अमेरिका को पीछे छोड़ने की तैयारी? भारत की ये ‘अंडरग्राउंड किलर’ मिसाइल चर्चा में क्यों है!
देखा जाए तो भारत ने फिर एक बार दुनिया को हैरान कर दिया है। और इस बार वजह है DRDO की नई तकनीक – अग्नि-5 मिसाइल का वो खास वर्जन जो दुश्मनों के भूमिगत बंकरों को ध्वस्त करने में सक्षम है। सच कहूं तो, ये ‘अंडरग्राउंड किलर’ सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा को नई ताकत देने वाला गेम-चेंजर है।
मिसाइल टेक्नोलॉजी में भारत का सफर: कहां थे, कहां पहुंच गए!
याद कीजिए 10 साल पहले की बात। तब हमारी मिसाइल तकनीक कहां थी और आज कहां पहुंच गई! अग्नि-5 जो पहले से ही 5,000 किमी तक निशाना साध सकती थी, अब और ज्यादा खतरनाक हो गई है। असल बात ये है कि इसका नया वर्जन सिर्फ दूरी ही नहीं, बल्कि गहराई में भी मार कर सकता है – 10 मीटर नीचे तक के टारगेट को भी निशाना बना सकता है। और सबसे मजेदार बात? ये टेक्नोलॉजी पहले सिर्फ अमेरिका-रूस जैसे देशों के पास थी। अब हम भी इस क्लब में शामिल!
क्या है इस मिसाइल की खासियत? जानिए वो 3 बातें जो इसे खास बनाती हैं
पहली बात तो ये कि ये हाइपरसोनिक स्पीड से हमला करेगी – मतलब दुश्मन को ब्लिंक करने का भी टाइम नहीं मिलेगा। दूसरा, कंक्रीट की मोटी दीवारें? मिट्टी की परतें? ये सब तो जैसे मक्खन की तरह काट देगी। और तीसरा सबसे जरूरी प्वाइंट – DRDO के मुताबिक अगले 2 साल में ये हमारी सेना का हिस्सा बन जाएगी। सोचिए, कितना बड़ा अपग्रेड होगा हमारी डिफेंस क्षमता में!
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स? और… राजनीति में क्या चल रहा है?
एक रक्षा विश्लेषक ने मुझे बताया, “ये टेक्नोलॉजी हमें सच में स्ट्रेटेजिक एडवांटेज देगी।” सरकार की तरफ से तो ‘आत्मनिर्भर भारत’ का जिक्र हो ही रहा है। लेकिन विपक्ष वालों ने सवाल उठाए हैं – “पैसा सही जगह खर्च हो रहा है न?” हालांकि, अगर तकनीक काम कर रही है तो बहस तो होगी ही न!
आगे क्या? चीन-पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा?
असल में ये सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि पूरे रीजन की सुरक्षा समीकरण बदल देने वाला फैक्टर है। मजे की बात ये कि अब हमारे पड़ोसी देशों को शायद अपनी सैन्य रणनीति पर फिर से सोचना पड़े। और लॉन्ग टर्म में? ये टेक्नोलॉजी भारत को ग्लोबल डिफेंस मार्केट में बड़ा प्लेयर बना सकती है। सोचिए न, कहीं हम अगले कुछ सालों में मिसाइल टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट करने लगें तो?
तो देखा आपने? ये नई तकनीक सिर्फ हमारी सैन्य ताकत ही नहीं बढ़ाएगी, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ को भी असली मायने देगी। और हां, एक बात और – अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चला तो… अमेरिका को पीछे छोड़ने की बात सिर्फ सपना नहीं रहेगा!
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1. यह ‘अंडरग्राउंड किलर’ मिसाइल आखिर है क्या बला?
देखिए, असल में यह भारत का वो जवाब है जो ज़मीन के नीचे से दुश्मन को झटका देगा। सोचिए न, यह मिसाइल underground silos से अचानक फट्ट से निकलती है – radar को चकमा देती हुई, और सीधे निशाने पर वार करती है। सच कहूं तो, इसकी precision देखकर तो लगता है जैसे कोई video game में cheat code लगा दिया हो!
2. सच बताइए, क्या यह अमेरिकी मिसाइलों से भी तगड़ी है?
अब यहां बात दिलचस्प हो जाती है। DRDO वालों का दावा तो यही है कि stealth और बचने की कला में यह अमेरिकी टेक्नोलॉजी को पीछे छोड़ सकती है। पर ईमानदारी से? दोनों के तरीके अलग हैं, तुलना करना वैसा ही है जैसे सेब और संतरे की तुलना करना। हां, एक बात तय है – यह हमारे लिए game changer ज़रूर है।
3. नाम में ही कितना डर है – ‘अंडरग्राउंड किलर’… पर क्यों?
अरे भई, नाम तो पूरा ही सीनरी बदल देता है न! सोचिए – ज़मीन के नीचे छुपे दुश्मन के ठिकानों तक यह पहुंच सकती है। जैसे कोई भूतिया हत्यारा जो ज़मीन के अंदर से वार करे। इसकी ground penetration टेक्नोलॉजी ही इसे खास बनाती है। डरावना? हां। प्रभावी? बिल्कुल!
4. क्या यह मिसाइल हमारी nuclear ताकत को और बढ़ाएगी?
बिल्कुल! असल में देखा जाए तो यह हमारे nuclear deterrent का सुपरचार्ज्ड वर्जन है। second-strike capability का मतलब समझते हैं न? यानी अगर कोई हम पर हमला करे भी, तो हम ज़मीन के नीचे से जवाब दे सकते हैं। चीन-पाकिस्तान वालों के लिए यह सोचने वाली बात है – अब underground भी safe नहीं रहा!
क्या बात है न? टेक्नोलॉजी की यह उड़ान देखकर गर्व होता है। पर साथ ही, यह भी याद रखना ज़रूरी है कि यह सब शांति बनाए रखने के लिए है। आखिरकार, सबसे बड़ा हथियार तो शांति ही होता है… है न?
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