भारतीय नौसेना का बड़ा मूव! चीन-पाक को समंदर में पटखनी देने की तैयारी, 2035 तक बन जाएंगे दुनिया की टॉप नेवी
अब ये खबर तो आपने सुनी ही होगी – भारतीय नौसेना ने एक ऐसा फैसला लिया है जो आने वाले दशकों तक गेम चेंजर साबित हो सकता है। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने हाल ही में ऐलान किया कि हम 5 नए Fleet Support Ships ला रहे हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, ये चीन और पाकिस्तान की ‘समंदर में दादागिरी’ का जवाब देने के लिए है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारी मौजूदगी को और मजबूत करने का ये बिल्कुल सही वक्त है। और सुनिए, 2035 तक तो हमारा टारगेट है दुनिया की टॉप 5 नेवीज़ में शुमार होना। ये नया कदम उसी रोडमैप का हिस्सा है।
ये नए जहाज इतने खास क्यों?
देखिए, अब तक हमारे पास Fleet Support Ships नाम की कोई डेडिकेटेड चीज़ थी ही नहीं। सिर्फ 4 Oil Tanker थे जो ईंधन और पानी की सप्लाई कर देते थे। लेकिन भईया, आज के ज़माने में युद्ध सिर्फ तेल और पानी से नहीं लड़ा जाता! ये नए जहाज तो मल्टीटास्किंग का मास्टरक्लास होंगे – एक साथ ईंधन, गोला-बारूद, खाना और मरम्मत की सुविधा देने में सक्षम। अब तुलना करें तो चीन ने तो पहले ही अपनी Type 901 Support Ships तैनात कर रखी हैं। सच कहूं तो हमें इस मामले में थोड़ी देर हो चुकी थी, लेकिन अब कवरेज शुरू!
प्रोजेक्ट के कुछ ज़रूरी पहलू
इस प्रोजेक्ट की खास बात? पूरा ‘Make in India’ स्पिरिट के साथ। 5 जहाजों की खरीद प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और पहला जहाज 2028 तक रेडी हो जाएगा। तकनीकी डिटेल्स की बात करें तो ये 45,000 टन के दैत्याकार जहाज होंगे जो 7500 Nautical Miles तक बिना रुके चल सकेंगे। ये सब 2035 तक 175 युद्धपोतों के बेड़े के बड़े लक्ष्य का हिस्सा है। और हां, इन Support Ships के बिना ये सपना अधूरा रह जाता।
एक्सपर्ट्स क्या कह रहे हैं?
रक्षा विशेषज्ञ कैप्टन (रिटायर्ड) अरुण कुमार तो इसे भारत के ‘Blue Water Navy’ बनने की दिशा में बड़ी छलांग बता रहे हैं। उनका कहना है – “चीन की बढ़ती दखलंदाजी को रोकने के लिए ये जहाज ज़रूरी थे।” वहीं नौसेना प्रमुख ने बताया कि ये जहाज हमारी Operational Range को डबल कर देंगे। पर मजे की बात ये कि चीन का ‘Global Times’ अखबार तनाव बढ़ने की बात कर रहा है। भई, जब हम कुछ करें तो उन्हें तनाव, और जब वो करें तो ‘पीसफुल डेवलपमेंट’? डबल स्टैंडर्ड्स की भी हद होती है!
आगे की राह: मौके और चुनौतियां
अगले दो सालों में टेंडर प्रक्रिया पूरी होगी और जहाज बनाने का काम शुरू। 2028 तक पहला जहाज तैयार होने की उम्मीद। लॉन्ग टर्म में हिंद महासागर में हमारी निगरानी क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। पर यहां चुनौतियां भी हैं – बजट का प्रबंधन, तकनीकी पार्टनरशिप, वगैरह। लेकिन याद रखिए, जहां चाह वहां राह!
अंत में बस इतना कि ये सिर्फ जहाजों की खरीद नहीं, बल्कि एक स्टेटमेंट है। चीन-पाक को ये संदेश जाएगा कि अब हिंद महासागर में कोई एकाधिकार नहीं चलेगा। और हां, ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को ये एक और पंख लगाएगा। जय हिंद!
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com