ईरान की धमकी: ‘हमारी मिसाइलें बरसने लगीं तो इजरायल ‘डैडी’ के पास भागेगा!’ | खामेनेई-ट्रंप टेंशन
अरे भाई, मध्य पूर्व में फिर से वही पुरानी कहानी शुरू हो गई है – तनाव, धमकियाँ और राजनीतिक ड्रामा। ईरान ने तो इस बार इजरायल को लेकर ऐसा बयान दिया है कि पूरी दुनिया के मीडिया की सुर्खियाँ छीन लीं। असल में, ईरानी नेताओं ने साफ-साफ कह दिया है कि अगर उनकी मिसाइलें तेल अवीव पर गिरने लगीं, तो इजरायल के पास बस एक ही रास्ता बचेगा – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (जिन्हें NATO प्रमुख ने हाल ही में ‘Daddy’ तक कह डाला!) के पास रोते हुए भागना। मजे की बात यह है कि यह बयान ऐसे वक्त आया है जब ईरान-इजरायल की लड़ाई अपने चरम पर है और अमेरिका-ईरान के बीच तनाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है।
पृष्ठभूमि: दशकों पुरानी दुश्मनी और नई चिंगारी
देखिए, ईरान और इजरायल का झगड़ा कोई नई बात तो है नहीं। ये लोग तो सालों से एक-दूसरे को परेशान करने में लगे हुए हैं – कभी सीधे, तो कभी प्रॉक्सी युद्धों के जरिए। लेकिन अभी हाल के दिनों में मामला और गरमा गया है। और इसकी एक बड़ी वजह है वो NATO समिट वाला विवाद, जहां NATO प्रमुख ने ट्रंप को ‘Daddy’ कहकर बुला लिया! ईरान ने इस टिप्पणी को पकड़ लिया और अब इसे अमेरिका-इजरायल की ‘पिता-पुत्र’ वाली रिश्ते की निशानी बता रहा है। थोड़ा फनी लगता है, लेकिन असल में यह गंभीर मामला है।
और हाँ, ईरान का मिसाइल प्रोग्राम तो इस पूरे झगड़े का मुख्य हिस्सा है। पश्चिमी देश इन परीक्षणों को लेकर हमेशा नाराज़ रहते हैं, वहीं ईरान का कहना है कि यह उनकी सुरक्षा के लिए ज़रूरी है। सच कहूँ तो, इसीलिए ईरान की यह नई धमकी दुनिया भर में इतनी गंभीरता से ली जा रही है।
ताजा घटनाक्रम: धमकियों और प्रतिधमकियों का दौर
अभी कुछ दिन पहले ही ईरान के एक बड़े नेता ने कहा, “इजरायल जानता है कि हमारी मिसाइलों के सामने उसकी कोई औकात नहीं।” और तो और, ईरानी मीडिया ने तो इस बयान को ऐसे उछाला जैसे कोई क्रिकेट मैच में छक्का लगा हो! एक अखबार ने तो सीधे लिख दिया – “हमारी फौज के आगे इजरायल तो बौना है।” बात तो बड़ी कही है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
इजरायल ने जवाब में क्या किया? ईरान की बातों को ‘फूहड़ प्रोपेगैंडा’ बताते हुए खारिज कर दिया। इजरायली PM ने तो यहाँ तक कह डाला कि “ईरान की धमकियाँ उनकी खुद की कमजोरी दिखाती हैं।” अमेरिका भी पीछे नहीं रहा – उनके विदेश विभाग ने ईरान की भाषा को ‘असभ्य’ बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की बयानबाजी से पूरा मध्य पूर्व और अशांत हो सकता है। सचमुच चिंता की बात है।
भविष्य के संकेत: क्या होगा आगे?
तो अब सवाल यह है कि आगे क्या? विश्लेषकों की मानें तो अमेरिका और NATO ईरान पर नए प्रतिबंध लगा सकते हैं। और इजरायल? वो तो शायद ईरानी टारगेट्स पर सैन्य कार्रवाई की तैयारी में ही लगा होगा। अगर हालात और बिगड़े, तो खाड़ी क्षेत्र में तेल की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है, जिससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था हिल सकती है। सोचिए, पेट्रोल के दाम कहाँ से कहाँ पहुँच जाएँगे!
अंत में, एक बात तो साफ है – ईरान की यह धमकी न सिर्फ पुराने घावों को हरा कर रही है, बल्कि अमेरिका को भी इस झमेले में घसीट सकती है। अगले कुछ दिनों में और प्रतिक्रियाएँ आने वाली हैं, जो शायद इस पूरे संकट की दिशा तय कर देंगी। देखते हैं, यह नाटक अब किस मोड़ पर पहुँचता है।
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ईरान ने इजरायल को मिसाइलों की धमकी क्यों दी? असल में क्या चल रहा है?
देखिए, ये कोई नई बात नहीं है। खामेनेई और इजरायल की लड़ाई तो जैसे पुरानी फिल्म का रीमेक है। लेकिन इस बार टेंशन थोड़ा ज्यादा ही गरम हो गया है। कारण? वही पुरानी geopolitical झड़पें, और हाँ – ट्रंप साहब के वो फैसले जिन्होंने ईरान को चिढ़ा दिया। अब सवाल यह है कि क्या ये सिर्फ धमकी है या असल में कुछ होने वाला है?
क्या इजरायल वाकई ‘डैडी’ (अमेरिका) के पास भागेगा? या खुद संभाल लेगा?
अरे भई, ‘डैडी’ वाली बात तो मजाक में कही गई है, लेकिन सच्चाई ये है कि इजरायल की military किसी से कम नहीं। उनके पास खुद का Iron Dome है ना? पर हाँ…अगर बात बहुत बड़ी हो जाए तो अमेरिका से help मांगने में कोई शर्म नहीं। क्या आपको नहीं लगता कि ये सब एक तरह का political drama है?
खामेनेई और ट्रंप – ये दोनों एक-दूसरे के दुश्मन क्यों हैं?
ईमानदारी से कहूं तो ट्रंप साहब ने तो ईरान को लेकर बिल्कुल भी नहीं छोड़ा! Nuclear deal तोड़ दिया, sanctions लगा दिए…अब कोई भी नाराज हो जाएगा ना? खामेनेई तो फिर भी इतने साल से सह रहे हैं। लेकिन अब लगता है उनका patience खत्म हो रहा है। क्या आपको नहीं लगता कि ये सब एक तरह का ego clash है?
क्या इस टेंशन से World War 3 का खतरा है? या फिर ये सब दिखावा है?
भई सच कहूं तो अभी तक तो सब कुछ control में है। Middle East में tension रहता ही है – ये तो कोई नई बात नहीं। UN वाले भी कोशिश कर रहे हैं कि मामला बिगड़े नहीं। पर सवाल ये है कि क्या ये सच में खतरनाक स्तर तक पहुंचेगा? मेरी राय में…नहीं। लेकिन कौन जाने? Politics में तो कुछ भी हो सकता है।
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