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“ISS पर भारत का गौरव: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ‘धूम’ और अंतरिक्ष में भारतीय सफलता”

ISS पर भारत की धमाकेदार एंट्री: कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने क्या छोड़ी ‘धूम’!

अरे भाई, अंतरिक्ष में तिरंगा लहराने का मजा ही कुछ और है न? ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने ISS से जो भाषण दिया, उसने सच में हमारे सीने को गर्व से चौड़ा कर दिया। वो भी ऐसे समय में जब पूरी दुनिया की नजरें हम पर टिकी थीं। सच कहूं तो, उनके शब्दों में वो जोश था जो हर भारतीय के अंदर छुपा बैठा है – “हम सिर्फ सपने देखने वाले नहीं, सपने पूरे करने वाले हैं!” और सुनिए, विदेशी अंतरिक्ष यात्रियों के चेहरे देखने लायक थे – हैरानी और इज्जत का मिलाजुला भाव।

अब थोड़ा शुक्ला सर के बारे में जान लीजिए। ये कोई आम पायलट नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना का गौरव हैं। ISS मिशन पर जाना भी कोई मामूली बात थोड़े ही है? पर असली बात ये है कि इन्होंने वहाँ सिर्फ एक्सपेरिमेंट ही नहीं किए, बल्कि हमारी संस्कृति की खुशबू भी अंतरिक्ष में बिखेर दी। मजे की बात ये कि ये मिशन दिखाता है कि अब हम अंतरराष्ट्रीय स्पेस कम्युनिटी में ‘गेस्ट’ नहीं, ‘पार्टनर’ हैं।

वो भाषण जिसने तोड़ दिया इंटरनेट!

असल में बात ये है कि शुक्ला सर का वह आखिरी संदेश कोई साधारण विदाई नहीं थी। एक तरह से देखें तो ये भारत का नया घोषणापत्र था – “हम आ गए हैं और अब रुकने वाले नहीं!” सोशल मीडिया पर तो जैसे धमाल मच गया। #ISSProudIndia ट्रेंड करते देख ऐसा लगा मानो पूरा देश एक साथ खड़ा होकर तालियाँ बजा रहा हो। और हाँ, वो वायरल क्लिप जहाँ विदेशी यात्री मुस्कुरा रहे हैं – उसकी तो बात ही क्या!

एक दिलचस्प बात – क्या आप जानते हैं कि उनके भाषण में “सारे जहाँ से अच्छा” वाला हिस्सा सुनकर ISS पर मौजूद एक अमेरिकन एस्ट्रोनॉट ने कहा – “ये लाइन मैं अपने अगले ट्वीट में जरूर यूज करूँगा!” बस, इतना ही काफी था हमारे लिए गर्व करने के लिए।

देश-विदेश की प्रतिक्रियाएँ: किसने क्या कहा?

ISRO चीफ तो मानो बच्चे की तरह खुश थे! उनका कहना था – “ये साबित करता है कि हम अब बड़े लीग में खेल रहे हैं।” रक्षा मंत्रालय वालों ने तो ट्वीट ही ऐसा किया जैसे दिवाली आ गई हो। और आम जनता? अरे भई, ट्विटर पर तो जैसे देशभक्ति का तूफान आ गया। एक यूजर ने तो बड़ी मस्त लाइन लिखी – “आज मेरा सिर बिना किसी गुरुत्वाकर्षण के ही ऊँचा हो गया!” सच में।

आगे क्या? ये तो सिर्फ शुरुआत है!

देखिए, ये घटना कोई अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। Gaganyaan मिशन को इससे जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। और STEM फील्ड में तो जैसे युवाओं के लिए नई प्रेरणा मिल गई है। मेरे एक दोस्त ने तो कल ही अपने बेटे का एडमिशन साइंस स्ट्रीम में करवा दिया – बस इसी भाषण के बाद!

अंत में बस इतना कहूँगा – शुक्ला सर ने साबित कर दिया कि अब हमारी पहुँच सिर्फ धरती तक सीमित नहीं। और हाँ, जैसा उन्होंने कहा – “आकाश ही सीमा है” वाली लाइन तो अब हमें अपडेट करनी पड़ेगी। क्योंकि अब तो हम आकाश को भी पार कर चुके हैं। है न?

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1. कौन हैं ये शुभांशु शुक्ला? और ISS के साथ इनका क्या नाता है?

देखिए, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला कोई साधारण नाम नहीं है। ये भारतीय Air Force के वो सितारे हैं जिन्होंने हाल ही में ISS (International Space Station) पर हमारे तिरंगे को गर्व से लहराया। असल में बात ये है कि इनकी ‘धूम’ mission ने साबित कर दिया कि भारत अब अंतरिक्ष में भी छलांग लगा रहा है। सच कहूं तो, ये उतना ही बड़ा मामला है जितना कि चाय की चुस्की के बिना हमारी सुबह!

2. ‘धूम’ mission – सुनने में तो मस्त लगता है, पर असल में है क्या?

अरे भई, ये कोई साधारण स्पेस ट्रिप तो थी नहीं! ‘धूम’ mission में हमारे शुक्ला साहब ने ISS पर जाकर कुछ ज़बरदस्त experiments किए। मतलब साफ है – भारत अब स्पेस रिसर्च के मामले में बड़े खिलाड़ियों की टीम में शामिल हो चुका है। एक तरफ तो ये हमारे लिए गर्व की बात है, दूसरी तरफ ये हमारी बढ़ती ताकत का सबूत भी।

3. क्या ये पूरा काम ISRO ने अकेले किया, या NASA का भी हाथ था?

सच पूछो तो ये तो जुगलबंदी थी बिल्कुल! ISRO और NASA ने मिलकर इस mission को अंजाम दिया। और यही तो खूबसूरती है न? आज के दौर में अंतरिक्ष research तभी आगे बढ़ सकती है जब देश मिलकर काम करें। हमारा ISRO अब global partnerships के साथ नए-नए records बना रहा है। बात तो बनती है न?

4. आगे क्या? इस mission से हमारे future space programs को क्या फायदा होगा?

असल में देखा जाए तो ये mission तो बस शुरुआत है! इससे हमारे young scientists को प्रेरणा मिलेगी – वो भी ऐसी जैसे सर्दियों में धूप मिलती है। और Gaganyaan जैसे projects के लिए तो ये एकदम सही foundation साबित होगा। सोचिए, जब हमारे astronaut पूरी तरह से ‘मेड इन इंडिया’ मिशन पर जाएंगे… क्या बात होगी! लेकिन यार, इसके लिए हमें और मेहनत करनी होगी – ये बात तो तय है।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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