6 करोड़ में बिका टैगोर का पत्र! और एक छोटी सी मूर्ति ने मारा 1 करोड़ का छक्का
अरे भाई, कला की दुनिया में तूफान आ गया है! हाल ही में एक international auction house में रवींद्रनाथ टैगोर के हाथ से लिखे पत्रों की नीलामी हुई – और यकीन मानिए, कीमत सुनकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। 6 करोड़ रुपये! वह भी सिर्फ कुछ पन्नों के लिए? और तो और, उनकी बनाई एक छोटी सी मूर्ति ने तो 1.2 करोड़ की धूम मचा दी। सच कहूँ तो, ये आंकड़े देखकर लगता है जैसे हमारी सांस्कृतिक विरासत की कीमत अब पहले से कहीं ज्यादा हो गई है।
गुरुदेव की वो तस्वीर जो आप नहीं जानते
सच बताऊँ? हम सब टैगोर को उनकी कविताओं और गीतों के लिए जानते हैं, लेकिन यार, ये आदमी तो ऑलराउंडर निकला! कवि, लेखक, चित्रकार और अब पता चला – मूर्तिकार भी। इस नीलामी ने उनके इसी कम जाने पहलू को सामने लाया है। उनके पत्र? वो तो सोने से भी ज्यादा कीमती हैं – न सिर्फ इसलिए कि वो टैगोर ने लिखे हैं, बल्कि इसलिए भी कि इनमें उस जमाने की सच्चाई छिपी है। राजनीति, समाज, साहित्य – सबकी झलक मिलती है। और मूर्ति? उसकी तो बात ही अलग है – जैसे कोई rare पोकेमॉन कार्ड हो!
नीलामी के असली हीरो कौन थे?
इस पूरे auction का स्टार क्या था? तीन पत्र – 6 करोड़ के! इनमें टैगोर अपने दिमाग की बत्तियां जलाते हुए नजर आते हैं। लेकिन असली सरप्राइज थी वो छोटी सी मूर्ति – जिसे उन्होंने शायद कभी खुद के लिए बनाया था – 1.2 करोड़ में बिकी। और खरीददार कौन? सिर्फ अमीर international collectors ही नहीं, बल्कि हमारे अपने देश के cultural institutions भी मैदान में थे। मतलब साफ है – हम भी अब अपनी विरासत की कीमत समझने लगे हैं।
लोग क्या कह रहे हैं? चलो सुनते हैं!
अब सवाल यह है कि इस पर लोगों की क्या राय है? कुछ art experts तो खुशी से झूम रहे हैं – “ये कीमत टैगोर के असली मूल्य को दिखाती है!” वहीं दूसरी तरफ, कुछ लोग नाक-भौं सिकोड़ रहे हैं – “इतनी ऊँची कीमतें तो कला को आम आदमी से दूर कर देती हैं।” सच कहूँ? दोनों तरफ कुछ न कुछ सच्चाई है। लेकिन एक बात तो तय है – इसने टैगोर को फिर से ट्रेंडिंग बना दिया है!
आगे क्या होगा? क्रिस्टल बॉल में झाँकते हैं
अब ये खजाना कहाँ जाएगा? कोई निजी संग्रहालय होगा, या फिर सार्वजनिक प्रदर्शनी? विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बाद भारतीय कला की global demand और बढ़ेगी। और हाँ – अगर आपके घर में टैगोर का कोई पुराना पत्र पड़ा है, तो समझ लीजिए आपकी किस्मत खुलने वाली है! क्योंकि ये नीलामी तो साबित कर ही चुकी है – गुरुदेव की हर रचना आज भी उतनी ही ज़िंदा है, जितनी उनके ज़माने में थी। एकदम ज़बरदस्त। सच में।
यह भी पढ़ें:
6 करोड़ में बिका वो ऐतिहासिक पत्र और 1 करोड़ की छोटी सी मूर्ति – जानिए सबकुछ!
1. आखिर क्या था वो पत्र जिसकी कीमत 6 करोड़ रुपये?
देखिए, ये कोई आम चिट्ठी तो नहीं थी! एक rare historical document था जिसमें हमारे देश के इतिहास का कोई खास राज छिपा होगा। Experts की मानें तो शायद किसी बड़े राजा या नेता का personal letter रहा हो, जिसकी अहमियत आज भी कम नहीं हुई। सोचिए, कागज का एक टुकड़ा जिसकी कीमत करोड़ों में… है ना कमाल की बात?
2. भई, इतनी छोटी सी मूर्ति का दाम 1 करोड़? क्या खास था इसमें?
अरे भाई, size से क्या होता है? असली बात तो craftsmanship और उम्र की है! ये मूर्ति शायद किसी master artist के हाथों बनी होगी, सैकड़ों साल पहले। ऐसी rare चीजें तो auction houses में gold से भी ज्यादा चलती हैं। एक तरफ तो हम 10 रुपये की चाट पर पछताते हैं, दूसरी तरफ लोग करोड़ों की मूर्तियां खरीद रहे हैं!
3. ये सब खरीदा किसने? और auction हुआ कहां?
ईमानदारी से कहूं तो exact जानकारी तो नहीं मिलती। लेकिन अक्सर ऐसे auctions Sotheby’s या Christie’s जैसी बड़ी जगहों पर होते हैं। खरीदार? कोई अमीर collector होगा या फिर कोई museum… पर ये लोग अपनी पहचान छुपाना ही पसंद करते हैं। शायद security के चक्कर में!
4. सरकार क्यों नहीं रोकती ऐसी चीजों को विदेश जाने से?
यहां बात थोड़ी पेचीदा हो जाती है। देश में Antiquities and Art Treasures Act, 1972 है जो कुछ खास चीजों को रोक सकता है। लेकिन सब पर नहीं! कभी-कभी सरकार भी कोशिश करती है – या तो खुद खरीद ले या court के जरिए रोक लगाए। पर ये सब इतना आसान भी नहीं होता, खासकर जब international laws की बात आ जाए।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com