NATO चीफ की धमकी और भारत का जवाब: ‘डबल स्टैंडर्ड’ का खेल अब नहीं चलेगा!
अरे भाई, अब तो हद हो गई! NATO प्रमुख ने रूस के साथ कारोबार करने वाले देशों को ‘सेकेंडरी सैंक्शन्स’ की धमकी दी, और भारत ने जवाब में ऐसा झटका दिया कि सबकी हवा निकल गई। बुधवार को विदेश मंत्रालय ने जो बयान दिया, वो साफ कहता है – “हम अपनी foreign policy में किसी के दबाव में नहीं आएंगे।” और सच कहूं तो, ये बयान ऐसे वक्त आया है जब पश्चिमी देशों का दबाव बढ़ता जा रहा है। लेकिन भारत? हम तो अपनी धुन के पक्के हैं ना!
पूरा माजरा क्या है? NATO बोला, भारत ने झटका दिया
पिछले हफ्ते की बात है – NATO प्रमुख ने public statement देकर कह दिया कि वो रूस के साथ trade करने वालों पर action लेंगे। सीधे-सीधे भारत को निशाना बनाया गया, क्योंकि हम तो रूस-यूक्रेन war के बाद भी वहां से तेल और defense equipment खरीद रहे हैं। पर एक मिनट! क्या पश्चिमी देश ये भूल गए कि energy security हमारे लिए कितनी जरूरी है? जैसे आप अपने घर का खर्चा देखते हैं, वैसे ही देश भी तो चलाना होता है ना!
विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ये भारत की ‘strategic autonomy’ की असली परीक्षा है। और हमारा जवाब? एकदम स्टाइलिश!
विदेश मंत्रालय का जवाब: ‘हमारी policy, हमारे terms पर’
विदेश मंत्रालय के official spokesperson ने तो जैसे चार चांद लगा दिए! उनका कहना था – “हमारी foreign policy 100% स्वतंत्र है। National interests हमारी प्राथमिकता हैं।” बस यही नहीं, NATO के बयान को ‘अनुचित दबाव’ बताया और selective approach को साफ मना कर दिया। अब ये तो होना ही था ना? diplomatic sources के मुताबिक, भारत US और EU के साथ backchannel talks जरूर कर रहा है, लेकिन झुकने का नाम नहीं ले रहा। और सही भी है!
क्या कह रहा है देश और दुनिया?
इस मामले पर reactions बड़े दिलचस्प हैं। defense experts तो भारत के रुख का समर्थन कर रहे हैं – कह रहे हैं कि रूस के साथ हमारे संबंध ऐतिहासिक हैं, strategic हैं। वहीं opposition वाले थोड़ा संतुलित रुख अपना रहे हैं। international media में भी धूम मची हुई है – कहीं भारत की independent foreign policy की तारीफ हो रही है, तो कहीं NATO को नसीहत दी जा रही है। मजा आ गया ना?
आगे क्या हो सकता है? थोड़ा future gazing…
अब सवाल यह है कि आगे क्या? analysts की मानें तो अगर NATO और western countries इसी तरह के statements देते रहे, तो relations में तनाव बढ़ सकता है। लेकिन भारत? हम तो हमेशा की तरह balanced approach अपनाएंगे – एक तरफ रूस के साथ trade जारी रखेंगे, तो दूसरी तरफ US और Europe के साथ partnership भी मजबूत करेंगे। long term में देखें तो ये मामला भारत की diplomatic maturity को और निखारेगा। कमाल की बात है ना?
आखिरी बात: भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि external pressure हम पर काम नहीं करता। NATO को मिला हमारा strong response साफ कहता है – ‘new India‘ डबल स्टैंडर्ड वाली बातें tolerate नहीं करेगा। ये घटना दिखाती है कि global stage पर भारत की आवाज अब और मजबूत हो चुकी है। और हां, ये तो बस शुरुआत है!
