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“ऊर्जा सुरक्षा सर्वोच्च!” भारत ने EU के रूसी तेल प्रतिबंधों को दी मुंहतोड़ जवाब

“ऊर्जा सुरक्षा सर्वोच्च!” – भारत ने EU के रूसी तेल प्रतिबंधों को कैसे दिया जवाब?

देखिए, मामला सीधा-साधा है। भारत ने EU को एकदम साफ़ शब्दों में बता दिया कि हमारी ऊर्जा सुरक्षा सबसे ऊपर है। अब आप ही बताइए, जब यूक्रेन युद्ध के बाद EU ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाए, तो भारत को क्यों उसकी परवाह करनी चाहिए? हमने तो बस अपने राष्ट्रीय हितों को आगे रखा। और सच कहूँ तो, यह फैसला न सिर्फ़ हमारी विदेश नीति की मज़बूती दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि अब हम वैश्विक राजनीति में पहले से कहीं ज़्यादा आत्मविश्वास से खड़े हैं।

पूरा मामला क्या है?

असल में बात यह है कि EU ने यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस पर जमकर प्रतिबंध झोंके। उनमें से एक था रूसी तेल का आयात रोकना। लेकिन भारत? हमने तो उल्टा पिछले दो साल में रूस से तेल खरीदना बढ़ा दिया! है न मज़ेदार बात? EU को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, पर हमारी मजबूरी भी समझिए – global oil prices आसमान छू रहे थे, घरेलू महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ रही थी। ऐसे में सस्ता तेल मिल रहा था, तो हम क्यों न खरीदते? EU ने दबाव बनाने की कोशिश की, पर हमने साफ़ मना कर दिया। सीधी सी बात – हम अपने फ़ायदे की बात कर रहे हैं, राजनीति की नहीं।

भारत का स्टैंड – क्लियर और क्रिस्प

हाल ही में सरकार ने जो बयान जारी किया, वह किसी पत्थर की लकीर की तरह साफ़ था। संदेश? “हमें सस्ता और भरोसेमंद तेल चाहिए, चाहे वह कहीं से भी आए।” विदेश मंत्रालय ने तो यहाँ तक कह दिया कि global market की उठापटक और घरेलू economy को स्थिर रखने के लिए यह ज़रूरी था। और सबसे बढ़िया बात? हमने EU को सीधे तौर पर कह दिया कि हमारी energy policies में दखल न दें। थोड़ा सख्त लगता है? शायद। पर ज़रूरी था।

दुनिया ने क्या कहा?

अब प्रतिक्रियाएँ तो आनी ही थीं। भारत सरकार ने दोहराया – “हमारी प्राथमिकता हमारे लोग हैं।” EU वाले थोड़े नाराज़ दिखे, पर साथ ही बातचीत जारी रखने की बात भी कही। विश्लेषकों की राय? यह भारत का पश्चिमी दबावों के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश है। और हमें यह स्वीकार करना चाहिए – यह एक बोल्ड मूव था।

आगे क्या होगा?

अब सवाल यह है कि यह सब आगे कैसे बढ़ेगा? क्या भारत-EU trade relations पर असर पड़ेगा? संभव है। क्या EU प्रतिबंधों की धमकी देगा? शायद। पर एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि भारत Middle East जैसे अन्य देशों के साथ energy partnerships बढ़ा सकता है। स्मार्ट मूव होगा यह – एक तरफ़ तो energy security मजबूत होगी, दूसरी ओर diplomatic position भी।

तो निष्कर्ष? भारत ने अपनी energy security को लेकर crystal clear stance लिया है। यह न सिर्फ़ हमारी आर्थिक समझदारी दिखाता है, बल्कि global stage पर हमारी बढ़ती ताक़त का भी संकेत है। अब देखना यह है कि EU इस पर कैसे रिएक्ट करता है। और हाँ, यह भी कि क्या दोनों पक्ष किसी middle ground पर आ पाते हैं। पर एक बात तय है – भारत अब पहले जैसा नहीं रहा। और यह अच्छी बात है। है न?

“ऊर्जा सुरक्षा सबसे ऊपर!” – भारत के EU प्रतिबंधों पर जवाब से जुड़े सवालों के जवाब

1. भारत ने EU के रूसी तेल प्रतिबंधों का कैसे जवाब दिया?

देखिए, सीधी बात है – भारत ने EU के नियमों की परवाह नहीं की और रूस से तेल खरीदना जारी रखा। क्यों? क्योंकि हमारी energy security हमारे लिए सबसे ज़्यादा मायने रखती है। वैसे भी, जब तेल सस्ता मिल रहा हो तो मना करने का कोई मतलब? सच कहूं तो यह एकदम प्रैक्टिकल फैसला था।

2. क्या भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय दबाव के खिलाफ है?

हां, बिल्कुल! लेकिन सोचिए – अगर आपको international pressure के आगे झुकना पड़े तो फिर अपने लोगों का क्या होगा? भारत ने साफ-साफ कह दिया कि हमारी प्राथमिकता हमारे देश के हित हैं। थोड़ा कड़वा सच है, पर क्या करें?

3. इससे भारत और EU के संबंधों पर क्या असर पड़ेगा?

असल में, tension तो बढ़ी है – इसे नकारा नहीं जा सकता। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत ने बहुत समझदारी से अपना पक्ष रखा है। और खुशी की बात? दोनों तरफ से बातचीत जारी रखने की इच्छा है। कहते हैं न, diplomacy में कोई permanent दोस्त या दुश्मन नहीं होता!

4. भारत को रूसी तेल खरीदने से क्या फायदा हो रहा है?

अरे भई, economic benefit तो साफ दिख रहा है! पेट्रोल-डीजल के दाम अभी तेजी से नहीं बढ़े, यही तो इसका सबसे बड़ा फायदा है। और हां, oil import bill में कमी आई है – जो कि हमारे जैसे तेल आयात करने वाले देश के लिए बहुत बड़ी राहत की बात है। सीधे शब्दों में कहें तो – फायदे का सौदा!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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