क्या भारत शेख हसीना को बचाएगा? ये प्रत्यर्पण वाला मामला क्यों है सबकी जुबान पर?
अरे भई, बांग्लादेश की राजनीति तो इन दिनों गर्मा गई है न! शेख हसीना, जो कभी वहां की सबसे ताकतवर महिला थीं, आज भारत में शरण लिए बैठी हैं। और अब ढाका वालों ने उन्हें वापस मंगवाने के लिए भारत सरकार को औपचारिक चिट्ठी भेज दी है। Extradition का ये मामला सुनने में जितना सीधा लगता है, असल में उससे कहीं ज्यादा पेचीदा है। क्योंकि यहाँ कानून से ज्यादा राजनीति की बदबू आ रही है।
है कोई जानता है – शेख हसीना आखिर हैं कौन?
देखिए न, बात ऐसी है… हसीना मैडम बांग्लादेश की सियासत का बड़ा नाम रही हैं। अवामी लीग की मालकिन। कुछ लोग इन्हें विकास की मसीहा मानते हैं तो कुछ के लिए ये तानाशाह से कम नहीं। पिछले कुछ सालों से भ्रष्टाचार और मानवाधिकार के आरोपों का पहाड़ इन पर टूट पड़ा है। और अब तो सेना समर्थित अंतरिम सरकार ने इनके खिलाफ केसों का पुलिंदा खोल दिया है। मजे की बात ये कि भारत और बांग्लादेश के बीच Extradition Treaty तो है, पर ये मामला कागजों से निकलकर सीधे राजनीति के दलदल में फंस गया लगता है।
अब तक क्या हुआ है? – ताजा हालात पर एक नजर
सुनिए, अभी-अभी बांग्लादेश सरकार ने हसीना को वापस लाने का आधिकारिक नोटिस भेजा है। लेकिन भारत सरकार की तरफ से अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है। विदेश मंत्रालय वाले अपनी पुरानी आदत के मुताबिक “मामले की जाँच चल रही है” वाला बयान देकर फिलहाल पल्ला झाड़ लिए हैं। वहीं अवामी लीग वाले तो बिल्कुल गरमा गए हैं – इन्हें ये पूरा मामला राजनीतिक बदले की कार्रवाई लग रहा है।
किसका क्या स्टैंड? – सभी पक्षों की प्रतिक्रियाएं
अब जरा देखिए इस मामले में कौन क्या बोल रहा है:
– बांग्लादेश सरकार: “हमें भारत से न्याय की उम्मीद है” (वाह, बड़ा सीधा-सादा बयान!)
– भारतीय MEA: “हम जाँच कर रहे हैं” (यानी अभी कुछ पता नहीं)
– अवामी लीग: “ये साजिश है!” (ऐसा तो हर पार्टी बोलती है)
– राजनीतिक एक्सपर्ट्स: “अगर हसीना वापस गईं तो बांग्लादेश में भारत विरोधी माहौल बन सकता है” (ये तो गंभीर बात हुई)
आगे क्या होगा? – कुछ अंदाज़ा, कुछ अफवाहें
असल में ये मामला अब दो देशों की सियासत का चेस बोर्ड बन चुका है। अगर भारत ने हसीना को वापस भेज दिया तो बांग्लादेश में दंगे-फसाद तक की नौबत आ सकती है। और अगर नहीं भेजा तो ढाका वाले नाराज हो जाएंगे। दोनों ही सूरत में भारत के लिए मुश्किल। सच कहूँ तो ये फैसला चाणक्य नीति की परीक्षा होगी। अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी इस पर नजर गड़ाए बैठा है।
तो दोस्तों, ये कोई साधारण Extradition केस नहीं है। ये तो भारत-बांग्लादेश रिश्तों की कसौटी है। भारत सरकार को ऐसा रास्ता निकालना होगा जो कानूनी बंदिशों और राजनीतिक समझदारी, दोनों को संतुष्ट कर सके। वैसे… आपको क्या लगता है? हसीना को वापस भेजना चाहिए या नहीं? कमेंट में बताइएगा जरूर!
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1. शेख हसीना का प्रत्यर्पण मामला: बात क्या है?
देखिए, मामला थोड़ा पेचीदा है। बांग्लादेश की PM शेख हसीना पर corruption और human rights violations के आरोप तो लगे हैं, लेकिन सच क्या है? ये तो अदालत ही तय करेगी। असल में कुछ देश उन्हें अपने यहां लेना चाहते हैं, पर भारत इस पूरे झगड़े में क्या करेगा? यही तो सब जानना चाहते हैं।
2. भारत क्या हसीना को बचाएगा? गंभीर सवाल
अब यहां समझने वाली बात ये है कि भारत और बांग्लादेश के रिश्ते कितने गहरे हैं। स्ट्रेटजिक पार्टनर, दोस्त, पड़ोसी – सब कुछ। तो जाहिर है, भारत उनका साथ दे सकता है। पर सवाल ये कि कितना? क्योंकि अभी तक तो सरकार की तरफ से कोई साफ़ बयान नहीं आया है। ऐसे मामलों में तो राजनीति हमेशा कानून से आगे भागती है, है न?
3. भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण समझौता: काम कैसे करता है?
दोनों देशों के बीच extradition treaty है, ये तो ठीक। लेकिन भईया, ये treaty सामान्य criminals के लिए बनी है। जब बात राजनीति की आती है, तो सब कुछ धुंधला हो जाता है। क्या हसीना के मामले में ये लागू होगी? मुश्किल सवाल। क्योंकि इसमें तो diplomacy, international pressure सब चलता है।
4. अगर हसीना भारत आईं तो? क्या होगा?
अरे, ये तो बिल्कुल फिल्मी प्लॉट जैसा हो गया! सोचिए, अगर वो भारत आती हैं तो? तब तो सरकार और कोर्ट दोनों की नींद उड़ जाएगी। एक तरफ treaty का दबाव, दूसरी तरफ रिश्तों का ख्याल। और हां, political asylum का ऑप्शन भी तो है। पर इतना याद रखिए – अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुछ भी ब्लैक एंड व्हाइट नहीं होता। ग्रे एरिया ही राज करता है।
सच कहूं तो, ये पूरा केस एक पहेली की तरह है। जिसका जवाब शायद वक्त ही देगा। आपको क्या लगता है? कमेंट में बताइएगा जरूर!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com