Site icon surkhiya.com

आपातकाल का काले दिन: इंदिरा गांधी ने मांगी थी माफी, जानें पूरी कहानी

आपातकाल: वो 21 महीने जब भारत की सांसें थम सी गईं

क्यों याद करें आपातकाल?

1975-77 का आपातकाल भारतीय इतिहास का वो दौर है जिसे भुला पाना मुश्किल है। जब तानाशाही की छाया में हमारा लोकतंत्र सांस लेने को तरस गया था। इंदिरा गांधी का ये फैसला आज भी बहस का विषय है – क्या वाकई ये देशहित में था या सिर्फ सत्ता बचाने की मजबूरी? चलिए जानते हैं इसकी पूरी कहानी।

आपातकाल का मतलब क्या था?

संविधान की वो धारा जिसका गलत इस्तेमाल हुआ

अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लगाने का प्रावधान तो था, लेकिन इसे इस तरह इस्तेमाल करने की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। असल में ये प्रावधान युद्ध या बाहरी हमले की स्थिति के लिए बनाया गया था।

क्या थी वजह?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा का चुनाव रद्द कर दिया था। उसी रात राष्ट्रपति अहमद ने आपातकाल की घोषणा पर दस्तखत कर दिए। कहते हैं इंदिरा के बेटे संजय गांधी ने इस फैसले में अहम भूमिका निभाई थी।

क्यों लगा आपातकाल?

JP आंदोलन से घबराई सरकार

जयप्रकाश नारायण का ‘संपूर्ण क्रांति’ आंदोलन तेजी से फैल रहा था। देशभर में students और youth इंदिरा के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे। सरकार को लगा कि स्थिति कंट्रोल से बाहर हो रही है।

Experts की राय

Political analysts का मानना है कि इंदिरा को डर था कि अगर वो सत्ता से हटीं तो कांग्रेस पार्टी बिखर जाएगी। ये एक तरह से उनकी राजनीतिक जीवन-मृत्यु का सवाल बन गया था।

क्या हुआ उन 21 महीनों में?

मीडिया गुलाम बना दिया गया

अखबारों के offices में सेंसर बैठा दिए गए। radio पर सिर्फ सरकारी प्रचार चलता था। BBC जैसे international media को भी बैन कर दिया गया।

जनता पर जुल्म

सबसे बुरा हाल तो forced sterilization का हुआ। गरीबों को पकड़-पकड़कर नसबंदी के लिए मजबूर किया गया। कई cases में तो ऑपरेशन के बाद proper treatment तक नहीं दिया गया।

कैसे खत्म हुआ ये काला अध्याय?

1977 का ऐतिहासिक चुनाव

जनता ने इंदिरा को सबक सिखाया। कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। मोरारजी देसाई PM बने और देश में फिर से democracy की हवा बहने लगी।

इंदिरा का पछतावा

1980 में वापस सत्ता में आने के बाद इंदिरा ने public में माफी मांगी। उन्होंने कहा, “शायद ये फैसला गलत था।” लेकिन क्या सिर्फ माफी मांग लेने से इतिहास के इस काले अध्याय को मिटाया जा सकता है?

आज के लिए सबक

संविधान में बदलाव

इस घटना के बाद संविधान में ऐसे strict rules बनाए गए कि कोई भी PM फिर से इस तरह emergency का दुरुपयोग न कर सके। Judiciary और media की आजादी को special protection दी गई।

हम क्या सीखें?

आपातकाल हमें याद दिलाता है कि democracy को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हर citizen की जिम्मेदारी है कि वो अपने rights के प्रति सजग रहे। Social media के इस दौर में भी हमें सचेत रहना होगा।

अंतिम बात

इतिहास की ये घटना हमें बताती है कि सत्ता का नशा कितना खतरनाक हो सकता है। लेकिन अच्छी बात ये है कि भारत की जनता ने साबित कर दिया कि आखिरकार democracy ही जीतती है। ये सबक हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

Exit mobile version