ईरान का न्यूक्लियर एनरिचमेंट विवाद: असल मामला क्या है?
शुरुआत
ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम लगभग दो दशकों से सुर्खियों में है। पश्चिमी देशों का कहना है कि ईरान यूरेनियम एनरिचमेंट से हथियार बना रहा है, जबकि ईरान अपनी मंशा साफ़ ऊर्जा उत्पादन बताता है। असल में, यूरेनियम एनरिचमेंट वो प्रोसेस है जिसमें यूरेनियम-235 की मात्रा बढ़ाई जाती है। चलिए समझते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और दुनिया के लिए क्यों मायने रखता है।
यूरेनियम एनरिचमेंट की बेसिक्स
यूरेनियम के दो रूप
यूरेनियम के मुख्य दो आइसोटोप्स होते हैं – U-238 और U-235। U-235 थोड़ा हल्का होता है और न्यूक्लियर रिएक्शन के लिए ज्यादा उपयोगी है क्योंकि ये आसानी से फिशन (विखंडन) कर सकता है।
एनरिच क्यों करते हैं?
देखिए, प्राकृतिक यूरेनियम में U-235 सिर्फ 0.7% होता है। लेकिन न्यूक्लियर रिएक्टर चलाने के लिए 3-5% और बम बनाने के लिए 90% तक एनरिचमेंट चाहिए। यानी बिना एनरिच किए काम नहीं चलता।
एनरिचमेंट कैसे होता है?
पहला स्टेप: UF6 बनाना
सबसे पहले यूरेनियम को UF6 (यूरेनियम हैक्साफ्लोराइड) गैस में बदला जाता है। ये गैस इसलिए बनाई जाती है क्योंकि इसे सेंट्रीफ्यूज में आसानी से प्रोसेस किया जा सकता है।
मुख्य तरीके
गैस सेंट्रीफ्यूज – सबसे पॉपुलर तकनीक
इसमें UF6 गैस को तेजी से घुमाया जाता है। भारी U-238 बाहर की तरफ और हल्का U-235 अंदर की तरफ इकट्ठा हो जाता है। इस प्रोसेस को बार-बार दोहराकर U-235 की मात्रा बढ़ाई जाती है।
दूसरे विकल्प
गैस डिफ्यूजन और लेजर एनरिचमेंट जैसी तकनीकें भी हैं, पर ये ज्यादा कॉमन नहीं हैं। गैस डिफ्यूजन में मेम्ब्रेन का इस्तेमाल होता है, जबकि लेजर तकनीक में आइसोटोप्स को उनके ऑप्टिकल गुणों से अलग किया जाता है।
ईरान पर क्यों है शक?
ईरान का न्यूक्लियर टाइमलाइन
2015 में ईरान और P5+1 देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन + जर्मनी) के बीच JCPOA डील हुई थी। इसके तहत ईरान ने अपना एनरिचमेंट लेवल कम करने और इंस्पेक्शन की अनुमति देने की बात मानी थी।
अब क्या हाल है?
2018 में अमेरिका के डील से बाहर निकलने के बाद ईरान फिर से एक्टिव हो गया। IAEA की रिपोर्ट्स कहती हैं कि ईरान ने 60% तक एनरिचमेंट कर लिया है – जो वेपन-ग्रेड के काफी करीब है। Experts का मानना है कि ईरान न्यूक्लियर वेपन बनाने की कैपेबिलिटी हासिल करना चाहता है।
दुनिया पर क्या असर?
जियोपॉलिटिकल टेंशन
ईरान के इस कदम ने मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ा दिया है। इजरायल तो कई बार ईरानी न्यूक्लियर साइट्स पर स्ट्राइक की धमकी दे चुका है। अमेरिका के सैंक्शन्स ने ईरान की इकोनॉमी को झटका दिया है।
NPT का रोल
NPT (Non-Proliferation Treaty) परमाणु हथियारों को फैलने से रोकने की कोशिश करता है। ईरान इसका मेंबर है और शांतिपूर्ण इरादों का दावा करता है। लेकिन कई Experts को लगता है कि वो नियम तोड़ रहा है।
आखिरी बात
यूरेनियम एनरिचमेंट एक जटिल प्रोसेस है जिससे बिजली भी बन सकती है और बम भी। ईरान के मामले में दुनिया को बैलेंस्ड अप्रोच की जरूरत है। JCPOA जैसी डील्स और इंटरनेशनल मॉनिटरिंग ही लॉन्ग-टर्म सॉल्यूशन हो सकते हैं।
FAQs: आपके सवाल, हमारे जवाब
1. यूरेनियम एनरिचमेंट में विवाद क्यों?
क्योंकि यही प्रोसेस न्यूक्लियर वेपन्स बनाने में काम आती है। कोई भी देश अगर हाई लेवल एनरिचमेंट करे तो दुनिया की नींद उड़ जाती है।
2. ईरान पर आरोप कब से?
2000 के शुरुआती सालों से, जब IAEA ने उसकी छुपी हुई एक्टिविटीज पकड़ी थीं।
3. JCPOA का क्या फायदा हुआ?
ईरान ने एनरिचमेंट 3.67% तक लिमिट कर दिया था और 98% एनरिच्ड यूरेनियम डिस्पोज किया था। पर 2018 के बाद उसने फिर शुरू कर दिया।
4. सबसे कॉमन एनरिचमेंट तकनीक?
गैस सेंट्रीफ्यूज, क्योंकि ये दूसरी तकनीकों से कम एनर्जी खर्च करती है।
5. क्या ईरान नियम तोड़ रहा है?
ईरान कहता है कि वो NPT के रूल्स फॉलो कर रहा है, लेकिन बहुत से Experts और देशों को यकीन नहीं होता।
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com