ईरान ने इजराइल पर मिसाइल दागने से इनकार, क्या अब भी टेंशन बरकरार?
क्या हुआ असल में?
अभी कुछ दिन पहले की बात है, ईरान ने इजराइल पर मिसाइल अटैक की खबरों को पूरी तरह झुठला दिया। उनके Armed Forces के जनरल स्टाफ ने साफ कहा कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। देखा जाए तो यहां दोनों तरफ के दावे अलग-अलग हैं, और सच क्या है ये समझना मुश्किल हो रहा है। सवाल ये है कि क्या ये दोनों देश शांति के बाद भी एक-दूसरे पर भरोसा कर पाएंगे?
ईरान का साइड: क्या कह रहे हैं?
ऑफिशियल स्टेटमेंट
ईरानी Army के प्रवक्ता ने क्या कहा? उनका दावा है कि ये सारी खबरें फर्जी हैं और इजराइल की तरफ से फैलाई जा रही हैं। उन्होंने इसे ‘इजराइली Propaganda’ बताया है। सच्चाई चाहे जो भी हो, लेकिन इतना तो तय है कि यहां दोनों देशों के बीच का तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा।
दुनिया क्या कह रही है?
इजराइल ने तो ईरान के इस बयान को ‘बकवास’ तक कह डाला। वहीं अमेरिका और Europe के देशों ने शांति बनाए रखने की गुजारिश की है। UN ने भी दोनों पक्षों को बातचीत का रास्ता अपनाने को कहा है।
शांति के बाद का हाल
टेंशन की वजह क्या है?
ईरान और इजराइल का झगड़ा कोई नया नहीं है। सालों से ये दोनों देश Cyber Attacks, Nuclear Program और Proxy Wars के जरिए एक-दूसरे को निशाना बनाते आए हैं। असल में ये विवाद काफी पुराना और गहरा है।
शांति समझौते का असर
हालांकि दोनों देशों ने आपस में लड़ाई न करने का वादा किया था, लेकिन जमीन पर हालात अब भी नाजुक बने हुए हैं। Experts का मानना है कि ये तनाव आने वाले समय में और बढ़ भी सकता है।
आगे क्या होगा?
मिडिल ईस्ट पर क्या असर पड़ेगा?
अगर यहां तनाव बढ़ा तो पूरे Middle East की शांति खतरे में पड़ सकती है। अमेरिका से लेकर रूस तक, सभी बड़े देश इस मामले को लेकर चिंतित हैं।
हल कैसे निकलेगा?
सबसे बेहतर तरीका तो यही है कि दोनों देश बैठकर बात करें। UN और अन्य International Organizations को भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
आखिरी बात
ईरान चाहे जितना इनकार कर ले, मगर हालात अभी भी टेंशन भरे हैं। शांति समझौते के बाद भी दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी साफ दिख रही है। अब देखना ये है कि International Community इस मामले में कितनी सक्रिय भूमिका निभाती है।
Source: The Hindu – International | Secondary News Source: Pulsivic.com
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