भारतीय पर्वतारोहियों ने पेंगोंग त्सो की चोटियों पर फहराया तिरंगा, रचा इतिहास!

भारतीय पर्वतारोहियों ने पेंगोंग त्सो की चोटियों पर तिरंगा फहराया – इतिहास रच दिया!

अरे वाह! भारतीय पर्वतारोहण की दुनिया में आज एक ऐसा कारनामा हुआ है जिस पर हर भारतीय को गर्व होगा। JIM&WS, NIM और HMI के जांबाज़ ट्रेनर्स की एक टीम ने लद्दाख के पेंगोंग त्सो इलाके में दो अनछुई चोटियों पर तिरंगा लहरा दिया। सच कहूं तो, ये सिर्फ़ पर्वतारोहण का मामला नहीं है – ये तो देश की शान का सवाल है!

अब पेंगोंग त्सो के बारे में थोड़ा बात कर लेते हैं। ये लद्दाख की वो ऊंची झील है जहां जाना ही अपने आप में एक चुनौती है। और हां, चीन की सीमा के पास होने की वजह से इसका रणनीतिक महत्व भी कम नहीं। है न मज़ेदार बात? इतने सालों से यहां कोई भारतीय टीम नहीं पहुंची थी – आज हमारे लोगों ने ये कमाल कर दिखाया!

असल में ये कोई आम चढ़ाई नहीं थी। सोचो – 18,000 फीट की ऊंचाई, बर्फ़ीली हवाएं, ऑक्सीजन की कमी, और वो भी खड़ी चट्टानों पर चढ़ना! लेकिन हमारे जवानों ने क्या कमाल किया। सेना और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर ये मिशन पूरा किया। एकदम ज़बरदस्त। सच में।

देशभर में इसकी चर्चा हो रही है। रक्षा मंत्रालय से लेकर स्थानीय लोग तक – सबके चेहरे पर मुस्कान। JIM&WS के डायरेक्टर साहब ने ठीक ही कहा – ये युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगा। और सच पूछो तो, ऐसी ख़बरें दिल को गर्व से भर देती हैं न?

अब आगे क्या? देखा जाए तो इससे दो बड़े फायदे हुए। पहला – हमारी सीमाओं पर मौजूदगी का संदेश गया। दूसरा – युवाओं को पर्वतारोहण और देश सेवा का जज़्बा मिला। हालांकि, मेरी निजी राय में हमें ऐसे मिशन्स को और प्रमोट करना चाहिए। क्योंकि ये सच्चे हीरोज की कहानियां हैं!

तो दोस्तों, ये थी वो कहानी जिसने साबित कर दिया कि भारतीयों का हौसला किसी से कम नहीं। ये सिर्फ़ चढ़ाई नहीं थी – ये तो देशभक्ति का एक जीता-जागता उदाहरण थी। और हां, अगली बार जब कोई पूछे कि भारतीय क्या कर सकते हैं – बस ये ख़बर दिखा देना!

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कौन हैं वो जांबाज़ जिन्होंने पेंगोंग त्सो की चोटियों पर तिरंगा लहराया?

देखिए, यहाँ कहानी थोड़ी दिलचस्प है। भारतीय सेना के कुछ बहादुर जवानों और पर्वतारोहियों ने मिलकर यह कारनामा किया। Colonel Parikshit Mehra और उनकी टीम का नाम तो सुर्खियों में रहा, लेकिन असल में यह पूरी टीम की मेहनत का नतीजा था। सच कहूँ तो, ऐसी उपलब्धियाँ अकेले किसी एक का काम नहीं होतीं।

पेंगोंग त्सो… जानिए क्यों है यह जगह इतनी खास?

अरे भाई, लद्दाख की इस नीली ज्वेल के बारे में बात करें तो… पेंगोंग त्सो वही झील है जो भारत और चीन की सीमा पर बैठी है। सुंदरता की बात करें तो एकदम परफेक्ट, लेकिन strategic importance? उसकी तो बात ही अलग है। टूरिस्ट्स के लिए स्वर्ग और देश की सुरक्षा के लिए अहम – दोनों ही रोल अदा करती है यह झील।

इतना मुश्किल mission क्यों था? सच्चाई जानकर दंग रह जाएंगे आप!

सुनिए, यह कोई मामूली ट्रैकिंग ट्रिप तो थी नहीं! पहले तो ऊँचाई… इतनी कि सांस लेना मुश्किल हो जाए। फिर मौसम? -30°C तक गिर जाता है तापमान! ऑक्सीजन की कमी तो जैसे चेरी ऑन द केक। पर हमारे जवानों ने साबित कर दिया कि हिम्मत और हौसला हो तो कोई चुनौती बड़ी नहीं होती।

इस जीत का मतलब? सिर्फ पर्वतारोहण नहीं, एक बड़ा संदेश!

असल में देखा जाए तो यह सिर्फ एक पर्वतारोहण उपलब्धि नहीं है। यह तो हमारे सैनिकों की बहादुरी का प्रमाण है, और साथ ही… एक साफ संदेश कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। खासकर उन पड़ोसियों के लिए जिन्हें हमेशा कुछ न कुछ सूझता रहता है। समझ गए न मैं किसकी बात कर रहा हूँ?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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