhoi Su-30MKI जैसे बेस्ट ऑफ द बेस्ट हैं, जबकि पाकिस्तान अभी भी पुराने F-16 और JF-17 पर टिका हुआ है। एकदम नो कंपेरिजन!
3. क्या दोनों देशों के जेट्स एक ही दुकान से आते हैं?
हां, कुछ मामलों में हमने एक ही कंपनियों (Russia की MiG, France की Dassault) से खरीदारी की है। लेकिन यहां फर्क ये है कि हमने अपने जेट्स को बिल्कुल अपने तरीके से customize किया है – जैसे कोई iPhone को jailbreak करके उसमें नए फीचर्स डाल दे। वहीं पाकिस्तान ने बेसिक मॉडल्स ही इस्तेमाल किए हैं। समझ गए न फर्क?
4. हमारी एयरफोर्स इतनी बेहतर क्यों है? असली वजह!
ईमानदारी से कहूं तो ये कोई एक दिन की कहानी नहीं है। हमने लगातार मेहनत की है – नए जेट्स खरीदे, पुरानों को अपग्रेड किया, और सबसे बड़ी बात…स्वदेशी तकनीक पर भरोसा किया। पैसा, ट्रेनिंग और टेक्नोलॉजी – हर मोर्चे पर हम आगे हैं। सीधे शब्दों में कहूं तो, हमने मेहनत की है और इसका फल मिल रहा है!
तो क्या अब भी कोई शक है? मेरे हिसाब से तो बिल्कुल नहीं! लेकिन अगर आपका कोई और सवाल हो तो जरूर पूछिएगा। चलते-चलते एक बात और – जय हिंद!
Source: Times of India – Main | Secondary News Source: Pulsivic.com