जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति बनेंगे? BJP का ‘Safe Game’ और राजनीति का असली मैदान!
दिल्ली की गर्मी में अब राजनीति भी गर्मा रही है! उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना आते ही सभी की निगाहें BJP पर टिक गई हैं। और सच कहूं तो, यह कोई आम चुनाव नहीं है। चुनाव आयोग ने तो बस औपचारिकता पूरी की है, असली खेल तो अब शुरू होता है। सूत्रों की मानें तो BJP ने अपना पासा फेंक दिया है – जगदीप धनखड़ का नाम चर्चा में है। मजे की बात यह कि यह कोई नया नाम नहीं है। धनखड़ साहब को याद करें तो… बंगाल में राज्यपाल रह चुके हैं, केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। BJP की ‘Safe Game’ समझनी हो तो यही देखिए – विवादों से दूर, पर अनुभव से भरपूर चेहरे।
इतनी हड़बड़ी क्यों? समझिए इस चुनाव का गणित
असल में बात सिर्फ उपराष्ट्रपति पद की नहीं है। 10 अगस्त को वेंकैया नायडू जी का कार्यकाल खत्म हो रहा है, और BJP को एक ऐसा चेहरा चाहिए जो… कैसे कहें… बिना शोर-शराबे के काम कर जाए। धनखड़ साहब पर BJP का विश्वास है ही, साथ ही वे राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। विपक्ष? अभी तक तो वहां सिर्फ बैठकें ही बैठकें हैं! कांग्रेस, TMC सब एक साथ आने की कोशिश में लगे हैं, पर नतीजा क्या निकलेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।
गप्पें या सच्चाई? जानिए लेटेस्ट अपडेट
अभी तक तो सब कुछ ‘सूत्रों के अनुसार’ ही चल रहा है। पर भरोसेमंद जगहों से मिली जानकारी यही कहती है कि BJP ने धनखड़ साहब पर मुहर लगा दी है। NDA के सहयोगियों से बातचीत चल रही है, और जल्द ही औपचारिक घोषणा हो सकती है। 6 अगस्त को मतदान है, और इस बार राज्यसभा सदस्यों के वोटिंग पैटर्न पर सबकी नजर होगी। क्योंकि याद रखिए – उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ संसद सदस्य ही वोट डालते हैं!
राजनीति का पारा: कौन क्या बोला?
BJP प्रवक्ता का बयान तो वही पुराना राग है – “हमारा उम्मीदवार सर्वश्रेष्ठ होगा”। पर कांग्रेस वालों ने तो जैसे मौके की नोंक ही पकड़ ली है! उनका कहना है, “BJP संवैधानिक पदों को अपनी दुकान समझती है”। सच कहूं तो दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की राय? यह BJP का वही पुराना चाल है – सुरक्षित खेल। विवादों से दूर, पर अनुभवी चेहरा। एकदम साफ-सुथरी रणनीति!
अब आगे क्या? राजनीति का अगला पासा
अगले कुछ दिनों में BJP औपचारिक घोषणा कर सकती है। विपक्ष? वह अभी भी अपने उम्मीदवार को लेकर उलझा हुआ है। गणित तो साफ है – NDA के पास राज्यसभा में बहुमत है। मतलब? अगर धनखड़ साहब का नाम आया तो… उनकी जीत लगभग तय है। और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले यह BJP के लिए एक बड़ी स्ट्रैटेजिक जीत होगी।
तो कुल मिलाकर क्या? BJP ने अपना मोहरा चुन लिया है। अब बारी विपक्ष की है। पर सवाल यह है कि क्या विपक्ष इस मुकाबले के लिए तैयार है? या फिर यह चुनाव भी BJP के नाम ही रहेगा? वक्त बताएगा!
जगदीप धनखड़ और BJP का ‘सेफ गेम’ – क्या है पूरा माजरा?
अरे भाई, इन दिनों तो हर कोई जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने की बात कर रहा है। लेकिन क्या आपने गौर किया कि BJP ने यह चाल क्यों चली? चलिए, बिना लाग-लपेट के बात करते हैं।
1. भाजपा ने धनखड़ को ही क्यों उठाया?
सच बताऊं? ये एकदम सटीक चाल है। देखिए न, धनखड़ साहब में सब कुछ है – राजनीतिक पकड़, कानूनी ज्ञान, और वो अनुभव जो चाय की दुकान से लेकर संसद तक काम आता है। BJP को पता है कि ये एक ऐसा खिलाड़ी है जो हर पिच पर बल्लेबाजी कर सकता है। स्मार्ट मूव, है न?
2. क्या ये दलित वोट बैंक की राजनीति है?
असल में… हां और ना। मतलब, सीधे तौर पर तो BJP ये नहीं कहेगी। लेकिन आप खुद सोचिए – जब एक दलित नेता को इतनी बड़ी पोस्ट मिलती है, तो उस समुदाय का क्या रिएक्शन होगा? 2024 की तैयारी शुरू हो गई है दोस्त!
3. विपक्ष के लिए क्यों है मुश्किल?
अरे यार, सवाल ही क्या है! धनखड़ साहब पर उंगली उठाना ऐसा ही है जैसे दादी माँ के हाथ का खाना criticize करना। उनकी इमेज क्लीन है, अनुभवी हैं, और विवादों से कोसों दूर। विपक्ष के पास counter करने को क्या बचा? बिल्कुल जीरो!
4. BJP को मिलेंगे डबल फायदे?
देखा जाए तो ये चेकमेट जैसा मूव है। एक तरफ राज्यसभा में बिल पास कराना आसान होगा (और हम सब जानते हैं कि ये BJP के लिए कितना जरूरी है)। दूसरी तरफ… छोड़िए, आप समझदार हैं, 2024 का गेम पहले से सेट हो रहा है। क्या कहते हैं आप?
फिलहाल तो BJP ने पासा फेंक दिया है। अब देखना ये है कि ये ‘सेफ गेम’ वाकई में सेफ साबित होता है या नहीं। क्या आपको लगता है ये स्ट्रेटेजी काम करेगी? कमेंट में बताइएगा जरूर!
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