ISRO की सैटेलाइट तस्वीरें देखकर रोंगटे खड़े हो गए! धराली की तबाही का पहले-बाद का वो चौंकाने वाला अंतर
अभी कुछ दिन पहले उत्तराखंड के धराली-हर्षिल इलाके में जो हुआ, वो सचमुच दिल दहला देने वाला है। ISRO और NRSC ने जो satellite तस्वीरें जारी की हैं, उन्हें देखकर लगता है जैसे किसी ने पूरे इलाके को ही मटियामेट कर दिया हो। साइड-बाय-साइड तुलना करें तो साफ दिखता है कि कैसे बाढ़ ने सड़कों को निगल लिया, घरों को मलबे में तब्दील कर दिया और पूरे भूदृश्य को ही बदल डाला। असल में, ये तस्वीरें नहीं, एक डरावनी कहानी कह रही हैं।
अब सवाल यह है कि आखिर ये हादसा हुआ कैसे? दरअसल, धराली और हर्षिल वैसे भी उत्तराखंड के सबसे नाजुक पहाड़ी इलाकों में आते हैं। यहां तो बारिश के मौसम में थोड़ी सी लापरवाही भी भारी पड़ सकती है। लेकिन इस बार तो मानो प्रकृति ने अपना पूरा कहर ढा दिया – एक तरफ मूसलाधार बारिश, दूसरी तरफ ग्लेशियर का तेजी से पिघलना। नतीजा? नदियों का जलस्तर आसमान छूने लगा। और हैरानी की बात ये कि पिछले 10 साल में ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं? जवाब तो climate change के अलावा और कुछ हो ही नहीं सकता।
लेकिन इसमें एक रोशनी की किरण भी है। ISRO के Cartosat-3 जैसे advanced satellites ने इस आपदा को समझने में कमाल का काम किया है। सच कहूं तो, इन high-resolution तस्वीरों के बिना हम नुकसान का सही-सही अंदाजा भी नहीं लगा पाते। और सिर्फ यही नहीं, इन्हीं तस्वीरों की बदौलत NDRF और स्थानीय प्रशासन को राहत कार्यों में दिशा मिली। आंकड़े बताते हैं कि 100 से ज्यादा घर तो बस ऐसे गायब हो गए, जैसे कभी थे ही नहीं। कई लोग अभी भी लापता हैं। पर इतना तो तय है कि technology ने इस मुश्किल घड़ी में हमारी कितनी मदद की।
इस पूरे हादसे पर अलग-अलग लोगों की प्रतिक्रियाएं भी काफी मार्मिक हैं। स्थानीय लोगों की बात सुनकर तो दिल टूट जाता है – “हमारा सब कुछ लेकर बह गई ये बाढ़। सरकार को अब तुरंत कुछ करना चाहिए।” वहीं NDRF के एक जवान ने सही कहा – “Satellite data ने हमें जान बचाने का रास्ता दिखाया।” और ISRO के वैज्ञानिकों का कहना तो और भी दिलचस्प है – ये तस्वीरें सिर्फ आज के लिए नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली मुसीबतों से निपटने का रास्ता भी दिखाती हैं।
तो अब आगे क्या? देखिए, सरकार और disaster management टीमें ISRO के डेटा का पूरा फायदा उठाएंगी। climate change से निपटने के लिए लंबी चौड़ी योजनाएं बनेंगी। लेकिन सबसे जरूरी है कि प्रभावित लोगों को तुरंत राहत पहुंचे। मलबा हटाने से लेकर फिर से बसाने तक – हर कदम तेजी से उठाना होगा।
अंत में बस इतना कहूंगा – ISRO की technology ने इस आपदा से निपटने में हमारी कितनी मदद की, ये तो साफ दिख रहा है। पर असली सवाल तो ये है कि क्या हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलना सीख पाएंगे? या फिर ऐसी त्रासदियां हमें बार-बार झकझोरती रहेंगी? जवाब हम सभी के हाथ में है – थोड़ी सी समझदारी, थोड़ी सी तैयारी, और प्रकृति के प्रति सम्मान। वरना… खैर, उम्मीद तो हमेशा बनी रहनी चाहिए न?
ISRO Satellite Images में धराली तबाही – जानें सबकुछ (FAQ)
1. ISRO की सैटेलाइट तस्वीरों में धराली की तबाही कैसे दिखी?
देखिए, ISRO के satellites ने जो तस्वीरें खींची हैं, वो सच में दिल दहला देने वाली हैं। एक तरफ तो वो हरे-भरे इलाके थे जहां पेड़ लहराते थे… और अब? बस मलबे का ढेर। High-resolution में देखें तो सच में अंतर समझ आता है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि ये एक ही जगह की तस्वीरें हैं?
2. ये तस्वीरें किस satellite द्वारा ली गई हैं?
असल में ISRO के दो satellites ने ये काम किया है – Cartosat-3 और Resourcesat-2A। ये कोई आम कैमरे नहीं हैं दोस्तों! इनकी क्षमता का अंदाजा लगाना मुश्किल है। Disaster assessment के लिए बने ये satellites तो जैसे आंखें खोल देने वाले हैं।
3. क्या ये तस्वीरें relief operations में मदद कर सकती हैं?
सवाल तो बिल्कुल सही उठाया आपने! ईमानदारी से कहूं तो ये तस्वीरें सिर्फ़ दिखाने के लिए नहीं हैं। Authorities को पता चल रहा है कि कहां ज्यादा नुकसान हुआ है, कौन सी सड़कें बची हैं… यहां तक कि rescue teams को भी route planning में मदद मिल रही है। एकदम game changer!
4. क्या आम public इन satellite images को देख सकती है?
अच्छी बात पूछी! ISRO ने कुछ तस्वीरें public के लिए भी जारी की हैं। आप चाहें तो official website पर जाकर देख सकते हैं, या फिर BHUVAN portal भी एक अच्छा option है। पर सच कहूं? कुछ detailed images अभी भी restricted हैं – security reasons समझिए ना!
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