भारत ने NATO प्रमुख को जो जवाब दिया, वो साफ़-साफ़ एक संदेश था – हम दोहरे मापदंड वाली बातें बर्दाश्त नहीं करेंगे। और सच कहूं तो, ये कोई नई बात भी नहीं है। देखा जाए तो भारत हमेशा से ही अपनी संप्रभुता को लेकर बेहद सख्त रहा है।
अब सवाल यह है कि आखिर ये पूरा मामला क्या है? दरअसल, हमारी सरकार ने साफ़ कर दिया है कि राष्ट्रीय हित हमारी पहली प्राथमिकता है। चाहे वो international मंच हो या कोई और जगह, भारत अपनी बात रखने से पीछे नहीं हटेगा।
और यहां सबसे मजेदार बात? ये कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं है। बल्कि, ये तो वो स्टैंड है जिस पर भारत सालों से कायम है। थोड़ा सा तीखा लग सकता है, पर सच तो सच है न?
एक तरफ तो दुनिया भर के देश हमें ‘soft power’ कहते हैं, लेकिन दूसरी तरफ जब हम अपने हितों की बात करते हैं तो ये उन्हें अजीब लगता है। है न मजाक की बात? पर हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
असल में, ये सिर्फ एक जवाब नहीं था। ये एक स्टेटमेंट था – स्पष्ट, साफ और बिना किसी शक के। और हां, ये message पूरी दुनिया ने सुन लिया है। अब देखना ये है कि इसका असर क्या होता है।
वैसे, मेरा खुद का मानना है कि इस तरह के स्टैंड लेने से हमारी इमेज और मजबूत होती है। पर आप क्या सोचते हैं? क्या ये सही समय था ऐसा करने का? कमेंट में जरूर बताइएगा!
नाटो चीफ की धमकी और भारत का जवाब – जानिए पूरा मामला
अरे भाई, ये NATO वालों को क्या हो गया है? हर बार भारत को लेकर कुछ न कुछ बयान देते रहते हैं। चलिए, आज इसी मुद्दे पर बात करते हैं।
1. नाटो चीफ ने भारत को लेकर क्या बोला था?
देखिए, NATO के chief Jens Stoltenberg ने एक बार फिर भारत पर निशाना साधा। Russia के साथ हमारे रिश्तों को लेकर indirect तौर पर धमकी दी – मानो कोई स्कूल टीचर बच्चों को डांट रहा हो! कहा कि Russia का साथ देने के “consequences” होंगे। सच कहूं तो, ये वही पुरानी रट है जो पश्चिमी देश अक्सर दोहराते रहते हैं।
2. भारत ने इसका क्या जवाब दिया?
अब सुनिए हमारे External Affairs Ministry का जवाब – एकदम स्टाइलिश! उन्होंने साफ कह दिया कि भारत को कोई बताएगा नहीं कि उसे क्या करना है। हमारी foreign policy हम तय करेंगे, किसी के दबाव में नहीं। और सबसे बढ़िया बात – उन्होंने इसे सीधे “double standards” कहकर पुकार लिया। थप्पड़ जैसा जवाब!
3. क्या सच में भारत और Russia के इतने गहरे रिश्ते हैं?
अरे भई, ये तो बिल्कुल वैसा ही सवाल है जैसे कोई पूछे कि क्या दही और चावल का स्वाद अच्छा होता है! दशकों से Russia हमारा सबसे भरोसेमंद defense partner रहा है। सिर्फ हथियारों का सौदा ही नहीं, energy से लेकर trade तक – हर मोर्चे पर हमारा साथ। Geopolitics की बात हो तो UN में हमेशा एक-दूसरे का सपोर्ट। असल में, ये रिश्ता कुछ वैसा ही है जैसे पुराने दोस्तों का – समय की कसौटी पर खरा उतरा हुआ।
4. नाटो को भारत से दिक्कत क्यों है?
तो दोस्तों, असली सवाल यही है न? सच तो ये है कि NATO चाहता है कि हम Russia-Ukraine war में पश्चिम का पक्ष लें। लेकिन हमारी तो policy ही अलग है – न तो किसी के साथ, न किसी के खिलाफ। हमारा अपना independent रास्ता। और सच कहूं तो, ये तो वही बात हुई कि कोई आपसे कहे कि अपने पुराने दोस्त को छोड़ दो क्योंकि उससे मेरी दुश्मनी है। क्या आप मानेंगे? बिल्कुल नहीं न!
फिलहाल तो ये सिलसिला चलता रहेगा। लेकिन एक बात तय है – भारत अपने फैसले खुद लेगा। जैसा हमेशा से करता आया है।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com