इंडियन रेलवे ने चोर-पॉकेटमारों को दी मुंहतोड़ जवाब – अब बस पकड़े जाने का इंतज़ार!
अरे भई, अगर आप भी उन लाखों भारतीयों में से हैं जिन्हें ट्रेन में सफर करते हुए पर्स या फोन गुम होने का डर सताता है, तो ये खबर आपके लिए है। भारतीय रेलवे ने आखिरकार हम यात्रियों की चिंता समझी है! हाल ही में उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया है जो सचमुच गेम-चेंजर साबित हो सकता है। अब ट्रेनों और स्टेशनों पर चोरी-चकारी करने वालों की खैर नहीं। कैसे? तकनीक और सख्त निगरानी के ज़रिए।
समस्या कितनी बड़ी है? आंकड़े चौंकाने वाले!
सोचिए, दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क हो और रोज़ाना 2 करोड़ से ज़्यादा यात्री… भीड़ तो होगी ही ना! लेकिन पिछले कुछ सालों में पॉकेटमारी के मामले बेतहाशा बढ़े हैं। खासकर लोकल ट्रेनों और मेट्रो रूट्स पर तो हालात और भी खराब। मैंने खुद देखा है कैसे चालाक चोर भीड़ का फायदा उठाकर लोगों की जेबें काट देते हैं। हालांकि रेलवे की पहले की कोशिशें ज्यादा कारगर नहीं रहीं, लेकिन इस बार उन्होंने टेक्नोलॉजी को सीरियसली लिया है।
तो क्या-क्या नया होगा? जानिए पूरी डिटेल्स
ये कोई आधा-अधूरा प्लान नहीं है बल्कि पूरी तरह से सोचा-समझा स्ट्रैटेजी है। देखिए नीचे क्या-क्या बदलाव आने वाले हैं:
- CCTV कवरेज: अब हर कोने पर नज़र! पहले जहां 10-20 कैमरे होते थे, अब 100+ हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरों से हर एक्टिविटी पर नज़र रखी जाएगी। रात के अंधेरे में भी क्लियर फुटेज।
- जागरूकता: सोशल मीडिया पर #SafeRailTravel जैसे हैशटैग, स्टेशनों पर मजेदार एनिमेटेड वीडियो – सब कुछ मिलाकर यात्रियों को सतर्क करने की पूरी कोशिश।
- पुलिस की मौजूदगी: अब साधारण वर्दी वाले पुलिस वाले नहीं, बल्कि स्पेशल टीम्स जो भीड़ में घुल-मिलकर काम करेंगी। मजेदार बात? कुछ महिला ऑफिसर्स भी होंगी जो महिला यात्रियों को सुरक्षित महसूस कराएंगी।
- फेशियल रिकग्निशन: ये तो साइंस फिक्शन जैसा लगता है ना? लेकिन अब हकीकत होगा। जिन चेहरों पर पहले से केस दर्ज हैं, उन्हें सिस्टम ऑटोमेटिक पहचान लेगा। बस फिर पुलिस का काम।
लोग क्या कह रहे हैं? जनता की राय
रेलवे के इस कदम पर लोगों की प्रतिक्रिया मिली-जुली है। जहां एक तरफ रेलवे के DG ने कहा, “हमारा मकसद है risk-free travel experience देना”, वहीं कुछ यात्रियों को शक है कि क्या ये सब सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगा। मुंबई की एक रोज़ाना यात्री श्रुति मुझे बताती हैं, “अगर ये सच में लागू होता है तो बहुत अच्छा होगा। पर हमें रिजल्ट देखने दीजिए!”
विशेषज्ञों की राय? उनका कहना है कि ये प्लान तो अच्छा है, पर lost-and-found जैसी चीज़ों को भी ऑनलाइन करना चाहिए। एक सुरक्षा एक्सपर्ट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “असली चुनौती होगी इसे मेन्टेन करना। कैमरे तो लग जाएंगे, पर क्या उनकी रिकॉर्डिंग ठीक से रिव्यू होगी?”
आगे की राह – क्या और नया आएगा?
रेलवे ने इस प्लान को धीरे-धीरे लागू करने की योजना बनाई है। पहले 50 बड़े स्टेशन, फिर धीरे-धीरे पूरे नेटवर्क पर। अगर ये सफल रहा तो भविष्य में और भी कई चीज़ें आ सकती हैं:
- Real-time alerts जब कोई संदिग्ध एक्टिविटी हो
- बायोमेट्रिक टिकटिंग सिस्टम
- AI पावर्ड हेल्पडेस्क
अंत में बस इतना कहूंगा – ये पहल वाकई सराहनीय है। बस काश ये जल्द से जल्द पूरे देश में लागू हो! तब तक आप भी सतर्क रहिए, और अपना सामान संभालकर रखिए। क्योंकि जैसा कि हमारी दादी कहती थीं – “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी!”
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com