जगदीप धनखड़: किठाना के खेतों से दिल्ली की सत्ता तक का सफर
10 जुलाई 2024 की वो सुबह… जब देश की राजनीति ने एक ऐसा मोड़ लिया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा! सच कहूं तो मुझे भी यकीन नहीं हुआ जब यह खबर पहली बार आई। लेकिन यही तो है धनखड़ साहब की कहानी – हमेशा सबको चौंकाने वाली। एक ऐसा सफर जो राजस्थान के छोटे से गांव किठाना से शुरू होकर दिल्ली के सत्ता के गलियारों तक पहुंचा। क्या आप जानते हैं कि यह आदमी कभी खेतों में काम करता था? और आज? देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद!
मिट्टी से जुड़े रहे, मगर सपने देखे बड़े
कहानी शुरू होती है झुंझुनू के उस छोटे से गांव से, जहां धनखड़ साहब का बचपन बीता। स्थानीय स्कूल, फिर कॉलेज… पर यहां एक दिलचस्प बात – भौतिक विज्ञान में MSc करने के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की। क्यों? शायद इसलिए कि वो समझ गए थे कि देश को बदलना है तो कानून की समझ ज़रूरी है। Professional career की शुरुआत वकील के तौर पर की, लेकिन दिल तो राजनीति में धड़कता था।
1989 का वो पहला चुनाव… जनता दल का टिकट… हार गए। लेकिन क्या आप जानते हैं? असफलता तो सफलता की पहली सीढ़ी होती है। बाद में BJP से जुड़े और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। राज्यपाल बने, फिर उपराष्ट्रपति। सच कहूं तो यह सफर उतना आसान नहीं था जितना अब लगता है।
जिंदगी ने दिया था सबसे बड़ा झटका
2003 का वो काला दिन… जब उनके बेटे का निधन हो गया। ईमानदारी से कहूं तो कोई भी इंसान इससे उबर नहीं पाता। लेकिन धनखड़ साहब? उन्होंने दुख को अपनी ताकत बना लिया। पत्नी सुधा जी और बेटी कामना (जो आज एक successful lawyer हैं) का साथ मिला और वो आगे बढ़ते रहे। यही तो है असली हिम्मत!
एक बात और – क्या आपने कभी सोचा है कि एक गांव का लड़का इतनी बुलंदियों तक कैसे पहुंचा? जवाब सरल है – परिवार का साथ और खुद पर विश्वास। बिल्कुल वैसे ही जैसे पेड़ की जड़ें मजबूत हों तो वो तूफान में भी खड़ा रहता है।
इस्तीफे ने मचाया तूफान!
और फिर आया वो ऐतिहासिक दिन… 10 जुलाई 2024। इस्तीफा! सोशल मीडिया पर #DhankharResignation ट्रेंड करने लगा। BJP कह रही है “देशहित में फैसला”, विपक्ष बोल रहा है “सरकार में मतभेद”। सच क्या है? शायद वक्त ही बताएगा।
एक मजेदार बात – केंद्र सरकार ने तुरंत इस्तीफा स्वीकार कर लिया। क्या यह सामान्य है? मुझे तो लगता है नहीं। राजनीति के इस दांव-पेच में कुछ तो है जो हमें नहीं पता।
अब क्या होगा?
सबसे बड़ा सवाल – आगे क्या? क्या वापसी करेंगे धनखड़ साहब? राजस्थान की राजनीति में भूचाल आएगा? BJP के भीतर नए नेतृत्व की बहस शुरू होगी? देखना दिलचस्प होगा।
और हां, उपराष्ट्रपति पद के लिए नया चेहरा कौन होगा? यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है – धनखड़ साहब का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
अंतिम बात: प्रेरणा की मिसाल
सच कहूं तो, धनखड़ साहब की कहानी सिर्फ एक राजनेता की कहानी नहीं है। यह तो हर उस भारतीय के लिए प्रेरणा है जो सोचता है कि “मैं छोटे शहर/गांव से हूं, मैं क्या कर सकता हूं?” उन्होंने साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
अब बस इंतज़ार है उनके अगले कदम का। चाहे जो भी हो, एक बात तो तय है – यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई। बिल्कुल नहीं!
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जगदीप धनखड़ की कहानी: गाँव के लड़के से देश के उपराष्ट्रपति तक का सफर
1. जगदीप धनखड़ की शुरुआती ज़िंदगी कैसी थी?
सुनिए, ये कहानी तो किसी फिल्म जैसी है। राजस्थान के छोटे से गाँव किठाना में जन्मे जगदीप धनखड़। साधारण किसान परिवार… वो भी तब जब गाँवों में बिजली तक ठीक से नहीं आती थी। गाँव के स्कूल से पढ़ाई शुरू की, और फिर? Law की पढ़ाई करने निकल पड़े। सोचिए, उस ज़माने में ये कितनी बड़ी बात थी!
2. बेटे की मौत ने उन्हें कैसे बदला?
ईमानदारी से कहूँ तो, ये वो दर्द है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक पिता के लिए बेटे को खोना… लेकिन हैरान कर देने वाली बात ये है कि उन्होंने इस दुःख को समाज सेवा में बदल दिया। क्या आप मानेंगे कि इसके बाद भी वो और ज़्यादा active हो गए? यही तो असली हिम्मत है न!
3. राजनीति में कदम कैसे रखा?
देखिए, यहाँ एक मजेदार बात है। वकील से राजनेता बनने का सफर! पहले राजस्थान High Court, फिर Supreme Court… और जब लोगों ने उनकी ईमानदारी और काबिलियत देखी, तो BJP ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया। पर सच कहूँ तो, उनकी राजनीति में entry उनके काम की वजह से ही हुई – कोई shortcut नहीं था यहाँ।
4. उनकी सफलता का राज़?
अरे भाई, ये तो बिल्कुल साफ है! मेहनत… ईमानदारी… और वो जिद्दी हौसला जो कभी हार नहीं मानता। गाँव की मिट्टी में पले इस शख्स ने दिल्ली तक का सफर अपने दम पर तय किया। एक तरफ तो गाँव की सादगी, दूसरी तरफ Supreme Court की चमक… क्या कॉन्ट्रास्ट है न? पर यही तो असली सफलता की कहानी है। सच में।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com