जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या वाकई फोन कॉल्स ने बदल दी थी गेम?
21 जुलाई 2023… वो दिन जब दिल्ली की राजनीति में एक बम फटा! उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा। अरे भाई, ये तो वही समय था जब सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की तैयारी कर रही थी। सच कहूँ तो, ये इस्तीफा कोई साधारण घटना नहीं थी – खासकर जब पता चला कि इस्तीफे से ठीक पहले दो मंत्रियों ने उनसे गुप्त बातचीत की थी। क्या बात हुई होगी उस फोन पर? सच में दिमाग घुमा देने वाला मामला है!
कहानी की शुरुआत: क्या संविधान हार रहा था राजनीति से?
2017 से अपने पद पर रहे धनखड़ हमेशा संवैधानिक मूल्यों की बात करते रहे। लेकिन यहाँ तो मामला ही अलग था। जस्टिस वर्मा के केस में सरकार का दबाव… और धनखड़ का अपने विवेक पर अड़े रहना। सच पूछो तो ये वही पुरानी कहानी है – राजनीति बनाम संविधान। पर असली मोड़ तो आया जब इस्तीफे से कुछ घंटे पहले दो बड़े मंत्रियों ने उन्हें फोन किया। क्या कहा होगा उन्होंने? कोई धमकी? कोई डील? या फिर सच में कोई ‘व्यक्तिगत कारण’? सवाल तो बहुत हैं…
वो रहस्यमयी 12 घंटे: क्या हुआ था असल में?
सुबह तक तो सब कुछ नॉर्मल लग रहा था। पर दोपहर तक… बाम! इस्तीफा! है ना दिलचस्प? दो अंजान मंत्री, एक गोपनीय फोन कॉल, और फिर सीधा राष्ट्रपति भवन का रुख। राजनीति के जानकार कहते हैं यही वो पल था जब गेम बदल गया। पर सच तो ये है कि आज तक किसी को पता नहीं कि उस फोन पर आखिर बात क्या हुई। कुछ तो रहस्य है इस पूरे मामले में!
राजनीति का पेंच: हर कोई अपनी रोटी सेक रहा
विपक्ष का रोना-धोना… सरकार का बचाव… ये तो हर मामले में होता है। राहुल गांधी जी तो मानो मौका मिलते ही भाजपा पर टूट पड़े। वहीं सरकार वाले ‘व्यक्तिगत कारणों’ की रट लगाए बैठे हैं। पर सच्चाई? शायद इन दोनों के बीच कहीं है। संविधान के जानकारों की मानें तो ये केस न्यायपालिका और सरकार के बीच बढ़ते तनाव का नया अध्याय है।
अब आगे क्या? 2 बड़े सवाल!
पहला सवाल: नया उपराष्ट्रपति कौन बनेगा? दूसरा सवाल: क्या सरकार जस्टिस वर्मा के मामले में संसद में बहुमत जुटा पाएगी? एक बात तो तय है – आने वाले संसद सत्र में ये मुद्दा ज़ोरदार बहस तो खड़ी करेगा ही।
एक बात साफ है – ये कोई साधारण इस्तीफा नहीं था। ये तो भारतीय लोकतंत्र के उस बड़े सवाल की शुरुआत है जहाँ संवैधानिक संस्थाएँ सरकार के दबाव में हैं या नहीं। और हाँ, ये कहानी अभी जारी है… नए ट्विस्ट आने पर हम आपको फिर जानकारी देंगे। तब तक के लिए, सोचिए ज़रा – क्या वाकई फोन कॉल्स इतना कुछ बदल सकती हैं?
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जगदीप धनखड़ का इस्तीफा… वाह! ये तो राजनीति के गलियारों में बम की तरह गिरा है ना? सच कहूं तो, मैं भी पूरी तरह समझ नहीं पा रहा कि असली वजह क्या है। दो मंत्रियों के फोन कॉल्स, कुछ गुप्त मुलाकातें… ये सब मिलकर एक ऐसा पहेली बना रहे हैं जिसका हल शायद ही कभी सामने आए।
असल में देखा जाए तो राजनीति में कोई भी कदम ‘अचानक’ नहीं उठाया जाता। पीछे-पीछे चल रही चालें, गहरी सोच… ये तो वैसा ही है जैसे शतरंज का खेल। एक मोहरा हिलता है तो पूरा खेल बदल जाता है।
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(थोड़ा सा ड्रामा, थोड़ा सा सस्पेंस… बस यही तो चाहिए एक अच्छी कहानी के लिए, है ना?)
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com