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“1 लाख करोड़ का रक्षा बजट! भारतीय सेना खरीदेगी युद्धपोत, मिसाइल और जासूसी विमान – पूरी जानकारी”

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1 लाख करोड़ का रक्षा बजट! क्या अब भारतीय सेना बनेगी और भी ज्यादा ताकतवर?

अरे भाई, अगर आपको लगता है कि भारत सिर्फ IT और बॉलीवुड में ही आगे है, तो जरा रुकिए! सरकार ने हाल ही में एक ऐसा फैसला लिया है जो हमारी सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखाता है। रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा के बजट को हरी झंडी दे दी है। और ये कोई छोटी-मोटी रकम नहीं है – इससे हमारी नौसेना, वायुसेना को नए जहाज, मिसाइलें और जासूसी विमान मिलने वाले हैं। सच कहूं तो, चीन और पाकिस्तान की हरकतों को देखते हुए ये कदम बिल्कुल सही लगता है।

पर क्यों? क्या वजह है इस बड़े फैसले की?

देखिए न, पिछले कुछ सालों से हमारी सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर जोर दे रही है। और ये सिर्फ नारा नहीं है – असल में हमारा रक्षा उद्योग अब धीरे-धीरे पैर पसार रहा है। पिछले साल भी बजट बढ़ा था, लेकिन इस बार फोकस है नौसेना और वायुसेना पर। लद्दाख में चीन के साथ तनाव हो या फिर पाकिस्तान की सीमा पार गतिविधियां – इन सबके चलते ये फैसला आना ही था। एक तरफ तो ये हमारी सुरक्षा के लिए अच्छा है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या हम इतने बड़े बजट का सही इस्तेमाल कर पाएंगे?

तो क्या-क्या खरीदा जा रहा है? जानिए डिटेल्स!

अब बात करते हैं मजेदार हिस्से की! इस बजट में नौसेना के लिए नए विध्वंसक युद्धपोत और पनडुब्बियाँ आने वाली हैं – समुद्र में हमारी ताकत बढ़ाने के लिए। मिसाइलों की बात करें तो हमारे देश में बनी BrahMos मिसाइल के नए वर्जन तो हैं ही, साथ ही लंबी दूरी की मिसाइलें भी शामिल हैं। और तो और, वायुसेना को मिलेंगे एडवांस्ड निगरानी विमान – जो कि बॉर्डर पर नजर रखने के लिए बेहद जरूरी हैं। सबसे दिलचस्प? ड्रोन टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा पर भी भारी निवेश! आज के जमाने में ये चीजें उतनी ही जरूरी हैं जितनी कि रोटी-कपड़ा-मकान।

क्या कह रहे हैं लोग? राजनाथ सिंह से लेकर विपक्ष तक!

इस फैसले पर सियासत भी गर्म है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तो बिल्कुल खुश नजर आ रहे हैं – उनका कहना है, “ये देश की सुरक्षा के लिए गेम-चेंजर साबित होगा।” वहीं सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का कहना है कि इससे हमारी सैन्य क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। लेकिन…हमेशा की तरह विपक्ष को कुछ न कुछ तो कहना ही था! कांग्रेस के एक नेता ने सवाल उठाया है कि कहीं ये पैसा भी पहले की तरह देरी से खर्च न हो जाए। सच्चाई यही है कि अच्छी योजनाओं को सही तरीके से लागू करना भी उतना ही जरूरी है।

आगे क्या? Make in India और DRDO की बड़ी भूमिका

अब सबसे बड़ा सवाल – ये सब कब तक होगा? अगले 2-3 सालों में इन परियोजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा। और यहां सरकार की सोच साफ है – ज्यादा से ज्यादा चीजें भारत में ही बनें। ‘Make in India’ को बढ़ावा देने के लिए निजी कंपनियों के साथ टाई-अप किए जा रहे हैं। DRDO भी पीछे नहीं है – नई टेक्नोलॉजी पर रिसर्च जोरों पर है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो ये बजट न सिर्फ हमारी सैन्य ताकत बढ़ाएगा, बल्कि देश के रक्षा उद्योग को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। बस, देखना ये है कि असल में कितना कुछ हकीकत बन पाता है!

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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