ट्रंप की धमकी से भारत कैसे बचा? अब आगे क्या? 3 बड़ी मुश्किलें सामने!
देखिए, भारत ने हाल ही में ट्रंप की उस धमकी को हैंडल किया है जैसे कोई अनुभवी शतरंज खिलाड़ी चाल चलता है – सतर्कता से, मगर पूरे आत्मविश्वास के साथ। याद है न वो वाकया जब ट्रंप ने कहा था कि जो देश De-Dollarization की कोशिश करेंगे, उन पर 100% टैरिफ लगा देंगे? सीधे-सीधे भारत जैसे देशों को टारगेट कर रहा था। और हमने तो पिछले कुछ सालों में BRICS के जरिए डॉलर से आजादी की दिशा में कदम भी बढ़ाए हैं। लेकिन यहां सरकार ने जो किया वो कमाल का था – न तो घुटने टेके, न ही रिश्ते बिगाड़े। बैलेंस बनाकर चले।
पूरा माजरा क्या है? ट्रंप का गुस्सा और भारत का जवाब
असल में ट्रंप तो वैसे भी… यार, उनका तरीका ही अलग है न! राष्ट्रपति रहते हुए भी उन्होंने भारत समेत कई देशों पर आप्रवासन और ट्रेड डेफिसिट को लेकर दबाव बनाया था। और अब फिर वही राग – “De-Dollarization करोगे तो टैरिफ लगा दूंगा!” सीधी सी बात है, ये हमारे लिए बड़ी चिंता की बात थी क्योंकि भारत तो हाल में BRICS के साथ मिलकर डॉलर से आजादी की तरफ बढ़ ही रहा था। मगर यहां हमारी सरकार ने जो रणनीति अपनाई, वो काबिले-तारीफ है।
भारत ने कैसे संभाला ये झटका? 3 स्मार्ट मूव्स
तो अब सवाल यह है कि आखिर भारत ने क्या किया? पहला तो ये कि हमने अमेरिका से रिश्ते बिगाड़ने से बचा लिए। विदेश मंत्रालय वालों ने बड़ी समझदारी से काम लिया – एक तरफ तो अमेरिका को यकीन दिलाया कि हम साथ काम करना चाहते हैं, दूसरी तरफ अपने आर्थिक फैसलों पर कोई समझौता नहीं किया। दूसरा, BRICS की अध्यक्षता का फायदा उठाकर हमने वैकल्पिक करेंसी सिस्टम पर चर्चा को तेज कर दिया। और तीसरा सबसे जरूरी – मेक इन इंडिया को पुश किया ताकि टैरिफ का असर कम हो। स्मार्ट न?
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स और राजनीतिक दल?
अब जानते हैं दिल्ली की गर्मागर्म बहसों का हाल। एक्सपर्ट्स की राय है कि हां, ट्रंप का ये कदम चिंताजनक है, पर भारतीय अर्थव्यवस्था में इतना दम तो है कि ऐसे झटके झेल ले। वहीं विपक्ष वालों का तो ये हाल है कि सरकार पर बरस पड़े – “अमेरिका के आगे घुटने टेक दिए!” उनका कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए, हमें अपनी पॉलिसीज पर अडिग रहना चाहिए। पर सच कहूं तो, इतना आसान भी नहीं होता यार अंतरराष्ट्रीय राजनीति!
आगे की राह: 3 बड़ी चुनौतियां
तो अब क्या? पहली और सबसे बड़ी चुनौती तो ये कि अगर ट्रंप फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए तो? फिर तो आप्रवासन और ट्रेड पॉलिसी पर नए सिरे से दबाव बनेगा। दूसरा, De-Dollarization का सपना – इसे पूरा करने के लिए BRICS और दूसरे देशों के साथ मिलकर नए विकल्प तलाशने होंगे। और तीसरी सबसे अहम – घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करना। आत्मनिर्भर भारत अभियान को रफ्तार देनी होगी वरना… खैर, आप समझ ही गए होंगे।
सच कहूं तो, ये वक्त भारत के लिए चुनौतीपूर्ण जरूर है, मगर नामुमकिन नहीं। बस थोड़ी सी सूझ-बूझ और बहुत सारी मेहनत की दरकार है। जैसा कि हमारे दादाजी कहते थे – “संकट में ही असली काबिलियत दिखती है!”
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ट्रंप की धमकी और भारत की मुश्किलें – जानिए पूरा माजरा
1. ट्रंप ने भारत को लेकर क्या बड़ी बात कही थी?
देखिए, ट्रंप साहब ने तो हमें सीधे-सीधे दबाने की कोशिश की थी। Trade के मामले में रोड़े अटकाए, H-1B वीज़ा पर रोक की बात की – यानी हमारे IT sector को झटका देने की पूरी तैयारी। अब सोचिए, जब अमेरिका जैसा बड़ा पार्टनर ऐसी बात करे तो असर तो पड़ेगा ही न?
2. भारत ने इसका जवाब कैसे दिया? स्मार्टली हैंडल किया!
असल में हमारी सरकार ने बड़ी चालाकी से काम लिया। एक तरफ तो diplomatic channels पर बातचीत जारी रखी, दूसरी तरफ दूसरे देशों के साथ relations मजबूत किए। Europe, Japan, Australia – इन सबके साथ trade deals बढ़ाकर अमेरिका पर निर्भरता कम कर दी। बिल्कुल चेस का वो मूव जहां आप किंग को सेफ रखते हुए दूसरे pieces से प्रेशर बनाते हैं!
3. अभी भी भारत के सामने कौन-कौनसी बड़ी मुश्किलें हैं?
ईमानदारी से कहूं तो चुनौतियां कम नहीं हैं। पहली तो ये कि global trade की जंग में अपना बचाव कैसे करें। दूसरा – technology और manufacturing में आत्मनिर्भर बनने की रेस। और सबसे बड़ी बात – America, China, Russia के बीच ऐसा बैलेंस बनाए रखना जैसे नटखट बच्चों को संभालना हो! लेकिन हम भारतीयों को तो ऐसी पेचीदगियों की आदत है न?
4. क्या अमेरिका के साथ रिश्ते सुधर पाएंगे? मेरा पर्सनल विचार…
देखा जाए तो भारत ने हमेशा से ही foreign policy में बड़ी समझदारी दिखाई है। Leadership चाहे ट्रंप हो या बाइडन, हमने mutual interests को आगे रखा है। मेरा मानना है कि आने वाले समय में relations और बेहतर होंगे – क्योंकि अमेरिका को भी तो हमारे IT professionals, हमारे market की जरूरत है न? ये रिश्ता सड़क के किनारे का वो ठेला नहीं जो हर मोड़ पर अलग दिशा में मुड़ जाए!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com