पिता की मौत पर IT कंपनी ने WFH देने से मना कर दिया – क्या ये है कॉर्पोरेट संस्कृति का असली चेहरा?
सोचिए, आपके साथ ज़िंदगी का सबसे बड़ा दुख आया है और आपकी कंपनी का जवाब हो – “सॉरी, नो WFH!” सोशल मीडिया पर एक IT कर्मचारी का दिल दहला देने वाला पोस्ट वायरल हो रहा है। और सच कहूं तो, ये सिर्फ एक पोस्ट नहीं, बल्कि हमारे कॉर्पोरेट सिस्टम पर एक बड़ा सवाल है। जिस कर्मचारी के पिता अचानक चल बसे, उसके लिए कंपनी ने WFH तक नहीं दिया। क्या यही है हमारी नई वर्क कल्चर?
क्या हुआ था असल में? पूरी कहानी
मामला एक बड़ी IT कंपनी का है। कर्मचारी के पिता का निधन हो गया – जिसके बाद उसने सिर्फ एक छोटी सी गुजारिश की: WFH की परमिशन। ताकि वो परिवार को संभालते हुए भी काम कर सके। लेकिन कंपनी ने… मना कर दिया! ऑफिस आओ या छुट्टी लो – ये रहा उनका जवाब। अब सवाल ये है कि क्या सच में कर्मचारी हमारी कंपनियों के लिए सिर्फ एक “रिसोर्स” हैं? एक नंबर? कोई इंसान नहीं?
सोशल मीडिया पर आग लग गई!
Twitter और LinkedIn पर ये केस बम की तरह फटा है। लोगों का गुस्सा देखिए – किसी ने कंपनी को “हार्टलेस” बताया तो कोई कह रहा है “इससे बुरा टाइम क्या हो सकता है?” हैरानी की बात तो ये है कि कंपनी अभी तक चुप्पी साधे हुए है। शायद उन्हें लगता होगा कि ये मामला ठंडा हो जाएगा। लेकिन ऐसा होने वाला नहीं!
लोग क्या कह रहे हैं? असली रिएक्शन
इस मामले में लोगों की प्रतिक्रियाएं बहुत ही दिलचस्प हैं। एक यूजर ने तो यहां तक लिखा – “WFH देने से कंपनी को क्या हो जाता? क्या उनका प्रोजेक्ट फेल हो जाता?” HR एक्सपर्ट्स भी बोल रहे हैं कि ऐसे मामलों में फ्लेक्सिबिलिटी दिखानी चाहिए। पर सच तो ये है कि आज भी बड़ी-बड़ी कंपनियों में इंसानियत नाम की चीज़ गायब है। क्या आपको नहीं लगता?
अब आगे क्या? क्या बदलेगा?
देखिए, अब तो ये केस सिर्फ एक कर्मचारी की बात नहीं रह गया है। पूरे सेक्टर में इस पर बहस शुरू हो गई है। कुछ लोग तो श्रम मंत्रालय तक जाने की बात कर रहे हैं। मेरा मानना है कि इस घटना के बाद कंपनियों को अपनी पॉलिसीज़ पर फिर से सोचना होगा। वरना… सोशल मीडिया के इस दौर में ऐसे केसेस छुपाए नहीं छुपेंगे।
अंत में सिर्फ इतना कहूंगा – टेक्नोलॉजी और प्रॉफिट के इस दौर में क्या हम इंसानियत को पीछे छोड़ते जा रहे हैं? क्या कर्मचारी सिर्फ एक रिसोर्स हैं या फिर… इंसान? सोचिएगा ज़रूर।
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1. केस की पूरी कहानी – क्या हुआ असल में?
सुनिए एक दिल दहला देने वाली कहानी। एक IT employee, जिसके पिता का निधन हो गया, ने कंपनी से WFH की मामूली सी गुजारिश की। लेकिन अफसोस! कंपनी ने साफ मना कर दिया। और फिर क्या? इस employee का emotional पोस्ट social media पर आग की तरह फैल गया। सच कहूं तो, ये कहानी पढ़कर मेरा भी दिल भर आया।
2. जनता का गुस्सा – क्या आप भी इनसे सहमत हैं?
अब social media users को तो जैसे आग लग गई! लोगों ने कंपनी की इस policy को ‘दिल से जड़’ तक बताया। हालांकि, कुछ लोगों ने ये भी कहा कि HR policies को समझना चाहिए। पर सवाल ये है – क्या इंसानियत से बड़ी कोई policy हो सकती है? देखा जाए तो पूरे इंटरनेट ने इस employee का साथ दिया। और आपका क्या ख्याल है?
3. WFH के नियम – क्या कंपनियां बहुत सख्त हो गई हैं?
देखिए, हर कंपनी के अपने rules होते हैं, ये तो ठीक है। लेकिन असल सवाल ये है कि emergency cases में थोड़ी flexibility दिखानी चाहिए न? इस केस में तो कंपनी ने न तो bereavement leave दिया, न ही WFH approve किया। ईमानदारी से कहूं तो, ये थोड़ा… नहीं, बहुत ज्यादा सख्त लगता है। क्या आपको नहीं लगता?
4. कानूनी पहलू – Employee के पास क्या विकल्प थे?
यहां दुखद सच ये है कि India में bereavement leave mandatory नहीं है। हालांकि, employee कंपनी की HR policy check कर सकता था। पर सच तो ये है कि इस case में social media पर viral होना ही सबसे बड़ा support साबित हुआ। एक तरफ तो कानूनी रास्ते थे, लेकिन दूसरी तरफ public support ने ही असल difference बनाया। क्या आपको लगता है कि कंपनियों को इस तरह के cases में और flexible होना चाहिए?
Source: NDTV Khabar – Latest | Secondary News Source: Pulsivic.com