इंडोनेशिया ने अमेरिका के सामने झुककर किया बड़ा फैसला, ट्रम्प की जीत?
अरे भाई, क्या बात है! पिछले हफ्ते इंडोनेशिया और अमेरिका के बीच हुए उस डील का पूरा खेल अब सामने आ गया है। और सुनकर हैरान रह जाएंगे – इंडोनेशिया ने अमेरिकी सामानों पर लगी वो सारी गैर-टैरिफ बाधाएं (Non-Tariff Barriers) हटाने का ऐलान कर दिया है। मतलब साफ है – ट्रम्प साहब को एक बड़ी जीत मिल गई। पर सवाल यह है कि क्या यह सच में इंडोनेशिया के लिए अच्छा है? चलिए, बात करते हैं।
देखिए, इन दोनों देशों के बीच तनाव का सिलसिला कुछ सालों से चल रहा था। इंडोनेशिया वालों ने अमेरिकी कृषि और औद्योगिक सामानों पर ऐसे-ऐसे नियम लगा रखे थे, जैसे लाइसेंसिंग का चक्करदार सिस्टम और न जाने क्या-क्या। नतीजा? अमेरिकी कंपनियों को इंडोनेशिया में घुसने में दम निकल जाता था। अमेरिका तो इसे ‘अनुचित व्यापार’ बता रहा था। तनाव बढ़ता गया, और अब ये समझौता। क्या यह सच में win-win स्थिति है? थोड़ा संदेह तो होता है।
अब डील की मोटी-मोटी बातें समझ लीजिए। इंडोनेशिया ने कहा है कि वो अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट्स, फलों, मीट और औद्योगिक सामानों पर से पाबंदियां हटाएगा। बदले में अमेरिका ने भी कुछ छूट देने की बात की है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे दोनों देशों के बीच ट्रेड 2 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है। पर एक सच यह भी है – जब बड़ा शेर छोटे शेर पर दबाव डालता है, तो समझौता तो होना ही है। है न?
दोनों तरफ के अधिकारी खुश दिख रहे हैं। अमेरिकी USTR वाले तो मानो चांदी काट रहे हैं – “हमारे किसानों और बिजनेस के लिए बड़ी जीत!” वहीं इंडोनेशियाई कॉमर्स मिनिस्टर बड़ी सफाई से कह रहे हैं कि यह “संतुलित और पारस्परिक रूप से फायदेमंद” डील है। पर कुछ विश्लेषकों की राय अलग है। उनका मानना है कि इंडोनेशिया को दबाव में झुकना पड़ा, और इसका खामियाजा उसकी घरेलू इकोनॉमी को भुगतना पड़ सकता है। सच क्या है? वक्त ही बताएगा।
आगे की बात करें तो अमेरिकी एक्सपोर्टर्स को तो फायदा मिलेगा ही। लेकिन इंडोनेशिया को अब अपने घरेलू उद्योगों को global competition के लिए तैयार करना होगा। और यह इतना आसान नहीं होगा, यकीन मानिए। टेक्नोलॉजी और एनर्जी सेक्टर में आगे और डील्स हो सकती हैं। पर क्या यह सच में दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करेगा? या फिर यह सिर्फ एक ताकतवर देश का कमजोर देश पर दबाव दिखाने का मामला है? आपकी क्या राय है?
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अब इंडोनेशिया ने जो किया है, वो किसी छोटी बात नहीं। अमेरिकी निर्यात पर लगी गैर-टैरिफ बाधाएं हटाने का फैसला… सच कहूं तो ये ट्रम्प प्रशासन के लिए एक बड़ी जीत है। है न? लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं।
देखिए, ये कदम दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को और मजबूत करेगा – जैसे चाय में चीनी मिलाने से मिठास बढ़ जाती है। और भविष्य में? हो सकता है इससे और भी व्यापारिक समझौतों का रास्ता खुल जाए।
एक तरफ तो ये इंडोनेशिया के लिए अच्छा है, लेकिन असल में अमेरिका को भी इससे फायदा होने वाला है। दोनों की जीत। बिल्कुल विन-विन सिचुएशन। सच में।
Source: Financial Times – Global Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com