माली में 3 भारतीयों का अपहरण: क्या सरकार कर पाएगी उन्हें सुरक्षित वापस लाने का वादा?
एक जुलाई की वो सुबह शायद उन तीन भारतीय कर्मचारियों के लिए सबसे बुरे सपने जैसी रही होगी। माली की एक cement फैक्ट्री पर हुए हमले ने न सिर्फ उनकी जिंदगी बल्कि उनके परिवारों को भी झकझोर कर रख दिया। और देखते ही देखते यह मामला दिल्ली तक पहुंच गया। विदेश मंत्रालय ने तुरंत एक्शन लेते हुए बंधक बनाए गए नागरिकों को छुड़ाने का वादा किया। पर सवाल यह है कि क्या यह उतना आसान होगा? खासकर तब, जब माली पहले से ही आतंकवाद की आग में झुलस रहा है।
क्यों बार-बार हो रहे हैं ऐसे हमले?
असल में मामला इतना सरल नहीं है। माली, जो पश्चिम अफ्रीका में बसा एक छोटा सा देश है, पिछले 10 साल से लगातार सुरक्षा संकट झेल रहा है। यहां तक कि local sources के मुताबिक पिछले छह महीनों में विदेशियों पर हमले 40% बढ़ गए हैं! और हैरानी की बात ये कि जिस फैक्ट्री पर हमला हुआ, वह कोई छोटी-मोटी कंपनी नहीं बल्कि एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई वहां कोई सुरक्षा है? या फिर भारतीय professionals के लिए यह जोखिम उठाने लायक जगह है?
क्या कर रही है भारत सरकार?
अच्छी खबर ये है कि इस बार सरकार ने देरी नहीं की। घटना के तुरंत बाद विदेश मंत्रालय ने माली सरकार से लेकर United Nations तक सभी के साथ contact बढ़ा दिया। एक senior अधिकारी ने बताया कि परिवारों को पूरा सपोर्ट दिया जा रहा है। लेकिन यहां दिक्कत ये है कि अपहरणकर्ताओं की असली मंशा अभी तक साफ नहीं हो पाई है। कुछ का कहना है कि यह फिरौती के लिए किया गया अपहरण है, तो कुछ इसे आतंकवादी गुटों का काम मान रहे हैं। बहरहाल, सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सक्रिय हैं।
परिवारों की चिंता, सरकार का आश्वासन
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने press conference में कहा, “हमारी पहली प्राथमिकता हमारे नागरिकों की सुरक्षा है।” लेकिन क्या ये वादे परिवारों को संतुष्ट कर पाएंगे? एक पीड़ित के भाई ने media को बताया, “हम सिर्फ अपने लोगों की सुरक्षित वापसी चाहते हैं।” सच तो ये है कि माली में स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। Security experts का मानना है कि वहां काम कर रहे सभी भारतीयों को extreme caution बरतने की जरूरत है।
आगे क्या हो सकता है?
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार क्या कदम उठाती है। कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, अगर हालात और खराब हुए तो माली से भारतीयों को वापस बुलाने का विकल्प भी तालिका पर है। पर ये इतना आसान नहीं होगा। क्योंकि ऐसा करने से न सिर्फ द्विपक्षीय संबंध प्रभावित होंगे, बल्कि पूरे region की security व्यवस्था पर सवाल उठेंगे। एक तरफ जहां आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग तेज हो रही है, वहीं दूसरी तरफ तीन निर्दोष जिंदगियां दांव पर लगी हैं।
अभी तक की स्थिति ये है कि diplomatic efforts पूरे जोर-शोर से चल रहे हैं। आने वाले कुछ दिनों में कुछ concrete developments की उम्मीद है। लेकिन सच तो ये है कि जब तक हमारे तीनों नागरिक सुरक्षित घर नहीं लौटते, तब तक देश की चिंता कम होने वाली नहीं। क्योंकि अंत में, यह सिर्फ तीन लोगों की नहीं बल्कि पूरे भारत की इज्जत का सवाल है।
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1. माली में 3 भारतीयों का अपहरण कब हुआ था?
देखिए, अभी तक जो खबरें आई हैं, उनके मुताबिक यह घटना पिछले हफ्ते की है। सच कहूं तो सरकारी सूत्रों ने अभी तक सटीक तारीख सार्वजनिक नहीं की है – शायद जांच चल रही होगी।
2. विदेश मंत्रालय ने इस मामले में क्या कदम उठाए हैं?
अरे भाई, यहां तो तुरंत एक्शन लिया गया! विदेश मंत्रालय ने माली की सरकार और local authorities से contact किया। साथ ही, वहां के Indian Embassy को भी पूरी तरह involved किया गया है। एक तरह से देखें तो सिस्टम ने काम करना शुरू कर दिया है।
3. क्या अपहृत भारतीयों के परिवारों को कोई update मिला है?
हां जी, अच्छी बात यह है कि परिवारों से लगातार संपर्क बना हुआ है। मंत्रालय वालों ने खुद उन्हें latest updates दिए हैं। और सुनिए, सरकार ने तो यहां तक कह दिया है कि हर possible help की जाएगी। परिवार वालों के लिए थोड़ा सुकून की बात है।
4. क्या यह मामला पहले भी हुआ है? माली कितना safe है भारतीयों के लिए?
सच बताऊं? माली की security situation कुछ सालों से ठीक नहीं चल रही, खासकर उत्तरी इलाकों में। भारत सरकार ने तो पहले ही travel advisory जारी कर रखी है। मतलब साफ है – जहां जरूरी न हो, वहां जाने से बचें। Safety guidelines पर गौर करें, यह उतना ही जरूरी है जितना कि passport साथ रखना!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com