SEC के नियमों को उद्योग ने कहा ‘अलविदा’ – क्या ये सही फैसला है या बवाल बिना वजह?
क्या हुआ है असल में?
देखिए, पिछले कुछ दिनों से वित्तीय जगत में एक तूफान सा आया हुआ है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ अचानक SEC (अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमिशन) के नियमों को मानने से इनकार कर रही हैं। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? और इसका असर आपके और हमारे पैसों पर क्या पड़ेगा? चलिए, बात करते हैं इसकी तह तक।
SEC के नियमों से मोहभंग की कहानी
SEC है क्या भई?
अमेरिका में ये वही संस्था है जो शेयर बाजार और कंपनियों पर नजर रखती है। जैसे भारत में SEBI होता है वैसे ही। इनके नियमों का मकसद है कि कंपनियाँ पारदर्शी तरीके से काम करें और निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहे।
मना क्यों कर रही हैं कंपनियाँ?
असल में बात ये है कि कुछ टेक और क्रिप्टो कंपनियों को लगता है कि SEC के नए नियम उन पर ‘पहाड़ जैसा बोझ’ डाल रहे हैं। वो कह रही हैं कि इन नियमों से उनका काम करना मुश्किल हो जाएगा। थोड़ा वैसे ही जैसे आपको स्कूल में बहुत ज्यादा होमवर्क मिल जाए!
क्या होगा अब?
अब दो ही रास्ते हैं – या तो SEC अपने नियमों में ढील देगा, या फिर कोर्ट-कचहरी का लंबा चक्कर शुरू होगा। बीच का रास्ता? वो तो अभी दूर की कौड़ी लगती है।
स्कॉटिश विडोज का बड़ा फैसला: यूके से पैसे हटाए
ये स्कॉटिश विडोज हैं कौन?
यूके की एक बड़ी पेंशन और निवेश कंपनी है जो लोगों के पैसे को संभालती है। भारत में LIC जैसी समझ लीजिए।
क्यों लिया ये फैसला?
ब्रिटेन में ब्रेक्जिट के बाद से ही अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है। ऐसे में कंपनी ने सोचा कि यहाँ पैसा लगाना अब सुरक्षित नहीं है। जैसे हम मौसम खराब होने पर छत पर कपड़े नहीं सुखाते, वैसे ही!
आम निवेशकों पर क्या असर?
जब कोई बड़ा खिलाड़ी बाजार छोड़ता है तो छोटे निवेशकों का भरोसा भी डगमगाता है। लेकिन अच्छी बात ये है कि अब ये पैसा भारत जैसे उभरते बाजारों में आ सकता है।
उभरते बाजार: अब इनका टाइम!
कौन-कौन से हैं ये बाजार?
हमारा भारत तो है ही, इसके अलावा चीन, ब्राजील, वियतनाम जैसे देश जहाँ अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है।
आगे क्या संभावनाएं?
जहाँ अमेरिका-यूरोप में मंदी के बादल हैं, वहीं इन देशों में विकास की संभावनाएं ज्यादा हैं। पर हाँ, इनमें जोखिम भी कम नहीं – जैसे राजनीतिक उठापटक या करेंसी के उतार-चढ़ाव।
नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी में जेनी सैविल की धूम
जेनी सैविल क्यों खास हैं?
इन्हें आधुनिक कला की ‘रॉकस्टार’ माना जाता है। इनके चित्रों में शरीर और पहचान को लेकर बहुत गहरी बातें छिपी होती हैं।
क्या देखने को मिलेगा?
उनकी पेंटिंग्स देखकर आपको लगेगा जैसे किसी ने समाज की ‘परफेक्ट बॉडी’ की परिभाषा को चुनौती दी हो। बिल्कुल वैसे ही जैसे आजकल की जेनरेशन पुरानी सोच को तोड़ रही है।
कला जगत में क्यों मायने रखती हैं ये प्रदर्शनी?
क्योंकि ये हमें सोचने पर मजबूर करती है कि सुंदरता का असली मतलब क्या है। जैसे इंस्टाग्राम फिल्टर्स वाली दुनिया में ये एक ताज़ा हवा का झोंका है।